08 April, 2008

यूँ ही

जब शिव की तीसरी आँख खुलती है तो क्या बाकी दोनों आंखें बंद हो जाती हैं?

या सारा विध्वंस वो देखती हैं-- प्रलय की सारी लीला, सारा विष, सारी अग्नि...

क्रोधाग्नि में जल कर, तप कर , और भस्म होकर सृष्टि फ़िर बन जाती है और आराध्य देव शंकर उस पल्लवित पुष्पित और सुरभित कानन से उदासीन होकर आंखें बंद कर ध्यान में डूब जाते हैं।

इस समाधि से किसी तुच्छ की पुकार सुनने क्या वो उठेंगे? नहीं...कदापि नहीं

इसलिए...नहीं उठे वो

5 comments:

  1. चन्द शब्दों के संपूर्ण बयानी....

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  3. वाह ! कमाल का विचार इतने कम शब्दों में.

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  4. सुना है कि चीत्कार कर जब किसी भी देव का स्मरण करते हैं तब उन्हें जाग्रत होना ही पढता है। यहाँ तो शिकवा महादेव से है । विश्वास है कि समाधिस्त महादेव प्रगट हो कर आपको आनंद से सरोबर कर देंगे ।

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