26 May, 2009

किस्सा ऐ लेट रजिस्टर: भाग २

क्या बताएँ, इच्छा तो हो रही थी की किस्सा लिखने के बजाये भाग लें...शीर्षक भी कुछ ऐसी ही प्रेरणा दे रहा है...भाग दो-भाग लो। पर हमें भाग लो में वो मज़ा कभी नहीं आया जो फूट लो में आता है, कट लो में आता है...(निपट लो में भी आता है :) )

जैसा कि आप सब लोग जानते हैं, भारत एक स्वतंत्र देश है, हमारे संविधान में लिखा है कि हम पूरे भारत में कहीं भी नौकरी कर सकते हैं, घर खरीद सकते हैं, शादी कर सकते हैं(गनीमत है, वरना भाग के शादी करने वाले कहाँ भागते...खैर!)। किसी भी राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए कोई रोक टोक नहीं है(हम बिहार बंद या भारत बंद की बात नहीं कर रहे हैं)। इतने सारे अधिकार होने कि बात पर हम बहुत खुश हो जाते हैं, बचपन से हो रहे हैं सिविक्स की किताब में पढ़ पढ़ कर।

खैर, मुद्दे पर आते हैं...इतना सब होने के बावजूद...हमारे अधिकारों को चुनौती देता है हमारा नेता, जी हाँ यही नेता जिसे हम घंटों धूप में खड़े होकर वोट देकर जिताते हैं। और अगर मैं ऑफिस देर से पहुँची...और मेरे तनखा कटी, तो इसी नेता से माँगना चाहिए...नेताजी मुझ गरीब को और भी कम पैसे मिलेंगे, क्या आपका ह्रदय नहीं पसीजता...क्या आपकी आत्मा क्रंदन नहीं करती(भारी शब्द जान के इस्तेमाल किए हैं, दिल को तसल्ली पहुंचे कि नेताजी हमारे भाषण को समझ नहीं पाये)

जैसा कि आप पहले से जानते हैं...मेरा ऑफिस घर से साढ़े तीन मिनट की दूरी पर है...मैं तकरीबन १० मिनट पहले निकलती हूँ...कि टाईम पर पहुँच जाऊं। कल और आज मैं बिफोर टाइम निकली क्योंकि सोमवार को भीड़ ज्यादा होती है इसका अंदाजा था मुझे। तो भैय्या कल तो हम बड़े मजे से फुर फुर करते फ्ल्योवर पर पहुँच गए...आधे दूरी पर देखा कि लंबा जाम लगा हुआ है। और अगर आप फ्ल्योवर के बीच में अटके हैं तो आपका कुछ नहीं हो सकता...अरे भाई उड़ के थोड़े न पहुँच जायेंगे, अटके रहो, लटके रहो। monday कि सुबह का हैप्पी हैप्पी गाना दिमाग से निकल गया...और मैथ के जोड़ घटाव में लग गए...पहुंचेंगे कि नहीं। एकदम आखिरी मिनट में ऑफिस पहुंचे और मुए लेट रजिस्टर कि शकल देखने से बच गए।

जी भर के भगवान् को गरिया रहे थे, कि जाम लगना ही था तो पहले लगते, किसी शोर्टकट से पहुँच जाते हम..ई तो भारी बदमासी है कि बीच पुलवा में जाम लगाय दिए...भगवान हैं तो क्या कुच्छो करेंगे...गजब बेईमानी है. और उसपर से बात इ थी कि हमारी गाड़ी में पेट्रोल बहुत कम था, क्या कहें एकदम्मे नहीं था...बहुत ज्यादा चांस था कि रास्ते में बंद हो जाए। उसपर जाम, उ भी पुल पर, डर के मरे हालत ख़राब था कि इ जाम में अगर गाड़ी बंद हुयी तो सच्ची में सब लोग गाड़ी समेत हमको उठा के नीचे फ़ेंक देंगे।

लेकिन हम टाइम पर पहुंचे, पेट्रोल भी ख़तम नहीं हुआ tab भी भगवान को गरिया रहे थे, तो बस भगवान् आ गए खुन्नस में...आज भोरे भोरे १०० feet road पर ऐसा जाम लगा था कि आधा घंटा लगा ऑफिस पहुँचने में...जैसे टाटा ने nano बनाई कि हर गरीब आदमी अब कार में चल सकता है, ऐसे ही कोई कंपनी हिम्मत करे और सस्ते में छोटा हेलीकॉप्टर दिलवाए. पुल पे अटके बस बटन दबाया और उड़ लिए आराम से। भले ही समीरजी की उड़नतश्तरी को इनिशियल ऐडवान्टेज मिले पर हम आम इंसानों का भी उद्धार हो जाएगा.

और मैंने लिखा की बड़ाsssss सा ट्रैफिक जाम था, इसलिए लेट हो गया...आज की तनखा कटी तो नेताजी पर केस ठोक देंगे और ढूंढ ढांढ के बाकी लोगों के भी साइन करा लेंगे जो नेताजी के कारण देर से पहुंचे. मामला बहुत गंभीर है, और इसपर घनघोर विचार विमर्श की आवश्यकता है. नेताओं का कहीं भी निकलना सुबह आठ बजे से ११ बजे तक वर्जित होना चाहिए. इसलिए लिए हमें एकमत होना होगा...भाइयों और बहनों, मेरा साथ दीजिये, और बंगलोर में जिन लोगों को आज ऑफिस में इस नेता के कारण देर हुयी, मुझे बताइए. जब मैं केस ठोकुंगी तो आपका साइन लेने भी आउंगी.

मेरी आज की तनखा अगर नहीं कटी...तो मैं उसे किसी गरीब नेता को दान करने का प्रण लेती हूँ.

