मेरा आज का शेड्यूल
१२ बजे इंटरव्यू (जिसमें सवा बारह बजे पहुंची, कर्टसी एक लोकल नेता जो फुल लाल बत्ती में चिल्ला चिल्ला के जा रहा था, सोचती हूँ, ऐसे किसी अमबुलंस के किये ट्राफिक क्यों नहीं रुकता कभी)
एक बजे घर पहुंची, दो ब्रेड टोस्ट कर के चोखा के साथ खायी(जिनको चोखा का मतलब मालूम नहीं हैं, मेरा ब्लॉग पढ़ना अभी बंद करें, किसी बिहारी दोस्त के यहाँ धावा बोलें और लिट्टी चोखा, या खिचड़ी और चोखा बनवा के खाएं, खिचड़ी खाने के लिए शनिवार शुभ दिन है, गृह कटता है पर लिट्टी चोखा कभी भी चलेगा और वैसे भी वीकेंड है)
२:०० ड्राइविंग क्लास्सेस मारुती ड्राईविंग स्कूल में(वो कमबख्त बिल्ली जिसने दो बार मेरा कार सीखते समय रास्ता काटा, कहीं मिल जाए तो कार से चीप ही देंगे अबरी पक्का...या उसका मालिक अगर हो और अगर हमको मिल जाए तो पांच हज़ार दो सो पचास रुपये उससे वसूल लेंगे)
पहुंचे सवा दो के लगभग और बिल्ली की तरह दबे पांव घुसे क्लास में, प्रेजेन्टेशन के लिए किये गए अँधेरे का भरपूर फायदा उठाते हुए सीट पर विराजमान हुए। एयर कंडिशनर से आती मंद मंद पवन, अँधेरा और पेट में हाल फिलहाल पहुंचा खाना, ऐसी नींद आ रही थी की क्या बताएं। बमुश्किल क्लास पर ध्यान दिए, थ्योरी क्लास बहुत दिन बाद कर रहे थे।
साढ़े चार में क्लास ख़त्म हुआ और simulator पर आधे घंटे का क्लास करने गए। simulator एक डब्बेनुमा डब्बा होता है जिसमें कार का इंजन फिट होता है और बाकी कंट्रोल्स कार के ही होते हैं, सामने विडियो स्क्रीन होती है जिसपर रास्ता आता है। विडियो गेम की तरह...बस ये गेम मज़ेदार नहीं होके बड़ा पेनफुल एक्सपेरिएंस होता है...क्लच गियर वगैरह बदलने में इतनी मेहनत करो और डब्बा वहीं का वहीं। (उसमें पहिये नहीं होते)
सवा पाँच में घर पहुंची, भूख के बारे पेट में चूहे और बिल्ली दोनों दौड़ रहे थे फटाफट आलू पराठा बनाये तो देखे फ़ोन में पीडी का मिस कॉल था...भूख ऐसी लगी थी की पहले एक पराठा खाए साथ में पीडी से बतियाये भी, फिर फ़ोन पर ही दूसरा पराठा बनाये.(मतलब पराठा बनाते टाइम भी बात कर रहे थे) वो भला इंसान मेरे लिए परेशान हो रहा था, और हम खाने के लिए हलकान हो रहे थे...तो दोनों काम एक साथ कर लिए।
६ बजे से गिटार क्लास थी, आज दिन भर में टाइम ही नहीं मिला प्रक्टिस करने का, दुखी आत्मा टाईप निकल लिए की आज तो धोपन खायेंगे ही सर से...और खाए भी। कल का होमेवोर्क नहीं किये थे...कुछ बजा ही नहीं ठीक से। पर धीरे धीरे बजेगा ऐसा मुझे भरोसा है :)
दिन भर आना जाना लगा रहा...अभी हवा पी रहे हैं।
इसी दिन भर में सागर को PR के बारे में ज्ञान भी दे दिए, उस ज्ञान का उपयोग करते हुए वो हमको एक लिंक भी भेज मारा, तो पोस्ट भी पढ़ लिए...गज़ब लिखता है लड़का, एकदम्मे गज़ब।
कुल मिला के आज बहुत काम किये हैं हम। शाब्बाश!
