इकतरफा प्यार भी इकतरफे खतों की तरह होता है...किसी लेखक की बेहद खूबसूरत कवितायें पढ़ कर हो जाने वाले मासूम प्यार जैसा. किसी नाज़ुक लड़की के नर्म हाथों से लिखे मुलायम, खुशबूदार ख़त जब किसी लेखक तक पहुँचते हैं तो उसे कैसा लगता होगा? घुमावदार लेखनी में क्या लड़की के चेहरे का कटीलापन नज़र आता है? क्या सियाही के रंग से पता चलता है की उसकी आँखें कैसी है? काली, नीली या हरी.
हाथ के लिखे खतों में जिंदगी होती है...लड़की को मालूम भी नहीं होता की कब उसके दुपट्टे का एक धागा साथ चला गया है ख़त के तो कभी पुलाव बनाते हुए इलायची की खुशबू. लेखक सोचता की लड़की कभी अपना पता तो लिखती की जवाब देता उसे...कि कैसे उसके ख़त रातों की रौशनी बन जाते हैं. पर लड़की बड़ी शर्मीली थी, दुनिया का लिहाज करती थी...घर की इज्ज़त का ध्यान रखती थी...और आप तो जानते ही हैं कि जिन लड़कियों के ख़त आते है उन्हें अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता.
तो हम बात कर रहे थे इकतरफी मुहब्बत की...या कि इकतरफी चिट्ठियों की भी. ऐसी चिट्ठी लिखना खुदा के साथ बात करने जैसा होता है...वो कभी सीधा जवाब नहीं देता. आप बस इसी में खुश हो जाते हैं कि आपकी चिट्ठियां उस तक पहुँच रही हैं...कभी जो आपको पक्का पता चल जाए कि खुदा आपके ख़त यानि कि दुआएं सच में खोल के पढ़ता है तो आप इतने परेशान हो जायेंगे कि अगली दुआ मांगने के पहले सोचेंगे. गोया कि जैसे आपने पिछली शाम बस इतना माँगा था कि वो गहरी काली आँखों वाली लड़की एक बार बस आँख उठा कर आपकी सलामी का जवाब दे दे. आप जानते कि दुआ कबूल होने वाली है तो खुदा से ये न पूछ लेते कि लड़की से आगे बात कैसे की जाए...भरी बारिश...टपकती दुकान की छत के नीचे अचकचाए खड़ा तो नहीं रहना पड़ता...और लड़की भी बिना छतरी के भीगते घर को न निकलती. न ये क़यामत होती न आपको उससे प्यार होता. आप तो बस एक बार नज़र उठा कर 'वालेकुम अस्सलाम' से ही खुश थे.
यूँ कि बारिशों में किसी ख़ास का नाम न घुला तो तब भी तो बारिशें खूबसूरत होती हैं...अबकी बारिश में यादें यूँ घुल गयीं कि हर शख्स उसके रंग में रंग नज़र आता है. जिधर नज़र फेरें कहीं उसकी आँखें, कहीं भीगी जुल्फें तो कहीं उसी भीगी मेहंदी दुपट्टे का रंग नज़र आता है. हाय मुहब्बत भी क्या क्या खेल किया करती है आशिकों से! घर पर बिरयानी बन रही है और मन जोगी हो चला है, लेखक अब शायर हो ही जाए शायद, यूँ भी उसके चाहने वाले कब से मिन्नत कर रहे हैं उर्दू की चाशनी जुबान में लिखने को. कब सुनी है लेखक ने उनकी बात भला कितने को किस्से लिए चलता है अपने संग, हसीं ठहाके, दर्द, तन्हाई, मुफलिसी, जलालत...लय के लिए फुर्सत कहाँ लेखक की जिंदगी में.
कौन यकीन करे कि लेखक साहब आजकल बारिश में ताल ढूंढ लेते हैं, मीटर बिना सेट किये सब बंध जाता है कि जैसे जिंदगी खातून की आँखों में बंध गयी है. आजकल लेखक ने खुदा को बैरंग चिट्ठियां भेजनी शुरू कर दी हैं...पहले तो सारे वादे दुआ कबूल होने के पहले पूरे कर दिए जाते थे...पर आजकल लेखक ने उधारी खाता भी शुरू करवा लिया है खुदा के यहाँ. दुआएं क़ुबूल होती जा रहीं हैं और खुदा मेहरबान.
कुछ रिश्ते एक तरफ से ही पूरी शिद्दत से निभाए जा सकते हैं. जहाँ दूसरी तरफ से जवाब आने लगे, खतों की खुशबू ख़त्म हो जाती है. वो नर्म, नाज़ुक हाथों वाली लड़की याद तो है आपको, जो लेखक को ख़त लिखा करती थी? जी...जैसा कि आपने सोचा...और खुदा ने चाहा...लेखक को अनजाने उसी से प्यार हुआ. दोनों ने एक दुसरे को क़ुबूल कर लिया.
मियां बीवी भला एक दुसरे को ख़त लिखते हैं कभी? नहीं न...तो बस एक खूबसूरत सिलसिले का अंत हो गया. तभी न कहती हूँ...सबसे खूबसूरत प्रेम कहानियां वो होती हैं जहाँ लोग बिछड़ जाते हैं.
आप किसी को ख़त लिखते हैं तो उनमें अपना नाम कभी न लिखा कीजिए.
कुछ रिश्ते एक तरफ से ही पूरी शिद्दत से निभाए जा सकते हैं. जहाँ दूसरी तरफ से जवाब आने लगे, खतों की खुशबू ख़त्म हो जाती है. वो नर्म, नाज़ुक हाथों वाली लड़की याद तो है आपको, जो लेखक को ख़त लिखा करती थी? जी...जैसा कि आपने सोचा...और खुदा ने चाहा...लेखक को अनजाने उसी से प्यार हुआ. दोनों ने एक दुसरे को क़ुबूल कर लिया.