20 comments:

  1. एक काम करो कि हमारी उड़न तश्तरी ले जाओ और यही अपनी एक दिन की सेलरी भी दे जाओ. वन विंडो सर्विस है.

    मस्त दर्द लिखा है ट्रेफिक जाम में अटकने का. जिओ!!!

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  2. १. "गरीब नेता"... क्या मजाक करती है मैडम..:)

    २. वैसे पैदल और साइकिल वालों के लिये भी जाम लगता है का?

    ३. आज की पोस्ट का टाइटल हो " दर्द - ए - जाम"

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  3. हम वकील हैं जी रजिस्टर के झंझट से मुक्त। कोई जज हमारी गैऱ हाजरी दर्ज कर के देखे। फौरन हड़ताल हाजिर कर देंगे।

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  4. matbal ki ab itna darana bhi theek nahi :(...hum Bangalore jaa rahey hain...magar ab bahutttttttttttt dar lag raha hai...pata nahi kahan phans jaaye ...?:(

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  5. भाई ऐसा तो हमारे साथ भी लगभग रोज़ ही होता है! लगता है हमें भी इसपर पोस्ट लिखना चाहिए. उम्दा पोस्ट पढाने के लिए शुक्रिया.
    हिंदी में प्रेरक कथाओं और संस्मरणों का एकमात्र ब्लौग http://hindizen.com ज़रूर देखें.

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  6. .भाइयों और बहनों, मेरा साथ दीजिये, और बंगलोर में जिन लोगों को आज ऑफिस में इस नेता के कारण देर हुयी, मुझे बताइए. जब मैं केस ठोकुंगी तो आपका साइन लेने भी आउंगी.

    आप तो एक वोटिंग मीटर अभी से ब्लाग पर लगा दिजिये..सारी स्थिति स्पष्ट हो जायेगी.:)

    रामराम.

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  7. किस्सा ऐ लेट रजिस्टर: भाग दो (२)लेकिन आपने तो बताया ही नहीं की किस्से भाग दें :-)

    अच्छा विवरण ट्रेफिक जाम का.... अच्छा है हमारी जान को कोई रजिस्टर नहीं है, वरना हम तो रोज ही पिटते.....

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  8. फ़ुट लो और कट लो में जो श्रृंगार रस है वो भला भाग लो में कहा ? "भगवान हैं तो क्या कुच्छो करेंगे" लाइन मस्त लगी.. एक स्टाइल डेवेलप होता जा रहा है तुम्हारा.. नेताओं ने तो कई बार लेट करवाया है.. इनका भी कोई जुगाड़ करनापड़ेगा..

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  9. घर से 10 मिनट की दूरी पर ऑफिस !
    इर्ष्या होने लगी है...यहाँ तो 10 मिनट अपार्टमेन्ट की पार्किंग से गाड़ी निकलने में ही निकल जाते हैं.

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  10. गरीब नेता तो भारत मै सभी है, लेकिन एक बहुत ही गरीब है.... वो माया बत्ती...:) आप कही उसी का भाषाण सुननए तो नही गई थी?

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  11. After reading rumors and illogical hypotheis, your post was really necessary. Thanks!

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  12. जाम तो आम है,पर नेताओ का भी तो कुछ काम है.अब भला आपको कैसे पता चलेगा कि शहर मे नेताजी पधारे है. तो क्या सैलरी कटी?

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  13. किसी गरीब नेता?????
    ये कौन सी प्रजाति होती है नेता की. मैंने तो सुना है कि यह जाति विलुप्त हो चुकी है.

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  14. इस कट लो, फ़ूट लो, निकल लो वाले शानदार इश्टाइल पर खुश होकर हम आपके लिये दुआ करते हैं डा. साहब कि आपके और आपकी दफ़्तरिया कुर्सी के बीच कोई जाम और कोई रजिस्टर बिना आपकी मर्जी के न आ पाये।

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  15. जाम मे फँसने वालों का दर्द तो बयान कर दिया
    जाम पीने वालों का....?

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  16. :) mast hai...humaare liye padhna mast hai,aapke liye mast nahi raha hoga main samajh saktaa hoon...vaise sach kahoon to sadko ki jo haalat ho gaye hai,bas yehi darr lagta hai ki kisi ki jaan pe bani ho aur aise me bheed ko chherke jaana pade to kaise mumkin hogaa...aise daur me thodi si salary ka katna koi badi baat nahi :P (main kamaata nahi shayd isliye mahatv nahi samjh rahaa!!!)

    achha par sachmuch galti sirf netaao ki hai??...ek baat bataaiye,anyatha na le,bas ek khyaal aaya hai abhi abhi mere dil me,gaadi se aapke office jaane me 3.5 mins lagte hai to paidal 10 minute se kam hi lagenge shayd...15 minute pehle aap gar nikle to kaisa bhi jam ho paida insaan to pahunch hi jaayega waqt pe...3.5 mins ki doori tay karne ke liye bhi jab log gaadiyo me safar karenge to jaam unhone lagaayaa hai yaa netaao ne?? pls mind mat kijiyega par sach me public transport ka zyaada prayog hona chhaiye,aur ye gaadiyo ki baadh ko apni samajh se hi roknaa chhaiye

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  17. This comment has been removed by the author.

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  18. aapko jo stylewa tha....uu..humko bada hi pasand aaya. Isiko kehte hai bebak mithi hindi....

    aur, aap ye jo baatwa boli na ki flyover pe Jaam, to humo kitne baar soche, ki yaha se ya to Helicopter aaye utha ke le jaye....gaadi ke saath...

    bahute lajawab hai apka post....

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