22 April, 2010
इन मूड फॉर लव
कुछ फिल्में देख कर लगता है की प्यार वाकई बेहद खूबसूरत चीज़ है। मुझे लगता है जिनको भी इश्क के होने का गुमान हो उनको जिंदगी में तीन फिल्में जरूर देखनी चाहिए। गॉन विथ द विंड, मिस्टर एंड मिसेज अईयर और इन मूड फॉर लव(Fa yeung nin wa)।
आज मैं इनमें से आखिरी फिल्म की बात करुँगी। या फिर फिल्म की नहीं, फिल्म देखने से क्या होता है उसकी बात करुँगी। इस फिल्म को देखने के लिए मैं अपूर्व की आभारी हूँ, उसने लिंक दिए थे एक गीत और कुछ सीन के। फिल्म के बारे में उसका कहना है की ऐसी फिल्में आपकी जिंदगी में शामिल हो जाती हैं, एक कर्स की तरह। उसकी तारीफ़ के और शब्द उधार लेना गलत बात होगी बाकी मैं उसपर छोड़ती हूँ उसकी जब इच्छा हो इस फिल्म के बारे में लिखे।
इस फिल्म के क्लिप मैंने अपने कॉलेज के दौरान देखे थे, हमारा एक सब्जेक्ट था वर्ल्ड सिनेमा उसमें। वोंग कार वाई के बारे में पढ़ा भी था। मैंने पोस्ट में सबसे ऊपर अपने सबसे पसंदीदा दो शोट्स लगाये हैं। पहले में एक नोवेल लिख रहा है हमारा हीरो, मिस्टर चाव। मुझे बहुत पसंद आता है इस शोट का फ्रेम, जिंदगी में कितना कुछ बिखरा पड़ा होता है, इसमें से एक सही एंगल चुनना कितना मुश्किल होता है। उसकी उँगलियों में अटकी सिगरेट उठता धुआं, ऐसा लगता है हम वाकई उस सीन में खड़े हैं और उसे काम करते देख रहे हैं। फिल्म से ऐसे जुड़ जाते हैं जैसे किसी थ्री डी फिल्म में भी जा जुड़ सकें।
दूसरा शोट है जब मिस्टर चाव और मिसेज चान एक ग्राफिक नोवेल की कहानी आगे बढ़ने के सिलसिले में देर रात काम कर रहे हैं...मिसेज चान की आँखों में जो चमक है वो वाकई यकीन दिला देती है कि प्यार नाम की कोई चीज़ होती है, और ये कहानियां और कवितायें झूठ नहीं हैं। कि शोर शराबे और भाग दौड़ की जिंदगी में एक लम्हा है ऐसा जिसके खातिर जिया जाए।
इसका संगीत ऐसा है कि सदियों बाद भी आप सुनें तो रूह में उसकी गूँज सुनाई दे। एक बार सुनकर इसका संगीत भूलना नामुमकिन है...खास तौर से जिस तरह फ्रेम दर फ्रेम फिल्म में जैसे संगीत घुलता है। फिल्म देखना वैसा है जैसे पहला प्यार या पहली बारिश, और उसे याद करने तड़पना। मेरे ख्याल से हो ही नहीं सकता है कि आप फिल्म देखें और आपको कुछ याद ना आये।
और सबसे आश्चर्यजनक है कि ये फिल्म बिना स्क्रिप्ट के बनी थी, पूरी फिल्म हर रोज नयी होती थी, और उस सारी क्लिप्पिंग में से ये फाइनल फिल्म बनायीं गयी है। निर्देशक के बारे में जीनियस के अलावा कोई शब्द नहीं आता। कुछ लोगों के धरती पर आने का एक मकसद होता है, कुछ कवि होते हैं, कुछ लेखक...पर कई फिल्मों को देखने के बाद लगता है कि कोई तो है जो वाकई सिर्फ फिल्म निर्देशन के उद्देश्य से धरती पर आया है। या फिर कोई बड़ा मकसद, जैसे प्यार के अनछुए रंग दिखाने की खातिर।
ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए, दो कारणों से, अच्छी फिल्म क्या होती है ये जानने के लिए और प्यार को महसूसने के लिए।
और इसलिए कि ब्लॉग पर इतना वक़्त बिताते हैं, इससे कितना कुछ अच्छा हो सकता है ये जानने के लिए।
विडियो के बिना अधूरा रहता...
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फिल्म को कितनी बार देख चुकी हूँ...पोस्ट compose करते हुए आया एक ख्याल...
Talking to you is like falling in love, all over again. Watching you sleep is like single malt on the rocks, slowly getting imbibed in the system till it becomes you...the light woody fragrance of the forest in darjeeling.
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कुछ बिगरैलों ने आकर ब्लॉग की ऐसी तैसी कर दी है... अपूर्व, दर्पण, कुश और तुम इनमें से एक हो और भी हैं जो मेरे संपर्क में नहीं हैं... अच्छा यह हैं की इनकी आँखें खुली हैं... यह आपको बता देते हैं की बेटा दुनिया इतनी ही नहीं है जितना लिखते हो यह लो फलाना लिंक, यह लो चिलाना लिंक और जब आप वहां जाते हो तो लगता है हम बेकार में अपने कम ज्ञान पर तुर्रमखां बन रहे थे... यहाँ एक से एक चीजें पहले से मौजूद हैं ... अपूर्व किताब और सिनेमा दोनों का कीड़ा है... मुझसे बड़े हैं पर पता नहीं क्यों योग्य लोगों को आप कहने का दिल नहीं करता और ५-१० साल का बड़ा छोटा तो चलता है...
