27 January, 2009

ख्वाहिशों का आँगन

ख्वाहिशों के आँगन में
एक पौधा मेरा भी...

दूसरे महले पर तुम्हारा कमरा है
उसकी खिड़की तक पहुंचना है
रात को तुम्हारे ख्वाबों में
खुशबू बन आने के लिए...

सूरज से झगडा कर
तुम्हारी आंखों पर
एक भीना परदा डालने को
उस खिड़की पर फूलना है मुझे...

बारिश की फुहार
मुझे छू कर ही तुम तक पहुंचे
उस हलकी बहती हवा में
यूँ ही झूमना है मुझे...

जाडों में तुम्हारे साथ
थोडी धूप तापनी है मुझको भी
गर्मियों में तुम्हारे लिए
वो चाँद बुलाना है...
ये ख्वाहिशों का आँगन क्या
तुम्हें जीने का बहाना है...

20 comments:

  1. अच्छी रचना। शब्दों को बड़े ही दुलार से मन के आंगन में आने-खेलने देती हैं आप, फ़िर शब्द रचते हैं सुन्दर मधु-अर्थ।

    ReplyDelete
  2. हर शब्द जादू है... जैसे मक्खन परांठे पर फिसलता जाता है ठीक वैसे ही कविता सीधे दिल में उतर गयी

    ReplyDelete
  3. बहुत लाजवाब रचना. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर हमेशा की तरह ..

    ReplyDelete
  5. wah wah wah.. shabo ki aisi jadugari, hume bhi sikhaiye na pls, pata nahi kitne arma nikalte hai dil mein aur dum tod dete hai kyonki hume unhe shabd dene nahi aate :-( aap sikahiye na pls

    ReplyDelete
  6. बारिश की फुहार
    मुझे छू कर ही तुम तक पहुंचे
    उस हलकी बहती हवा में
    यूँ ही झूमना है मुझे...
    मन को गुदगुदाती हुयी सुंदर रचना
    ये लाइने तो खूब बन पढ़ी हैं

    ReplyDelete
  7. ये ख्वाहिशों का आँगन क्या
    तुम्हें जीने का बहाना है...



    आखिरी की पंक्तिया जैसे सार कह गयी ...इस कविता का .....

    ReplyDelete
  8. गुड़ सी मीठी रचना।

    ये ख्वाहिशों का आँगन क्या
    तुम्हें जीने का बहाना है...

    गजब।
    इन ख्वाहिशों को प्यार कहते है पर इस प्यार को क्या कहते है ............ ?

    ReplyDelete
  9. BY DEFAULT, हमेशा की तरह बेहतरीन और सुन्दर रचना.

    ReplyDelete
  10. behatreen.......... "tumhe jeene ka bahana hai"... yeh chand shabd sab kuch keh gaye.... keep it up!

    ReplyDelete
  11. behatreen.......... "tumhe jeene ka bahana hai"... yeh chand shabd sab kuch keh gaye.... keep it up!

    ReplyDelete
  12. बहुत मनमोहक कविता है!


    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    चाँद, बादल और शाम

    ReplyDelete
  13. पढ़कर लगा की चाह की तीब्रता अपने पूरे यौवन पर है...उसकी साँसों से बेला की भीनी भीनी सुगंध आ रही है...और उसके ह्रदय में उठती हूंक शब्दों में ढलकर मोतियों सी झिलमिला रही है .

    ReplyDelete
  14. सुखद अनुभूति रही आपकी रचना को पढ़ना. आभार.

    ReplyDelete
  15. अनूठी कविता मैम...."जाडों में तुम्हारे साथ
    थोडी धूप तापनी है मुझको भी
    गर्मियों में तुम्हारे लिए
    वो चाँद बुलाना है..."

    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  16. दूसरे महले पर तुम्हारा कमरा है
    उसकी खिड़की तक पहुंचना है
    रात को तुम्हारे ख्वाबों में
    खुशबू बन आने के लिए...


    सूरज से झगडा कर
    तुम्हारी आंखों पर
    एक भीना परदा डालने को
    उस खिड़की पर फूलना है मुझे...

    wah bahut khoob Puja ji, bahut sunder.

    ReplyDelete
  17. जाडों में तुम्हारे साथ
    थोडी धूप तापनी है मुझको भी
    गर्मियों में तुम्हारे लिए
    वो चाँद बुलाना है...
    ये ख्वाहिशों का आँगन क्या
    तुम्हें जीने का बहाना है...

    बहुत ही उम्दा नज़्म है !!!!!!!

    ReplyDelete
  18. बहुत सुंदर अभिवयक्ति हे ..........

    ReplyDelete
  19. बारिश की फुहार
    मुझे छू कर ही तुम तक पहुंचे

    ख्वाहिशें हों तो ऐसी। बहुत खूब। ............

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...