बंगलोर में आए तीसरा हफ्ता होने को आया, और इस बार घर के सारे काम निपटा दिए हैं तो थोडी फुर्सत है, अब आराम से शनिवार की सुबह उठ कर सोचा कि आज तो कहीं घूमने जाना है। वैसे सवाल बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं था कि कहाँ जाएँ...dark knight रिलीज़ हुए इतने दिन हो गए और हम अपनी व्यस्तताओं के कारन देख नहीं पाये हैं, तो तय किया कि देख ली जाए...पर ये क्या नेट पर टिकेट बुक करने कि सोची तो देखती हूँ कि सारे हाउसफुल हो चुके हैं, यही नहीं कल का टिकेट भी नहीं मिल रहा है कहीं पर। मेरे तो दिल के सारे अरमान घर कि सींक में बह गए...दुखित हो के खाना बनाया, क्या खाक मन करेगा खाना बनने का अगर वीकएंड में कहीं जाने का प्रोग्राम ही सेट नहीं हो पाये।
यहाँ पर टिकेट कि इतनी ख़राब हालत क्यों है, दिल्ली में तो कोई दिक्कत ही नहीं होती थी, और इस तरह कि अडवांस बुकिंग तो कभी नहीं सुनी थी। और यहाँ तो ये हाल है कि ब्लैक में भी टिकेट नहीं मिलते (ऐसा दोस्तों ने बताया ) सुबुक सुबुक...बहू हू हू हू ...अब क्या करूँ कहाँ जाऊं
दुखी हो के सुबह सुबह गुस्से में सिर्फ़ डोसा और साम्भर बना लिया वरना तो आज आराम से पूडी सब्जी बनती फुर्सत से हैप्पी हो के, मगर हाय रे बंगलोर...अब मुझे मेरे सारे बेचारे दोस्तों का दर्द समझ में आ रहा है जो विप्रो, तस्स, आईबीएम जैसी जगह हैं और इस तरह वीकएंड में रोते रहते हैं कि कहाँ जाएँ। और जब भी फ़ोन करो सोते हुए मिलते हैं, क्या करेंगे, और कोई काम तो है nahin मैं तो ऐसी प्राणी हूँ कि म्यूज़ियम बोटानिकल गार्डन टाइप कहीं पर भी खुश हो जाउंगी, पर अभी जो फ़िल्म देखनी थी उसका क्या, उसपर तुर्रा ये कि सबने मन कर रखा है घर में मत देखना, हॉल में देखने लायक है। बड़ी अच्छी बात है, बहुत अच्छी फ़िल्म भी होगी पर इसको देखने के लिए क्या हम बंगलोर में हॉल खोलें?
अब मेरे पास कल का दिन भी है, मगर मालूम नहीं कहाँ घूमने जाएँ
किसी को कोई आईडिया हो तो बताइए :(
यूँ करिये डी वी डी पर come home alamba या ऐसी कोई पुरानी रोमांटिक कॉमेडी मूवी देख ले......
ReplyDeleteहाँ जी.. यहाँ दक्षिण में यही हाल है.. यहाँ चेन्नई में भी मैं बुधवार को ही टिकट बुक करा लेता हूँ शनिवार या रविवार का.. नहीं तो टिकट मिलने की कोई उम्मीद नहीं होती है.. :)
ReplyDeleteवैसे बैगलोर के पास लगभग ५०-६० किलोमीटर दूर नंदी हिल नामक जगह है.. अगर आप दोस्तों के साथ हैं तो आप वहां हो आइये.. मगर ग्रुप बड़ा होना चाहिए, क्योंकि वहां ज्यादा भीड़ नहीं होती है.. मगर बहुत बढ़िया जगह है.. :)
अपना इ-पता दीजियेगा तो मैं आपको नंदी हिल की तस्वीरे मेल कर दूंगा..
एक बात और.. मैं भी यही कहूँगा की बैटमैन वाली सिनेमा हॉल में ही देखियेगा.. मस्त सिनेमा है.. मैंने पिचले शनिवार को देखा था..
मेरी मानिए तो अनुराग साहब का आइडिया बुरा नहीँ!
ReplyDeleteDr.Anuraag ji ki salaah par amal kare unka sujhav achcha laga.
ReplyDeleteमैने भी सुना है कि यह फिल्म अच्छी है...PD की राय देखकर सोच रहा हूं देख आउं।
ReplyDeleteअरे पूजा जी बंगलोर में आकर और सोच रहे हो कि कहां घूमने जाया जाए आप तो बस निकल पडिए जहां जहां जाओगे घूमने की जगह अपने आप बनती जाएगी और नहीं तो सबसे अच्छी जगह है चिट़ठागजत घर बैठे दुनिया घूम लो
ReplyDeleteMohan ji to sahi kah rhe hai. chitthjagat se badhiya jagah to kaha milegi.
ReplyDeleteAnurag ji sahi kah rhe hai. bhut badhiya likha hai. jari rhe.
ReplyDeletevery nice blog ma'am... i njoyed reading ur poems and ur description of life in blore... ur writings r amazingly good
ReplyDeleteand the pics r simple and cute 2...
देखिये आपको कितनी सलाहें घर बैठे मिल गयीं. तो चलिये अब आलस छोड़िये और घूमने निकल पड़िये...
ReplyDeleteकोई नहीं साथ हो तब भी.
... तबे एकला चलो रे...