31 October, 2012

अच्छी वाली बारिशें

जब सुबह इन्द्रधनुष के बुलाने से नींद खुले
तुम बनाओ मेरे लिए दालचीनी वाली कॉफ़ी
खाने को कहीं से मिल जाए मम्मी के हाथ का खाना
पापा कॉल कर के पूछे कि मैं कैसी हूँ 

दोनों कानों के झुमके एक साथ टंगे हों 
बिना ढूंढें मिल जाए फेवरिट दुपट्टा
शैम्पू करने में लगे सिर्फ पांच मिनट
बारिश में घुल जाए मेरा परफ्यूम  

सड़क किनारे बन जाएँ नदियाँ
तुम छाता लेकर भागो मेरे पीछे
भीगूँ मैं और सर्दी तुम्हें हो 
फिर साथ बनाएं तुलसी का काढ़ा 

सेट-अप करें होम-थियेटर सिस्टम
सुने एक दूसरे की पसंद के गाने
उलटे-पुल्टे स्टेप्स वाले डांस करें
और थक के सो जायें बिना खाए पिए

फिर बारिश ही जगाये रात दो बजे
दो मिनट की मैगी बनाएं 
साथ खींचें अजीब एंगल में फोटो
बारिश को कहें...कम अगेन 

जाने दो...साढ़े आठ बज गए 
उठो जानेमन...कि दिन शुरू हुआ 
कमबख्त बारिश...कमबख्त ऑफिस 
तुम ये ख्याली पुलाव खाओ, मैं चाय बनाती हूँ 

10 comments:

  1. कितनी प्यारी कल्पनाएँ ... जिंदगी का हर लुत्फ़ सीधा नहीं अदा तिरछा चलने में भी है... एन्जॉय

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  2. ki tum ho hi itni khub .. ki hr tumhari hr post pr dil kahe.. jiyo.. khub khub jiyo :)

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  3. थोड़ी इधर - थोड़ी उधर पर रोज की कहानी ... :) :)

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  4. हा हा,
    सपने सपने रहने दो,
    नापो जीवन की गलियाँ।

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  5. Dreams makes essence of life! Nice one!

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  6. तुम ख़याली पुलाव खाओ ............मैं चली :)

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  7. "बड़ी क़ातिल बारिश हो रही"...गूंज रहा है अब भी :-)

    कैसे इतना लिखती रहती हो ?

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  8. जाने दो...साढ़े आठ बज गए
    सुबह हो गया , सपना टूट गया

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  9. बहुत दिनों बाद आपकी ओर से एक कविता - और कितनी सुन्दर

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