कुछ मौसम महज मौसम होते हैं...जैसे गर्मी या ठंढ...और कुछ मौसम आइना होते हैं...मूड के. जैसे गर्मी होती है तो बस होती है...उसके होने में कुछ बहुत ज्यादा महसूस नहीं होता...आम शब्दों में हम इसको उदासीन मौसम कह सकते हैं...ठंढ भी ऐसी ही कुछ होती है...
पर एक मौसम होता है जो आइना होता है...बारिश...एकदम जैसा आपने मन का हाल होगा वैसी ही दिखेगी बारिश आपको...आसमान एकदम डाइरेक्टली आपके चेहरे को रिफ्लेक्ट करेगा...बारिश के बाद सब धुला धुला दीखता है या रुला रुला...ये भी एकदम मूड डिपेंडेंट है...तो कैसे न कहें की बारिश मुझे बहुत अच्छी लगती है. मौसम से बेहतर मूड मीटर मैंने आज तक नहीं देखा.
आज बंगलौर में बहुत तरह की बारिश हुयी...पहले तो एकदम तेज़ से आने वाली धप्पा टाइप बारिश...फिर फुहारें...आज चूँकि काफी दिन बाद बारिश हुयी है तो मिट्टी की खुशबू भी आई...और अभी फुहारें पड़ रही हैं. आज दिन में फिर से कॉपी लेकर बैठी थी...कुछ कुछ लिखा...ऐसे लिखना काफी सुकून देता है...रियल और वर्चुअल में अंतर जैसा...की सच में कहीं कुछ कहा है.
बचपन की दोस्त...इतने दिनों बाद मिली है आजकल की घंटे घंटे बातें होती हैं और फिर भी ख़त्म नहीं होती...स्मृति को मैं क्लास १ से जानती हूँ...५ में जा कर मेरा स्कुल चेंज हुआ और उसके पापा का ट्रांसफर...सासाराम...फिर हमने एक दुसरे को छह साल चिट्ठियां लिखी...१९९९ में पापा का ट्रांसफर हुआ और हम पटना चले गए...उन दिनों फोन इतना सुलभ नहीं था...एक बार उसका पता खोया फिर कभी मिल नहीं पाया...कितने दिन मैंने उसके बारे में सोचा...उसकी कितनी याद आई बीते बरसों इसे मैं कैलकुलेट करके नहीं बता सकती.बहुत साल बाद फिर दिल्ली आई...ऑरकुट पर मिली भी पर कभी दिखती ही नहीं ऑनलाइन...उस समय उसके हॉस्टल में मोबाईल रखना मन था...कभी फुर्सत से बात नहीं हो पायी.
इधर कुछ दिनों पहले उसका दिल्ली आना हुआ...और फिर बातें...कभी न रुकने वाली बातें...उससे मिले इतने साल हो गए हैं फिर भी लगता ही नहीं की कुछ बीता भी हो...बचपन की दोस्ती एक ऐसी चीज़ होती है की कुछ भी खाली जगह नहीं रहती. उसका ब्लॉग भी जिद करके बनवाया...एक तो आजकल कोई अच्छे मोडरेटर नहीं हैं...उसपर चर्चा का भी कोई अच्छा ब्लॉग नहीं है...नए ब्लोगेर्स के लिए मुश्किल होती है जब कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता. (सब हमारे जैसे थेत्थर नहीं होते)
आज दर्पण से भी पहली बार देर तक बातें की...दिल कर रहा है की उससे फोर्मली superintellectual(SI) के टैग से मुक्त कर दूँ...उससे बात करना मुश्किल नहीं लगा...जरा भी.
कल ढलती शाम एक दोस्त से घंटों बातें की...कुछ झगड़े भी..कुछ जिंदगी की पेचीदगियां भी सुलझाने की कोशिश की..पर जिंदगी ही क्या जो सुलझाने से सुलझ जाए.
कल देर रात अनुपम से बात हुयी...बहुत दिन बाद उसे हँसते हुए सुना है....इतना अच्छा लगा कि दिन भर मूड अच्छा रहा...उसे अपनी कहानी सुनाई...कि लिख रही हूँ आजकल. और उसे भी अच्छा लगा...
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फिर बारिश...
दिल किया आसमान की तरफ मुंह उठा कर इस बरसती बारिश में पुकार उठूँ...आई लव यू मम्मी.
थोड़ी बारिश इधर भी भेज दो, स्मृति का ऑरकुट लिंक इधर भी दे देती तो आसान होता, कुछ और जानकारी मिलती, उसके ब्लॉग पर तो एक मुठ्ठी अक्षर रखे हैं. चिंता मत करो. देर सवेर वहां भी पहुँच ही जायेंगे. बारिश थोडा इधर भी भेज तो अभी तो गर्मी के मारे रो रहे हैं., और देखो उसने बहुत सुन्दर पैरा लिखा है. "कविता के लिए तलाश है एक बेहद गहरी उदासी की" बधाई दो उसको... चलो पता ही दे दो हम बधाई हम दे देंगे :) हम भी कुछ ऐसे ही थेत्थर हैं.