ReplyDeleteSahee kah rahee ho!
पति पत्नी एक दूसरे को खत लिखने लगें तो घर में क्या बचेगा बातचीत के लिये। वियोग में प्रेम की सांध्रता अधिक होती है।
ReplyDeleteपहाड़ की उंचाई पर - पैदल चढ़ने के बाद ठंडी हवा का झोंका, बारिशें, समुद्र के किनारे लहरें, चिट्ठियाँ... ये दिमाग को शुन्यावस्था में ले जाने की क्षमता रखते हैं.
ReplyDeleteऔर मुझे तो लगता है... जो लोग बिछड़ जाते हैं सिर्फ वही प्रेमकहानी बनती है. खुबसूरत तो सारी प्रेमकहानियाँ होती हैं :)
सबसे खूबसूरत प्रेम कहानियां वे होती हैं जहां प्रेमी बिछड जाते हैं । सही कहा वरना षादी के बाद प्रेम बचता कहां है, बचती है बस दुनियादारी ।
ReplyDeleteगज़ब के भाव समाये हैं।
ReplyDeletebahut khoobsurat likha hai!!
ReplyDeleteTruly Awesome!
लाजवाब ...
ReplyDeleteकिंकर्तव्यविमूढ़ सा पढ़ गया. फिर मन में एक सवाल उभरा : यह आलेख है या कविता.
पूजा आज आपको पढ़ा तो एसा लगा जेसे प्रेम का वो फलसफा पढ़ लिया जो बरसों से दिल में दफ़न रहता है पर कोई कह नहीं पाता. सच है सफल प्रेम कहानियां वही बनती जहा विछोह होता है क्युंकी शादी के बाद सफल जिंदगी हो सकती है सफल शादी हो सकती है पर प्रेम कहानी वेसी नहीं होती जिसे सच में प्रेम कहानी कहा जाए हाँ प्रेम हो सकता है .....! सच है कभी कभी प्रेम एक तरफा होता है तो सुहाना सा होता है,दोतरफा होने के बाद नीरस सा हो जाता है,जब तक नहीं मिलता मिल जाने की ललक रहती है मिलने के बाद कमियों की फेहरिस्त बढ़ने लगती है.....रिश्ते हमेशा से complicated होते हैं. सच कहू तो मैं अपने पति के लिए कई कविताएँ लिखती हू....और ज्यादातर में अगाध प्रेम होता है पर इस बात से डरती हू जिस दिन उनने मेरे लिए लिखना शुरू कर दिया उस दिन क्या होगा....तब क्या नया बचेगा जीवन में? ये कविताएँ भी शायद पत्रों जेसी हैं जवाब आने लगेंगे तो मजा ख़तम :)
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी .
@कनु, कविता या कहानी काल्पनिक होती है इसलिए उसमें अक्सर बिछड़ना, दूर रह कर भी याद करना जैसी बातें होती हैं.
ReplyDeleteअसल जिंदगी में अगर आप जिससे प्यार करते हैं उससे शादी होती है तो प्यार कहीं नहीं जाता, साल दर साल बढ़ता ही रहता है. मैं अब कुणाल को मेल नहीं लिखती, न उसे कुछ लिखने की जरूरत महसूस हुयी कभी. कुछ ज्यादा वक्त बीत जाने पर पुराने मेल पढ़ती हूँ तो प्यार वैसी ही ताजगी से भरा महसूस होता है.
अगर व्यक्तिगत अनुभव से कहूँ...तो शादी के बाद प्यार बढ़ता है है और इसके कई आयाम भी देखने को मिलते हैं. शादी के बाद प्यार मुखर नहीं रहता...कुछ वैसा ही जैसे आप जब १६-१९ साल के होते हो आपको अपनी खूबसूरती का ज्यादा ध्यान रहता है, पर जब आप २८ के हो जाते हो आप जानते हो कि सिर्फ चेहरा ही सब कुछ नहीं होता :)
आपके पति ने शायद आपके लिए कविता लिखी नहीं है कभी, मेरा यकीन मानिये जिस दिन लिखेंगे न...जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिनों में से एक होगा. मेरी ओर से आपको प्यारभरे जीवन की अनंत शुभकामनाएं.
पूजा आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत की शादी के बाद प्यार बढ़ता है ,मेरा व्यक्तिगत अनुभव भी यही कहता है.ये भी सच है की शादी के बाद मैंने भी लोकेश को कोई मेल नहीं लिखा पर पुराने मेल मुझे या कहू तो हम दोनों को मुस्कुराने पर मजबूर कर देते हैं....लोकेश कविताएँ नहीं लिखते पर मेरी कविताएँ पढ़ते है,वेसे जानती नहीं की ये बात मुझे कहनी चाहिए या नहीं पर जितना सच ये है की हमारी अर्रेंज मेरिज है उतना ही सच ये है लोकेश शादी के कई समय पहले से मेरी कविताएँ पढ़ते रहे है .उनके पास मेरी उन कविताओं का संग्रह भी है जो मेरे पास नहीं है या में कभी ऑरकुट या ब्लॉग पर लिखकर उन्हें भुला चुकी थी..सच है प्यार आपको अन्दर से ताकत देता है ,जीने की भी और लिखने की भी.आपसे बात करके अच्छा लगा और मैं भी इश्वर से यही दुआ करती हू की वो आपकी और कुनाल की प्रेम कहानी को नए आयाम दे.
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