ReplyDeleteआज की पोस्ट कमाल की है... तुम बहुत खुशकिस्मत हो जो समय से अच्छी चीजों की लत लग गयी है...
रही बात बिना स्क्रिप्ट के फिल्म बनाने की तो यह कोई बड़ी बात नहीं है... अपने यहाँ कई ऐसी फिल्म है जो बिना स्क्रिप्ट के ही बनती है (इसे नकारात्मक रूप में लेना) हश्र भी देख ही चुकी हो इसका...
"बहुत पसंद आता है इस शोट का फ्रेम, जिंदगी में कितना कुछ बिखरा पड़ा होता है, इसमें से एक सही एंगल चुनना कितना मुश्किल होता है। उसकी उँगलियों में अटकी सिगरेट उठता धुआं, ऐसा लगता है हम वाकई उस सीन में खड़े हैं और उसे काम करते देख रहे हैं।"
सिनेमा का निष्कर्ष कह सकते हैं इसे !!!!!!
हाँ अंत में यह धुन जो जोड़ा है लगता है सब कुछ कन्फेशन कर लें इस पर
ReplyDeleteतीन में से दो मेरी पसंदीदा है ......तीसरी मैंने देखी नहीं है .GONE WITH THE WIND .....
ReplyDeleteकोलेज टाइम में इसके दीवाने थे .......ओर तकरीबन कई बार इसके इश्किया जनून में पड़े थे .....गुरुदत्त की फिल्म पहली बार चुनाव के दौरान देर रात आने वाली फिल्मो के तौर पर देखी थी .....ओर इसकी बाद में जब खुद कमाने लगे थे तो सबसे पहले बाजी ओर सी आई डी के बाद इस फिल्म की भी एक कोपी हासिल की थी देल्ही के अंसल प्लाज़ा से ......एक ओर फिल्म जिसने कम से कम हमारी मण्डली को परेशां किया .......रेडार जिसका इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक बड़ा हिट हुआ ....वो थी एरिक सहगल के नोवल पर बनी "लव स्टोरी.."....रोमांटिक फिल्मो में मैड इत मेनहटन .ओर जूलिया रोबर्ट्स की ब्रिटिश एक्टर के साथ एक मूवी मुझे बेहद पसंद है .जिसमे उन्होंने एक स्टार का रोल प्ले किया है ओर हीरो ने एक आम आदमी का जो किताबो की दुकान चलाता है .नाम अभी क्लिक नहीं हो रहा ......
हाँ तीसरी फिल्म अभी नहीं देखी है .पर जरूर देखूंगा .एक फिल्म ओर है तिब्बत फिल्म जिसका जिक्र कबाड़ खाना पर कुछ दिन पहले किया गया था......
वाकई में मिसेज़ चान के आँखों में चमक देखी जा सकती है...और संगीत भी रूमानी है...बार-बार सुनने लायक..."
ReplyDeleteanurag ji...film ka naam notting hill hai. julia roberts and hugh grant ki.
ReplyDeletepehli do to dekhi hain par teesri nahi...waise romantic filmon me if only, love actually, city of angels bhi achchi lagi...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आकार टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया ! आपके ब्लॉग पर आया यह फिल्म वाला पोस्ट पढ़ा और उस फिल्म को अब डाउनलोड कर रहा हूँ ...by the way ...ये २००० में रिलीज हुई थी क्या ? और हाँ ...आपका मेरे ब्लॉग में स्वागत है ... अपने opinion देना मत भूलिएगा...मेरे हमनाम को मेरा सलाम दीजियेगा.
ReplyDeleteचलिये । वैसे तो नहीं सुहाती है रोमांटिक फिल्में पर ये तीन देखकर प्रारम्भ करते हैं ।
ReplyDeletehmmm...
ReplyDeletemaine teeno movies dekhi hain .....bahut hi behtareen hain...
lekin agar romanti movies ki baat ki jaaye to... 51st dates aur a walk to remember jaroor yaad aati hai...
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mere blog par is baar
इंतज़ार...
jaroor aayein...
http://i555.blogspot.com/
अभी तक इनमे से कोई फिल्म नहीं देख पाए :(
ReplyDeleteमगर फिल्म चाहे जैसी हो आपके लिखे से बढ़िया नहीं होगी :)
Gone wit hthe wind and Mr & Mrs Aiyyar दे खी हैं। तीसरी, इन मूड ऑफ लव नही देखी । कॉलेज के जमाने में क्लास बंक करके मेरे महबूब देखी थी । वह आज तक दिमाग में है ।
ReplyDeleteसही मैं तीनों फिल्म नहीं देखा है....सो कुछ नहीं कह सकता..पर आपकी टिप्पणीयां काफी शानदार हैं....कि कितना कुछ बिखरा होता है जिदगी मैं..सिगरे़ट का उड़ता धुंआ तो खैर जिदगी का फलसफा कहता है.....काफी पहले एक फिल्हैंम देखी थी ...when harry meets sharry..जोरदार लगी..पता नहीं क्यों ......
ReplyDeleteआज ही लाती हूँ इस मूवी की सी.डी.! जैसा तुमने लिखा है...अब फिल्म छोड़ नहीं सकती!
ReplyDeleteहार्ड ड्राईव खाली कर ली है.. २१ मई याद रखना..
ReplyDeleteThough post id good but there are 3 more movies which can be added to list
ReplyDelete1)when harry met sally
2)50 first date
3) Sweet November (spcly song "if only")
...और जब चाव अपना राज़ चुपके से उस मंदिरनुमा जगह में खड़े उस पुराने पेड़ की खोकर में कह आता है...ऐसा नहीं लगता कि वह अपने राज़ को आपके दिल की खोकर में छोड़ गया है? मुझे वह राज़ आज भी चुभता है...
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