बहुत वक्त गुजर गया कुछ लिखे हुए...शब्द झगड़ते रहे, ख्याल बेतरतीब से बिखरे रहे, समेटने का वक्त ही नहीं मिल पाया।
ये तस्वीर १ मई की है, हमारे ऑफिस के फाउंडेशन डे के दिन ट्रेज़र हंट हुआ था बंगलोर में...हम जीत गए! बहुत मज़ा आया, हर जगह भागा दौड़ी और धूप भी इतनी कड़ी थी की पूछिए मत...जल्दी जल्दी सारे क्लू बूझना और फ़िर सबसे पहले ऑफिस पहुँच कर pot ऑफ़ गोल्ड हासिल करना। चिल्ला चिल्ला कर हमने गला ख़राब कर लिया था अपना। इस तस्वीर में मेरे साथ और टीम मेम्बेर्स हैं, आगे की रो में बायें से दाएं सायरा, लिशा, माला और पीछे झांकता हुआ सीनू...मुझे तो आप पहचान गए होंगे :)
जगहों को पहचानना शायद ताऊ की पहेली का अंजाम था...ताऊ की पहेली में पहला स्थान आया हमारा हुआ ये की सुबह सुबह ऑफिस जाने के लिए तैयार होना पड़ता है तो हमने सोचा आज देख ही लें...क्या जाने हमारी देखि हुयी जगह हो आज...फोटो देखते ही मन बल्लियों उछलने लगा की भाईआज तो मैदान मार लिया...कन्याकुमारी गए बहुत ज्यादा साल नहीं हुए थे देखते ही पहचान गए की तिरुवल्लुअर की मूर्ति है। याद इसलिए भी अच्छी तरह से था क्योंकि कन्याकुमारी एक बार हम बहुत साल पहले बचपन में गए थे, तकरीबन चार साल के रहे होंगे पर जगह बिल्कुल अच्छी तरह याद थी, दूसरी बार विवेकनान्दा रॉक देखा तो अच्छा नहीं लगा क्योंकि बीच समंदर में एक छोटा सा टापू बचपन की एक अमिट छाप की तरह था...उस याद में फेरबदल करती हुयी ये मूर्ति बड़ी खटकी थी हमें। इसलिए बिल्कुल देखते ही पहचान भी गए थे।
वैसे हमें बिल्कुल भी नहीं लगा था की हम पहला स्थान पायेंगे, मुझे लगा किसी ने तो बूझा ही होगा...आख़िर अपनी जानी हुयी जगह पहेली में आती है तो लगता है की सबको मालूम होगा। अगले दिन जवाब देखते ही दिल खुश हो गया, बहुत दिन बाद कोई प्रतियोगिता जीती थी...और उसपर ताऊ की पहेली जीतने का तो हमेशा से मन था। पर उस दिन के बाद से ऑफिस से काम में ऐसे फंसे की फुर्सत ही नहीं मिल पायी है, ताऊ ने इतने प्यार से नाश्ते पर बुलाया है और हम हैं की ऑफिस के काम में उलझे हुए हैं। सोच रहे हैं बंक मार कर चले ही जाएँ...चुप चाप खा पी के आ जायेंगे, कौन जाने ताऊ ही है, कहीं मूड बिगड़ गया तो एक बढ़िया नाश्ते का हर्जाना हो जाएगा। ऐसा मौका बार बार तो आने से रहा।
ऑफिस में प्रोग्राम के सिलसिले में pictionary भी खेली गई थी, उसमें भी हमारी टीम फर्स्ट आई थी...वो भी एक बड़ा मजेदार खेल होता है, इस बार घर जाउंगी तो ले के जाउंगी सब भाई बहनों के साथ मिल कर खेलने में बड़ा मज़ा आएगा। ये ऐसा खेल होता है जिसमें टीम बनती है, हर टीम से एक मेम्बएर को एक शब्द दिया जाता है, उसे उस शब्द के हिसाब से कागज पर चित्र बनाने होते हैं ताकि बाकी टीम वाले पहचान सकें की कौन सा शब्द है। बहुत हल्ला और शोर शराबा होता है इस खेल में...और बहुत मज़ा आता है। और जाहिर है सबसे ज्यादा मज़ा तब आता है जब आपकी टीम जीते।
इसको कहते हैं धमाकेदार शुरुआत...
