हवाओं की अल्हड़ सी मस्ती सी
उड़ती फिरूं कभी तितली सी
बाहों में भर लूँ सारा आकाश
और दौडूँ उनमें कभी बिजली सी
चंचल...खिल खिल शोख हँसी सी
चली पवन पगली सी
पहले प्यार की मदहोशी सी
खुशबू सावन की मिट्टी सी
इतराती बलखाती नदी सी
कौन हूँ ये मैं...जिंदगी सी :-) :-)
सुंदर ! मुस्कुराती पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहता हुआ सुंदर ख्वाब…।
ReplyDeleteek masoom alhad khyaal...aise hi jeena....
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