ख्वाब पुराने, तुम, और बीते लम्हों की बातें
कुछ भीगी सी और कुछ कुछ धुंधली सी रातें
कुछ उदास ही सुबहें, रूठी यादों के कतरे
कितना कुछ एक अधूरा रिश्ता दे गया...
जेहन में उतरती खुशबुयें आपस में घुलती थी
और तस्वीर बनाती थीं बीते हुए कल की
यूँ लगता था तुमने किसी और जनम में दी थीं
कितना कुछ जर्द पन्नों में दबा एक फूल सूखा दे गया...
कुछ दूर तुम्हारा हाथ थम कर चली थीं मैं कभी
तुम्हारे रूमाल में मेरे आंसू क्या आज भी रोते हैं
बादल अब बस तुम्हारी ही तस्वीर बनते हैं
कितना कुछ मेरी बाहों को आसमाँ तनहा दे गया...
खामोश खूबसूरत आंखों में खो जाने की ख्वाहिश
एक लम्हे में जिंदगी जी लेने का अहसास
जानते हुए भी की ख़त्म नहीं होगा, इंतज़ार तुम्हारा
कितना कुछ हमदम मेरे मुझे प्यार तेरा दे गया...
मुस्कुराहटें, सुनहले ख्वाब, जादे की बरं धुप
चाँद से की गई कितनी बातें और अनकहा कुछ
कुछ तस्वीरें और कुछ अधूरी सी कवितायेँ
कितना कुछ बीते कल का हर एक लम्हा दे गया...
१/७/०३
सुंदर और रोमांटिक कविता।
ReplyDeleteसुंदर हैं ये पन्ने..
ReplyDeleteb"ful lines pooja
ReplyDelete"खामोश खूबसूरत आंखों में खो जाने की ख्वाहिश
एक लम्हे में जिंदगी जी लेने का अहसास"
I can feel the love in these lines.. vry gud
New Post : खो देना चहती हूँ तुम्हें.. Feel the words
मैम आपको शेर पसंद आया ...हम आभारी हैं.एक बात बताइये कि ये इतने सारे ब्लौग आप एक साथ कैसे निबाहती हैं.कई बार चाहा कि आपकी पोस्टों का ट्रैक रखूँ,उलझ जाता हूँ.
ReplyDeletebahut hi sundar likha hai.......
ReplyDeleteये महज़ इत्तेफ़ाक़ ही था कि आज अमृता प्रीतम को ढूंढते-ढूंढते अचानक आपके ब्लॉग से मुलाक़ात हो गई.
ReplyDeleteनहीं मालूम कि ये आपके अपने ही अलफ़ाज़ हैं या किसी और रूह के दर्द से उभरी उदासी... लेकिन सच है कि ये अल्फ़ाज़ लिखने वाली उंगलियों सी गहरी तक़लीफ़ जिस किसी रूह ने भी महसूस की होगी कभी, जो शायद कभी ख़त्म न होने वाली इकलौती शै है इस क़ायनात में, ज़रूर उस हर एक रूह के अंदर की कोई नर्म सी पपड़ी खुरची होगी आपने इन अल्फ़ाज़ों से.... फ़िर से बूंद-बूंद रिसने देने के लिये...
बहुत बहुत शुक्रिया... ये उन सभी रूहों की तरफ़ से... क्योंकि तड़प में लिपटे क़रार और कभी न ख़त्म होने वाले इंतज़ार की कीमत सिर्फ़ वही रूहें समझ सकती हैं....
इंतज़ार रहेगा आपकी अगली पेशकश का....
बहुत खूबसूरत हैं पुरानी डेयरी के पन्ने...
ReplyDeleteदर्द के साथ सुन्दरता को समेटे हुए ....
ReplyDelete"कुछ दूर तुम्हारा हाथ थम कर चली थीं मैं कभी
ReplyDeleteतुम्हारे रूमाल में मेरे आंसू क्या आज भी रोते हैं
बादल अब बस तुम्हारी ही तस्वीर बनते हैं कितना कुछ मेरी बाहों को आसमाँ तनहा दे गया..."
बहुत सुन्दर,पूजा.भावनाओ को शिद्दत से मह्सूस करना और उतनी ही शिद्दत से अभिव्यक्त कर देना हर किसी के बस की बात नही है.
सुंदर !
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