मुझे लगता है अगर सुबह सवा नौ बजे के लगभग, अपनी flyte पर गुनगुनाते हुए, आंखों में चमक और होठो पर मुस्कान लिए मैं घर से ऑफिस के लिए निकलती हूँ...तो मुझे अपने ऑफिस से इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। खुशनसीब होते हैं वो लोग जो वो काम करते हैं जिसमें उनका दिल लगे...इश्वर को धन्यवाद कि मैं उन लोगों में से हूँ। ऐसे मौके सब को मिलें...फिलहाल हमसे काफ़ी जलन होती है लोगों को ;)
और उसपर बंगलोर का मौसम...उफ़ पहले प्यार की तरह...रंगीला, नशीला, भीगा सा...और क्या चाहिए :)
आपको बधाई ,
ReplyDeleteलिखने का मौका पाने के लिए भी और ट्रेजर हंट जीतने के लिए भी
बधाई हो।
ReplyDeleteखुशनसीब होते हैं वो लोग जो वो काम करते हैं जिसमें उनका दिल लगे...इश्वर को धन्यवाद कि मैं उन लोगों में से हूँ। ऐसे मौके सब को मिलें...फिलहाल हमसे काफ़ी जलन होती है लोगों को ;)
ReplyDeleteईश्वर करे आप ऐसे ही खुशनसीब रहो और लोग जलते रहें.
ताऊ का नाश्ते का बुलावा देकर बदलता नही है . हां ये अलग बात है कि नाश्ता ठण्डा हो जाये?:)
वैसे आज से ताऊ ने पहेली पब्लि्श करने का समय भी बदल कर सुबह आठ बजे कर दिया है.
रामराम.
'खुशनसीब होते हैं वो लोग जो वो काम करते हैं जिसमें उनका दिल लगे.' - हर इन्सान को यथा संभव वही काम करना चाहिए जिसमें उसका दिल लगे यदि मजबूरीवश कोई दूसरा काम करना पड़ रहा है तो उसमें दिल लगाने की कोशिश करनी चाहिए.
ReplyDeletejet mubarak ho.aur aapki khushi yuhi barkarar rahe.
ReplyDeleteबहुत बधाई...
ReplyDeleteप्रथम तो बधाइयां. अब फोटो पहचान रहे हैं. बाएँ से दायें सब को बता दिया. अब केवल सफ़ेद बाल वाली एक बुढ़िया सी कोई दिख रही है. क्या वही है पूजा? भैय्या इतने दिन कहाँ थीं? कहीं सैर सपाटे में निकले थे क्या? अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत बधाई...
ReplyDeleteबधाई हो।मौसम तक़ ठीक है आपके शहर मे यहां तो हालत खराब है।
ReplyDeleteवैसे पिछले दो दिनों से हमारे यहाँ भी मौसम की मेहरबानी है......ऑफिस जाते हुए ख़ुशी..आप खुशनसीब है.....सोमवार का दिन ...ओर उसकी सुबह बड़ी उदास होती है जी......
ReplyDeleteमौसम का हाल तो अपने यहाँ भी ऐसा ही है.. जीत की ख़ुशी तो हमें भी होती है जब राजस्थान रोयल्स जीतती है तो.. आज भी मैच है देखे क्या होता है..
ReplyDeleteअजी पूजा जी, पहेलियाँ जीतनी हो तो मुसाफिर जाट वाली पहेलियाँ जीतकर दिखाओ.
ReplyDeleteसोमवार से शनिवार तक कभी भी जवाब दे सकती हो.
कितने प्रसन्नमन लोगों का चित्र है! हमें तो अपना हर एक चित्र थोबड़ा लटकाये ही मिला! :-(
ReplyDeleteबधाई दोनो प्रतियोगिताओ मे विजयी होने के लिये :)
ReplyDeletewow...luckey u. keep enjoing life.
ReplyDeleteaapka blog bahut khoobsoorat hai pooja ji.....badai
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