एक पौधा मेरा भी...
दूसरे महले पर तुम्हारा कमरा है
उसकी खिड़की तक पहुंचना है
रात को तुम्हारे ख्वाबों में
खुशबू बन आने के लिए...
सूरज से झगडा कर
तुम्हारी आंखों पर
एक भीना परदा डालने को
उस खिड़की पर फूलना है मुझे...
बारिश की फुहार
मुझे छू कर ही तुम तक पहुंचे
उस हलकी बहती हवा में
यूँ ही झूमना है मुझे...
जाडों में तुम्हारे साथ
थोडी धूप तापनी है मुझको भी
गर्मियों में तुम्हारे लिए
वो चाँद बुलाना है...
ये ख्वाहिशों का आँगन क्या
तुम्हें जीने का बहाना है...
अच्छी रचना। शब्दों को बड़े ही दुलार से मन के आंगन में आने-खेलने देती हैं आप, फ़िर शब्द रचते हैं सुन्दर मधु-अर्थ।
ReplyDeleteहर शब्द जादू है... जैसे मक्खन परांठे पर फिसलता जाता है ठीक वैसे ही कविता सीधे दिल में उतर गयी
ReplyDeleteबहुत लाजवाब रचना. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर हमेशा की तरह ..
ReplyDeletewah wah wah.. shabo ki aisi jadugari, hume bhi sikhaiye na pls, pata nahi kitne arma nikalte hai dil mein aur dum tod dete hai kyonki hume unhe shabd dene nahi aate :-( aap sikahiye na pls
ReplyDeleteबारिश की फुहार
ReplyDeleteमुझे छू कर ही तुम तक पहुंचे
उस हलकी बहती हवा में
यूँ ही झूमना है मुझे...
मन को गुदगुदाती हुयी सुंदर रचना
ये लाइने तो खूब बन पढ़ी हैं
ये ख्वाहिशों का आँगन क्या
ReplyDeleteतुम्हें जीने का बहाना है...
आखिरी की पंक्तिया जैसे सार कह गयी ...इस कविता का .....
गुड़ सी मीठी रचना।
ReplyDeleteये ख्वाहिशों का आँगन क्या
तुम्हें जीने का बहाना है...
गजब।
इन ख्वाहिशों को प्यार कहते है पर इस प्यार को क्या कहते है ............ ?
BY DEFAULT, हमेशा की तरह बेहतरीन और सुन्दर रचना.
ReplyDeletebehatreen.......... "tumhe jeene ka bahana hai"... yeh chand shabd sab kuch keh gaye.... keep it up!
ReplyDeletebehatreen.......... "tumhe jeene ka bahana hai"... yeh chand shabd sab kuch keh gaye.... keep it up!
ReplyDeleteबहुत मनमोहक कविता है!
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
पढ़कर लगा की चाह की तीब्रता अपने पूरे यौवन पर है...उसकी साँसों से बेला की भीनी भीनी सुगंध आ रही है...और उसके ह्रदय में उठती हूंक शब्दों में ढलकर मोतियों सी झिलमिला रही है .
ReplyDeleteसुखद अनुभूति रही आपकी रचना को पढ़ना. आभार.
ReplyDeleteअनूठी कविता मैम...."जाडों में तुम्हारे साथ
ReplyDeleteथोडी धूप तापनी है मुझको भी
गर्मियों में तुम्हारे लिए
वो चाँद बुलाना है..."
बहुत सुंदर
very nice written .......
ReplyDeleteदूसरे महले पर तुम्हारा कमरा है
ReplyDeleteउसकी खिड़की तक पहुंचना है
रात को तुम्हारे ख्वाबों में
खुशबू बन आने के लिए...
सूरज से झगडा कर
तुम्हारी आंखों पर
एक भीना परदा डालने को
उस खिड़की पर फूलना है मुझे...
wah bahut khoob Puja ji, bahut sunder.
जाडों में तुम्हारे साथ
ReplyDeleteथोडी धूप तापनी है मुझको भी
गर्मियों में तुम्हारे लिए
वो चाँद बुलाना है...
ये ख्वाहिशों का आँगन क्या
तुम्हें जीने का बहाना है...
बहुत ही उम्दा नज़्म है !!!!!!!
बहुत सुंदर अभिवयक्ति हे ..........
ReplyDeleteबारिश की फुहार
ReplyDeleteमुझे छू कर ही तुम तक पहुंचे
ख्वाहिशें हों तो ऐसी। बहुत खूब। ............