याद है वो ब्लैंक sms के दिन
जब कहने को कुछ खास नही होता
और तुम्हारी याद आती
एक ब्लैंक मेसेज कर देती...
तुम पूछते, क्या बात है
मैं बस हँसती...
बात पता होती तो लिखती न
बुद्धू :P
और ऐसे ही सिलसिला चलता रहता
दिन रात अनवरत
जिस अंगूठे में दर्द पेन पकड़ने से होता था
उसमें sms करने से होने लगा
याद है वो छोटी कहानियाँ
जो अक्सर मेल किया करती थी तुम्हें
हमारी कहानी जैसी
और वो जगह जगह की तस्वीरों पर
शीर्षक लिखना
वो दिन जब बहुत सारा कुछ होता था
कभी शब्द होते थे...कभी खामोशी होती थी
और सब कुछ तुम्हें बताने का मन करता था
दिखाने का मन करता था
कुछ कुछ वैसा ही है यहाँ का मौसम
बहुत सी बारिश, ठंढ, कम्बल, धूप
एक ही दिन में सब कुछ
जैसे पहला पहला प्यार...
कुछ कुछ वैसा ही है यहाँ का मौसम
ReplyDeleteबहुत सी बारिश, ठंढ, कम्बल, धूप
एक ही दिन में सब कुछ
जैसे पहला पहला प्यार...
बहुत ही सुन्दर है यह प्यार में डूबा हुआ एहसास!
प्यार की विसरी यादें कभी कोई भुलाए नहीं भूलता पूजा जी बहुत ही सुंदर ढंग से लिखा हे आपने बधाई हो
ReplyDeleteये बुद्धू के प्यार का यह अहसास अच्छा लगा।
ReplyDelete"याद है वो -----------
बात पता होती तो लिखती न
बुद्धू :P"
बात पता होती तो लिखती न"
ReplyDeleteइस पंक्ति में रूमानियत का एहसास होता है.. बहुत ही सुंदर
एक छोटी पर प्यारी सी पोस्ट पढ़वाने के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना है आपकी...नटखट चुलबुली प्यार से भरी हुई...वाह.
ReplyDeleteनीरज
सुन्दर पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव!!
ReplyDeleteतुम्हारी याद आती
ReplyDeleteएक ब्लैंक मेसेज कर देती........
गोया कि कुछ लोग एक मिस कॉल दे देते है ओर .कुछ लोग मेसज.... ....पर ..जो बात इस सारे फ़साने में जो मुझे सबसे हसीन लगी है...
"कुछ कुछ वैसा ही है यहाँ का मौसम
बहुत सी बारिश, ठंढ, कम्बल, धूप
एक ही दिन में सब कुछ
जैसे पहला पहला प्यार...'
ग्रेट पूजा ....
याद है वो ब्लैंक sms के दिन
ReplyDeleteजब कहने को कुछ खास नही होता
और तुम्हारी याद आती
एक ब्लैंक मेसेज कर देती...
बहुत सुंदर .,,हो जाता है यह भी कभी कभी ,,बहुत सुंदर लगी आपकी यह कविता सरल सीधी और प्यारी
बहुत सुन्दर भाव!!बहुत बढिया.
ReplyDeletebahut sundar pooja ji...
ReplyDeleteयाद है वो ब्लैंक sms के दिन
जब कहने को कुछ खास नही होता
और तुम्हारी याद आती
एक ब्लैंक मेसेज कर देती...
तुम पूछते, क्या बात है
मैं बस हँसती...
बात पता होती तो लिखती न
बुद्धू :P
:-) buddhu
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Jaane Tu Ya Jaane Na....Rocks
कितनी सुन्दर,कितनी प्यारी कविता.सच में प्यार का अहसास होता ही ऐसा है.
ReplyDeleteकुछ कुछ वैसा ही है यहाँ का मौसम
ReplyDeleteबहुत सी बारिश, ठंढ, कम्बल, धूप
एक ही दिन में सब कुछ
जैसे पहला पहला प्यार...
alfazon ko saadepan ki chhitak dete hue jo ehsaason ko bayaN kiya hai ... ek kabil-e-tareef kalaam ... khaskar tasavvur bade pyarein ... likhti rahiye ... :)
bahut hi khubsurat kavita hai......
ReplyDeleteयाद है वो ब्लैंक sms के दिन
ReplyDeleteजब कहने को कुछ खास नही होता
विचार रहे हों कदाचित्, शब्द नहीँ और कहे तो शब्द जाते हैं... विचारों के प्रतिनिधित्व का प्रयत्न करते!
एक ब्लैंक मेसेज कर देती...
मौन तो शब्दों से अधिक प्रभावकारी होता है और ज्ञान जी ने कहीँ लिखा था कि शायद सम्प्रेषणता भी अधिक होती है। इसका extension शायद Telepathy हो, सभी का अनुभूत, कभी न कभी।
हाल ही में कवि गोष्टी में एक रचना सुनी, उसकी प्रथम दो पंक्तियाँ याद है (शायद कुछ भूल हो, पर भाव यही थे - मौन की अभिव्यक्ति क्षमता)
बिना लफ़्ज़ों का, कोई ख़त पढा क्या?
इतनी उम्र हुई, प्यार में अभी तक पढा क्या?
(apology for multiple comments, these were overdue. More may follow some other time. You may please delete this if you would rather prefer)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवैसे तुम्हें लिखने के लिए किसी सहारे की जरुरत नहीं है, फिर सोचा हौसलाफजाई भी अपना एक स्पेस रखता है ज़िंदकी मैं, ऐसा लोग कहते हैं... तो वही कर रहा हूँ. ज्यादा क्या कहूँ !
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