लहरों से बातें की...
खामोशी रेत पर लिखी
मैं और तुम तनहा
दूर दूर तक कोई नहीं
रंग भरा आसमान
शोर भरी शामें
चलते रहे साहिल पर
कितनी दूर...मालूम नहीं
कोई भी तो नहीं...
सीपियाँ चुनते हुए
घरोंदे बनते हुए
शामें गुजारते रहे
हम और तुम तनहा
जैसे कि समंदर...
लहरें पटकता हुआ
सीपियाँ फेंकता हुआ
और हम चुनते हुए
वो कुछ कहता हुआ
और हम सुनते हुए...
कुछ नहीं होता समंदर किनारे
बस...होना होता है
जिंदगी का एहसास
वक्त के बंधन के परे
बस होना...
हमारा...समंदर किनारे...
बस...होना होता है
ReplyDeleteजिंदगी का एहसास
वक्त के बंधन के परे
बस होना...
हमारा...समंदर किनारे...
!!! Beautiful !
रंग भरा आसमान
ReplyDeleteशोर भरी शामें
चलते रहे साहिल पर
कितनी दूर...मालूम नहीं
कोई भी तो नहीं...
सीपियाँ चुनते हुए
घरोंदे बनते हुए
शामें गुजारते रहे
वाह पूजा ...
कुछ नहीं होता समंदर किनारे
बस...होना होता है
जिंदगी का एहसास
यही है इस कविता की रूह.....यही है....
--बहुत अच्छे--
ReplyDeleteबहुत अच्छा ......बहुत सुंदर .
ReplyDeleteबस...होना होता है
ReplyDeleteजिंदगी का एहसास
वक्त के बंधन के परे
बस होना...
हमारा...समंदर किनारे...
oh...lovely lines puja...
बहुत खूब लिखा है !
ReplyDeletevah kya ahsas hai.bahut badhia rachana.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत..
ReplyDeletebahut hi sindar likha aapne.. acha laga padhkar
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मेरी पहली कविता...... अधूरा प्रयास
very nice. beautifull
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