10 February, 2012

Write a letter to me.

किसी दिन तुम मांग लोगे ये सारे दिन वापस जो मैंने तुमसे बात करते हुए बिताये थे...ये कहते हुए कि ये दिन तुम्हारे थे...ये घंटे तुम्हारे थे...कि इनका कोई बेहतर इस्तेमाल हो सकता था मेरी बकवास बातों के अलावा...मैं जो इतनी पागल हूँ कि अपने लम्हे भी करीने से लगा के नहीं रखती...तुम्हें तुम्हारे दिनों, लम्हों, सालों के साथ गलती से भेज दूँगी मेरी कुछ उदास दोपहरें भी...कुछ चुप्पी रातें भी...गलती से मिक्स हो जायेंगे मेरे और तुम्हारे दिन जब मैं तुम्हें लौटाऊंगी तुम्हारे लम्हे. तुम कितने दिन बर्बाद करोगे उस पुलिंदे से अपने हिस्से के लम्हे तलाशते हुए...जाने दो न...रहने दो न मेरा जो है...क्यूँ चाहिए तुम्हें ये लम्हे...इत्ती लम्बी तो है ही जिंदगी कि मैं कुछ लम्हों पर अपना हक मांग सकूँ. 

दोनों सवाल उतने ही जरूरी हैं...वो मुझे इतना क्यों जानता है...वो मुझे इतना कैसे जानता है...

पूरी पूरी रात नीम बेहोशी में बड़बड़ाती रही 'तुम मेरे कोई नहीं हो'...सुबह उठने तक भी इस बात पर यकीन नहीं होता है. तुमसे बात करती हूँ तो सारे वक़्त मैं ही बोलती रहती हूँ...तुम्हारी शायद ही कोई बात सुनती हूँ फिर भी लगता है तुम्हें बहुत जानती हूँ...तुमसे झगड़ा भी कर लूंगी...पर वाकई सिर्फ ये जानने से कि तुम्हारी जिंदगी में क्या क्या हुआ तुम्हारा जिंदगीनामा लिखा जा सकता है, यू नो ऑटोबायोग्राफी...पर तुम्हें जान नहीं सकता कोई. पता नहीं क्यों...लगता है कि तुम्हारी दोस्त होती...कोई बहुत पुरानी दोस्त होती तो तुम्हें बहुत अच्छे से जान पाती...फिर किसी रात इतना न रोती...तुमसे झगड़ा करती कि तुम्हें तुमसे ज्यादा जानती हूँ, बहस मत करो मुझसे.

किसको यकीन दिलाना चाहती हूँ...खुद को ही न...तुम्हें क्यों कहती हूँ फिर...बार बार बार...आज खुद ही जिद्द करके तुमसे फोन रखवाया...इतने सालों में...अब पता है कैसा लग रहा है...जैसे अचानक तुम कहीं बिछड़ गए हो...जैसे भीड़ में चलते हुए अचानक से तुम्हारा हाथ छूट गया है मेरे हाथ से और मैं इत्ती छोटी सी हूँ कि तुम मुझे ढूंढ नहीं पाओगे और मैं इतनी पागल भी तो हूँ कि कहीं तुम्हारा इंतज़ार नहीं करुँगी...उस शहर से बाहर को जो हाइवे जाता है वहां निकल पडूँगी...मर गयी तो ठीक वरना वैसे भी तुम्हारे बिना दूसरे किसी शहर में जीना कोई कम तकलीफदेह थोड़े है.

मुझे एक चिट्ठी लिखो न...मैंने तुम्हें कितनी सारी चिट्ठियां लिखी हैं...तुम ही न कहते हो तुम्हें बातें करना नहीं आता...पर जवाब देना आता है...मेरी किसी चिट्ठी का जवाब दे दो...कभी...मर जाउंगी न तो बहुत अफ़सोस करोगे...देखना...फिर मेरी चिट्ठियां देखना...तब वो 'येडा येडा येडा' नहीं लगेंगी...वैसे चिट्ठियां तुम्हें लिखती हूँ पर उनमें खुद को बचा जाने की कोशिश ही तो है...गनीमत है तुम्हारे पास मेरी चिट्ठियां तो हैं...कहीं किसी को यकीन तो होगा कि ये लड़की जिन्दा थी कभी...कि उसने वाकई कागज़ पर कलम से चिट्ठियां लिखीं थी...और तुम झूठ कहते हो...मैं नहीं जी रही पचासी बरस तक...मेरे पास बहुत कम जिंदगी है...बहुत कम. तो प्लीज मुझे एक चिट्ठी लिख दो ना...तुम कौन सा मुझ से प्यार करते हो जो लिखने में तुम्हें दिक्कत आएगी. पता है, पहले तुम मुझसे बात करते थे तो कभी कभी मजाक में मुझे स्वीटहार्ट कह देते थे...मैं कैसे पिघल जाती थी तुम्हें नहीं पता...कितनी मुश्किल से छुपा जाती थी अपनी मुस्कान...

वाकई कोई हो...कोई हो जो बिठा के समझाए...बेटा ये जिंदगी होती है...ये रिश्ते होते हैं...रास्ते इधर के होते हैं...कुछ लोग मिलते हैं, कुछ लोग अपने रस्ते चले जाते हैं...कोई हो जो बतलाये कि तुम मेरे क्या हो...कि आखिर क्यों इतने कुछ हो तुम मेरे...क्यों...क्यों...क्यों...मुझे सुना हुआ याद नहीं होता...उस किसी को मुझे गले लगाके बताना होगा कि तुम क्या हो मेरे...कि क्यों तुम्हारे छू देने से जी जाती हूँ मैं...बताओ ना...तुम्हारे छू लेने से कैसे जी जाती हूँ मैं...उस किसी को कहो न कि मुझे समझाए कि तुम एकदम आम से इंसान हो...तुम में कुछ ख़ास नहीं है...मैं ही जो पागलों की तरह प्यार करती हूँ तुमसे इसलिए सब मुझसे है...मेरे इतने सारे 'I shouldn't have loved you this much' मुझे खुद ही समझ नहीं आते...मुझे कोई समझाता क्यूँ नहीं है यार!


किसी दिन इतनी पी लेना कि सच और झूठ में अंतर पता नहीं चले...मुझे कोई और समझ कर 'I love you' कह देना...कोई भी और...जिसपर भी तुम्हें प्यार आता हो...बस एक बार...बस एक बार...बस एक बार. मैं भी भूल जाउंगी उस लम्हे को जिंदगी भर के लिए...मगर...मौत के पहले के उस एक लम्हे में जब जिंदगी की फिल्म रिवाईंड होगी...उस लम्हे इस झूठ को याद कर लेने देना कि जब तुमने मुझे 'आई लव यू' कहा था. 

9 comments:

  1. कभी कभी एक झूठ ही जीने की वजह बन जाता है।

    ReplyDelete
  2. tum jaan le ke manogi Pooja .. sacchi
    love u dear ..

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाय! इत्ता प्यार!

      Delete
    2. :) mujhe jhooth bolna nahin aata .. jaise tumhain pyar main mangana nahin aata .. pyari sakhi

      Delete
  3. बहुत खूबसूरती से दिल की अनकही को कह दिया है.ढेरों बधाई..इतने जज्बात ...एक जगह समेट के रख देने के लिए.

    ReplyDelete
  4. पल भर के लिये.......झूठा ही सही....

    ReplyDelete
  5. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete
  6. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete
  7. मेरी बात कह दी न ..फिर से

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...