03 January, 2015

दिल भूल के उर्दू दिल में कहता, वो चोट्टा भी बिहारी है

रात रात जगने की हमको पुरानी जरा बिमारी है
इक उम्र की मुहब्बत होनी थी, एक सदी से तारी है

मेरी शामत ही आनी थी देख के तेरी आँखों को
आँखों आँखों ही में जानम सारी रात गुजारी है

सोच के तुमको आम के बौरों जैसा बौरा जाते हैं
दिल भूल के उर्दू दिल में कहता, वो चोट्टा भी बिहारी है

तरतीबों वाले चक्खेंगे तरतीबी से होठ तेरे
मेरे हत्थे चढ़ोगे जिस दिन, काटेंगे ज्यों केतारी है

दिलवालों की दुनिया में कुछ अपनी तानाशाही है
तेरी बुलेट पर तुझे भगा लें ऐसी अदा हमारी है

आंधी से लिपट कर कहते हो डर लगता है रफ्तारों से
लो पकड़ो आँचल मेरा, मेरी तूफानों से यारी है

कहाँ कलेजा है तुमको कि ले भी पाओ नाम मेरा
कोई पूछे तो कहते हो वो बस 'दोस्त' हमारी है 

***
रात कुएं में भांग पड़ी थी,
भोर को भी थोड़ी सी चढ़ी थी
हम दोनों ने कित्ती पी थी?
ग़ज़ल कभी मीटर में भी थी?
***
नए साल का पहला जाम...मुहब्बत तेरे नाम.

सोचा तो था कि तमीज से न्यू इयर रिजोल्यूशन की पोस्ट डालेंगे...मगर लग रहा है कि कोई रिजोल्यूशन नहीं बनने वाला तो पोस्ट का क्या ख़ाक अचार डालेंगे. ग़ज़ल वज़ल हमको लिखनी आती नहीं और न लिखने का शौक़ है. वो रात भर आज नींद नहीं आ रही थी तो जो खिटिर पिटिर कर रहे थे पोस्ट कर दिए. सुधी जन जानते हैं कि मेरा और मैथ का छत्तीस का आंकड़ा है...तो साल किसी अच्छे आंकड़े से शुरू करते हैं.

थ्री चियर्स फॉर २०१५. तमीज से रहना बे नए साल, नहीं तो इतना पटक पटक के धोयेंगे कि जनवरी में ही पुराने पड़ जाओगे.

This new year...may adventures find their way to you...and just when it tends to get a tad bit overwhelming...I wish you peace.

Happy New Year. 

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. तुमने तो नये साल को इतनी धमकी दे दी है के बेचारा अभिये से डर गया है । ऊ बात अलग है कि साल लोग स्साले अतना न ग़ुस्ताख़ हो गये हैं के कभियो तमीज़ से चलते नहीं देखे गये आज तक ।

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