ReplyDeleteवैसे और क्या क्या दिल किया ?
उफ़... जहाँ भी ये बरसात वाली पोस्ट देखता हूँ, लगता है यार कहाँ फस गए दिल्ली में जहाँ बारिश के नाम पर उतना ही पानी गिरता है जितने में ये कहा जा सके कि बारिश हुयी थी....
ReplyDeleteखैर अच्छा है बारिश हो रही है अगले महीने हम भी बंगलौर में ही शिफ्ट कर रहे हैं... इस बारिश को रोक कर रखियेगा..:D
hi, mai kai dino se aapka blog pad raha hun, wakai aap bahut achcha likhti hai. aapke likhe hue ko padhate hue aisa mahsoos hota hai jaise sabkuch samne ghatit ho raha. aap likhna kabhie band mat kariega, itana achcha bahut kam log likhte hai jo bilkul dil ke kareeb mahsoos hota hai.
ReplyDeleteशेखर जी...आप निश्चिंत होकर बंगलोर पहुंचिए...हमने बारिश को बोल दिया है...वो कहीं नहीं जायेगी.
ReplyDeleteहाँ ये बारिशों के मौसम बड़े addictiv होते हैं...बाद में मत कहियेगा कि आगाह नहीं किया था. :)
बागों और बारिशों के शहर में आपका स्वागत है!
Hello Puja ji. Congrats apke ek aur incredible work ke liye. waise to wai apke sare लेख पिछले एक saal se padh ra hu, but comment or communicate pahle bare kiya agar aap rply kare to. past 1 yr i was busy in my medical xam prepration. but prepration ke beech b mai apka work padhna nai bhulta tha. now i have ample of tym to read all ur writings. maine pahle bar apke likhi ek kahani by chance padhi tab se apka fan ho gaya. apko facebuk nd orkut pe search kiya but rply ni mila. apka work padhne ke baad inspiration milta hai. ' creativity ka . lagta hai agar padha ra to thodi to mai b सीख lunga. jis simplicity , inovation , novelties and flow ke saath aap likhte hai it creats an atmosphere of masmerism dats why i m ur fan. plz do rply...
ReplyDeleteआपकी मित्र का ब्लॉग गूगल रीडर में ले लिया है। आज हम भी बहुत देर बैठ कर बारिश देखते रहे, लेमन टी के साथ।
ReplyDeleteस्म्रति से मिलवाने का शुक्रिया... सोचती हूँ तुम यदि हिंदी ब्लॉग खोलने की कंसल्टेंसी खोल लेती अब तक आधे बेंगलोर को हिंदी ब्लागिंग सीखा देती...और तुम्हारे क्लाइंट होम और अब्रोड सभी जगह... :-)
ReplyDeleteतुमने जो दीया जलाया है उसकी रौशनी से मेरा घर भर गया.....:)
ReplyDeleteक्या कहूं तुम्हे....
बस बहुत बहुत बहुत सारा प्यार...:)
कल शाम मैं बहुत देर तक बारिश में भीगता रहा और पता नहीं क्यों बहुत दिनों बाद कल बारिश और चोकलेट का कोम्बिनेसन ट्राई किया..अजीब लगता है न सुन के :)
ReplyDeleteऔर बचपन की दोस्ती कुछ मेरी भी मिलती जुलती है....दोस्त मुराद, जिससे मेरी मुलाक़ात क्लास वन में हुई और उसी दिन से हम सबसे अच्छे दोस्त बन गए...छठे क्लास में स्कूल बदल जाने के बाद हम चार साल मिले ही नहीं, पटना में ही रहते हुए..लेकिन इन चारों साल फोन पे लगातार बातें होती रही..
पिछले दफे जब हैदराबाद जाना हुआ(मुराद भी वहीँ कार्यरत है) तो दो साल बाद मिल रहा था..तीन दिन के लिए गया था हैदराबाद और बातें बातें और बस बातें....फिर अगले हफ्ते जाने का मुड है :)
स्मृति जी के ब्लॉग के तरफ रुख करता हूँ.
ReplyDeleteमजेदार पोस्ट! आनंद आया पढ कर
ReplyDeleteपुराने दोस्तों से मिलना अजब सी खुशी देता है. मैं १५ दिन पहले अपने शहर से ७०० कि मी अहमदाबाद पहुंच गया जहाँ में सिर्फ़ १ साल रहा. स्कूल में इतनी गहरी दोस्ती थी कि सब मुझे आज भी पहचानते हैं और याद करते हैं..
ReplyDeleteदिवाली पर फिर से उनसे मिलने का प्रोग्राम बन रहा है.
फ़िलहाल बरसात ने यहाँ भी दस्तक दी है. हम तो टीपीकल देसी अंदाज़ में सिर्फ़ चाय और पकोड़े खाते हैं.
नए ब्लॉगर का स्वागत.
wakai kabile tarif post
ReplyDelete:)nostalgic............ baarish ke aaina hone waali bahut sahi kahi....
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