'तू अभी तक जगी क्यों है?'
'सिगरेट की तलब हो रही है...इसलिए'
'कुछ नहीं थप्पड़ खाएगी तू, आजकल तेरा दिमाग ख़राब हो गया है...सो जा चुपचाप, कल फ्राईडे है, ऑफिस तो जाना होगा'
'वो तो कल उठने के बाद...उसके लिए आज सोना पड़ेगा...पर होठों को एक सिगरेट की तलब हो रही है...और एक बालकनी की भी. वैसे तलब तो तेरी भी हो रही है पर ऐसे सात समंदर पार तुझे कैसे बुला लूं...जब तुमने स्मोकिंग छोड़ी नहीं थी...मेरे बालों में जब तुम उँगलियाँ फिराते थे बालों से धुएं की खुशबू आती थी...आह...उन दिनों तुम्हारे होठों का...जाने दो...मेरे दिमाग की वाइरिंग लूज हो गयी है.'
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'सुनो'
'हाँ'
'आज मैंने एक फिल्म देखी...२०४६ तुम कभी मेरे साथ बैठ कर ये फिल्म देख पाओगे प्लीज...जानती हूँ तुम्हारे टाइप की फिल्म नहीं है पर लगता है की तुम वैसे ही बालों में उँगलियाँ फिराते रहो और मैं तुम्हारे सीने से टिक कर पूरी फिल्म देखूं. अच्छा बता तो, क्या ये बहुत बड़ी ख्वाहिश है?'
'ह्म्म्म'
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'लोग कहते हैं कि तुम्हारी टिकट बहुत महँगी है, बताओ तो एक लाख में कितने जीरो होते हैं, हंसो मत न...जानते हो की मेरी मेरी मैथ कितनी कमजोर है. अगर तीस हज़ार बचाऊं हर महीने तो कितने दिन में तुम्हारा रिटर्न टिकट खरीदने लायक पैसे हो जायेंगे? मुझसे मिलने कब आओगे?
'पता नहीं...तुम तो जानती हो कितना मुश्किल है यहाँ सब सेटल करना...आज अचानक तुम्हें क्या हो गया है...आज फिर स्कॉच मारी हो क्या? अगली बार तुम्हारे लिए नहीं लूँगा. तुम ये सेंटी फिल्में देखती क्यों हो...खामखा क्या क्या बोलने लगती हो'.
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'तुमने तो बहुत लड़कियों से प्यार किया होगा, बताओ तो भला सबसे जियादा किससे प्यार किया...जाने दो, पता है Days of Being Wild में जो हीरो है न वो एक लड़की को कहता है कि मैं तुम्हें हमेशा याद रखूँगा...मरने के पहले वाले कुछ क्षण में वो उसी लम्हे को याद करता है जब उसने ऐसा कहा था. मैं सोचती हूँ कि मैं मरने के वक़्त किसे याद करुँगी...मौत धीरे धीरे आती है क्या? आपको यकीन भी नहीं होता कि आप सच में मर जायेंगे...जैसे कि प्यार, कभी नहीं लगता है कि प्यार सच में हो जाएगा.
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एक ही दुःख है...तुम्हें जब आखिरी बार किस किया था तो पता नहीं था कि ये आखिरी बार होगा.
आह...जिंदगी, तुझसे इश्क करना कितना तकलीफदेह है!
अच्छा बता तो, क्या ये बहुत बड़ी ख्वाहिश है?'
ReplyDeleteअच्छा ख्वाहिशें यहीं तक ही सीमित रहती हैं?
"एक ही दुःख है...तुम्हें जब आखिरी बार किस किया था तो पता नहीं था कि ये आखिरी बार होगा. आह...जिंदगी, तुझसे इश्क करना कितना तकलीफदेह है!"
ReplyDeleteअगर हमें पता हो, किये आखिरी बार है...
तो हम उस पल को रोक लें, अपने प्रेम को अपने आगोश मे ले कर,
कभी न जाने दें...ख्याल अच्छा है, लेकिन सच नहीं होता...
इश्क बहुत तकलीफ देता है, लेकिन अगर आपको अपना प्रेम मिल जाए,
तो जीवन स्वर्ग हो जाता है,
दुआ करेंगे, आपको भी अपना प्रेम मिल जाए....
This post is like a glass of vodka...
ReplyDeleteएक ही दुःख है...तुम्हें जब आखिरी बार किस किया था तो पता नहीं था कि ये आखिरी बार होगा.
ReplyDeleteआह...जिंदगी, तुझसे इश्क करना कितना तकलीफदेह है....
तकलीफ देह होता है किसी की आरजू करना ...और वो भी परदेसी की जो सात समुन्दर हो....गुनाह....
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (19.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
Holee kee dheron shubhkamnayen!
ReplyDeleteखूबसूरत लेखन। ये टीस न हो तो लिखना बेकार...
ReplyDeleteटूटकर प्यार करने वाली ....
ReplyDeleteदुनिया की सबसे खूबसूरत लडकिय होती है ....
नशा सा छा गया :)
ReplyDeleteशब्द, ग्राफ़िक्स, संगीत, शिद्दत! उफ़ जिंदगी से इश्क की तकलीफों को चुन - चुन कर!
ReplyDelete:)
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