ए खुदा!
सुना है तेरे गाँव में
एक ऐसा फ़रिश्ता है
जो मरहम से गीत गाता है
कि जिसके क़दमों की आहट से
वसंत बागों में उतर आता है
ए खुदा!
क्या कहीं कोई दरख़्त है
जिससे गले लग कर
तन्हाई ख़त्म सी हो जाती हो
कि जिसकी छाँव तले
इश्क फिर से पनपता है
ए खुदा!
कहते हैं तेरा दिल बड़ा है
तेरे दिल में मेरे लिए
बस थोड़ी सी रहमत नहीं हो सकती
जिंदगी जब मौत से मिलती हो
उस वक़्त मुझे थोड़ी सी खुशियाँ दे सकेगा
ए खुदा!
सब्र करने को, जज़्ब करने को
पल जीने, पल पल मरने को
बहुत लम्बी उम्र दिखती है
मेरे लिए दुआ मांगने
किसी को नहीं भेजा तूने
ए खुदा!
सुना है तुझे वो फ़रिश्ता
बहुत अजीज़ है
मेरी फरियाद सुन...
उससे कह कि वो गीत गाये
उससे कह कभी मेरे गाँव भी आये...
आमीन... बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
खुदा है उस पर विश्वास करो
ReplyDeleteok
ReplyDeleteबेहतरीन रचना!
ReplyDeletegood one !
ReplyDeleteए खुदा!
ReplyDeleteमिलते होंगे तुझे भी फरिश्ते
कहना उनसे आकर मिले उसे
पूजा है हमारी बहुत ही प्यारी
महेकाती रहे बनके बहार हमको
और रहे वो सदा तेरे आसरे में
यही है दिले तमन्ना हमको !!!!!!!!
nice!!!!!!!!
E khuda!
ReplyDeleteKabhi un duaon ko bhi sun jinhe kaha nahi hamne...
Waah Behtareen!!!
हिंदी भाषा पर लगता है तुम्हारा एकाधिकार है... जब रो में होती हो तो क्या कविता, क्या लेख, क्या व्यंग और क्या संस्मरण... सारे गज़ब ढाते हैं और अपने से लगते हैं... गज्जज्ज्ब
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत !
ReplyDeleteyakeen rakhiye us khuda par....
ReplyDeleteकहीं कोई दरख़्त है
ReplyDeleteजिससे गले लग कर
तन्हाई ख़त्म सी हो जाती हो
कि जिसकी छाँव तले
इश्क फिर से पनपता है
वाह क्या लिखा है....
वो दरख्त मिले तो हमें भी बताना..सारी दुनिया को उसका पता बता दूंगा..
पहली तीन पंक्तियों में ही तुमने रचना को उस ऊँचाई पर खड़ा कर दिया कि आगे मैं ना भी पढू तो कुछ कमी ना लगे.. कभी कभी तुम उम्मीद से दुगना लिख बैठती हो.. यु गिटारबाज
ReplyDeleteवाह..सबके दिल की बात!!
ReplyDeleteअगर उस फ़रिश्ते का पता मिले तो इधर भी शेयर कीजियेगा प्लीज..मेरी फ़ेहरिस्त भी काफ़ी लंबी होती जा रही है..दिनो-दिन!!
very nice indeed...:)
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