ये हुई न बात :)
ReplyDeleteबड़ी कुढ़न (या जलन!) हुई यह पोस्ट पढ़ कर..और खुद पे कोफ़्त भी..कि दुनिया कितनी जल्दी मे है..कहाँ से कहाँ जा रही है कि किसी के पास खाने का टाइम भी नही..और एक हम हैं..कि अपनी जगह से टस से मस होने मे भी सोचते हैं कि चलो कल कर लेंगे...आलस ऐसा कि अगर कयामत भी आकर दरवाजे पर नॉक करे तो पड़े-पड़े ही बोल दें कि भई कल आना..अभी तो आराम कर लूँ..जल्दी क्या है..हाँ अगर कहीं आलू के पराठों की बात हो रही होती है तो कान के साथ मन भी डोल जाता है..मगर हाय आलस..मन संतोष कर लेता है कि अभी तो ५०-६० साल पड़े हैं..पराठे इंतजार कर लेंगे..आत्मसंयम!!!
ReplyDeleteहाँ लगे हाथ चोखा भी डिफ़ाइन कर दिया होता तो संयम परीक्षण के और बहाने मिल जाते..खैर कभी सागर साहब को ही पकड़ा जायेगा..:-)
बिना किसी वजह के या फिर ऐसे ही आज चिढ सी मची हुई थी,लिखने की कोशिश भी की पर पेन उंगलियो में घुमाने के इलावा कुछ न कर सकी,आपकी पोस्ट ने मूड कुछ फ्रेश कर दिया.और भी गम है जमाने में....
ReplyDeleteअब जब इतने काम कर ही डाले तो हमारी भी शाबाशी ले लीजिए.
ReplyDeleteशाब्बाश!
samay bahut kimti hai......ab pata chala, ki kyun hai...aur kin logo ki wajah se hai, is gyan darshan ke liye aapka bhuteeee...dhanyawaad ! ! !
ReplyDeleteचोखा .....ह्म्म्मम्म ... क्या याद दिला दिया.... वैसे मै बिहार को बिलोंग नहीं करती पर चोखा तो मेरे पूरे परिवार की पसंद है .... मै भी यही सलाह दूंगी जिन्होंने चोखा नहीं चखा वो तुरंत इसे अपनी खिदमत में पेश करने का हुकुम करें .....
ReplyDeleteफोन पर गप्पें और भूख का इंतजाम एक साथ करना समय का सदुपयोग है ...कोई कुछ भी सोचे हम तो करेंगे भाई ... काम चालू रखो जी ...
तुम अपनी आत्मकथा लिखो पूजा... वो भी ऐसे ही स्टाइल में... बहुत रोचक होगा और बेस्ट सेलर भी...
ReplyDeleteजो कभी कहने से हम बचते रहे या झिझक होती रही तुमने कह दिया...
उअर बेईज्ज़ती के लिए शुक्रिया... हमने तुम्हें हिंदी लिंक दिया timepaas करने तुमने अंग्रेजी ब्लॉग का लिंक पकडाया... सारी दुनिया जानती है की हम अंग्रेजी नहीं जानते....).).) PR के पेपर के टाइम ऑफिस से छुट्टी ले लेना... अब हम तुम्हरे सहारे हैं हो पूजा...
चोखा मुबारक......वाह गिटार सीखकर हमारी बिरादरी में शामिल होने के लिये बधाई...
ReplyDeleteफिलहाल शाबाश कहे दे रहा हूँ मै भी ....देर से आने के लिए मुआफी......
ReplyDeleteअबरी ऊ बिल्ली को चीपने वाली बातें पे हंसे जा रहा हूं...
ReplyDeleteसागर सचमुच गज़बे लिखता है...और गज़ब तो तुम भी कम नहीं करती हो अपनी लेखनी से...