मेरे घर के ठीक पीछे एक मन्दिर है, और हर shaa जब साँझ देती हूँ तो वहां से आती घंटियों की आवाज़ ऐसे लगती है जैसे मेरे कमरे में ही आरती हो रही हो...आंख बंद करती हूँ तो जैसे मन्दिर में ही पहुँच जाती हूँ। उसपर बालकनी में चिडियों के वापस लौटने का शोर...बादलों के कई रंगों में रंगी शाम, जैसे जिंदगी इसी को कहते हैं।
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और इसके बाद होती रहती है मेरी खुराफात, किचन में...तो मैंने दिखाती हूँ की मैंने क्या बनाया कल रात को...इसे हमारे यहाँ चितवा कहते हैं, कई जगह चिल्का या चिल्ला भी कहा जाता है. इसे बनाना आसन है, बस बेसन में थोड़ा प्याज, हरी मिर्च, टमाटर, बंधगोभी टाइप चीज़ बारीक काट के डालो, अजवाइन, जीरा, थोड़ा सा लाल मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर डालो, पानी दल ke मिक्स करो और बस, तवा पर डोसा टाइप फैलाते जाओ. दो मिनट में awesome खाना तैयार इसको कोई भी प्राणी सिर्फ़ अचार के साथ चट कर सकता है...लेकिन कुछ भुक्खड़ लोग हल्ला कर के सब्जी भी बनवाते हैं जैसा कि आप देख रहे हैं. खुशनसीब लोगो को हमारे हाथ का खाना खाने मिलता है. :D