जब सुबह इन्द्रधनुष के बुलाने से नींद खुले
तुम बनाओ मेरे लिए दालचीनी वाली कॉफ़ी
खाने को कहीं से मिल जाए मम्मी के हाथ का खाना
पापा कॉल कर के पूछे कि मैं कैसी हूँ
दोनों कानों के झुमके एक साथ टंगे हों
बिना ढूंढें मिल जाए फेवरिट दुपट्टा
शैम्पू करने में लगे सिर्फ पांच मिनट
बारिश में घुल जाए मेरा परफ्यूम
सड़क किनारे बन जाएँ नदियाँ
तुम छाता लेकर भागो मेरे पीछे
भीगूँ मैं और सर्दी तुम्हें हो
फिर साथ बनाएं तुलसी का काढ़ा
सेट-अप करें होम-थियेटर सिस्टम
सुने एक दूसरे की पसंद के गाने
उलटे-पुल्टे स्टेप्स वाले डांस करें
और थक के सो जायें बिना खाए पिए
फिर बारिश ही जगाये रात दो बजे
दो मिनट की मैगी बनाएं
साथ खींचें अजीब एंगल में फोटो
बारिश को कहें...कम अगेन
जाने दो...साढ़े आठ बज गए
उठो जानेमन...कि दिन शुरू हुआ
कमबख्त बारिश...कमबख्त ऑफिस
तुम ये ख्याली पुलाव खाओ, मैं चाय बनाती हूँ
कितनी प्यारी कल्पनाएँ ... जिंदगी का हर लुत्फ़ सीधा नहीं अदा तिरछा चलने में भी है... एन्जॉय
ReplyDeleteki tum ho hi itni khub .. ki hr tumhari hr post pr dil kahe.. jiyo.. khub khub jiyo :)
ReplyDeleteथोड़ी इधर - थोड़ी उधर पर रोज की कहानी ... :) :)
ReplyDeleteहा हा,
ReplyDeleteसपने सपने रहने दो,
नापो जीवन की गलियाँ।
Dreams makes essence of life! Nice one!
ReplyDeleteतुम ख़याली पुलाव खाओ ............मैं चली :)
ReplyDelete"बड़ी क़ातिल बारिश हो रही"...गूंज रहा है अब भी :-)
ReplyDeleteकैसे इतना लिखती रहती हो ?
जाने दो...साढ़े आठ बज गए
ReplyDeleteसुबह हो गया , सपना टूट गया
बहुत दिनों बाद आपकी ओर से एक कविता - और कितनी सुन्दर
ReplyDeletewaah :)))))
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