13 October, 2011

किस. तरह. छीनेगा. मुझसे. ये. जहाँ. तुम्हें.

बुझती शाम, टीले पर तनहा चाँद का इंतज़ार कर रहा हूँ. कहीं से खबर आई है की मौत का दिन मुक़र्रर हुआ है कल सुबह. जिंदगी की एक आखिरी शाम है, वैसी ही तो है तुम्हारे जाने के पहले वाली शाम जैसी. चाँद उस दिन जैसा खूबसूरत कब निकला फिर. दिल की जगह बड़ी खाली सी जगह है...तुम्हारी और तुम्हारी यादों की सारी जगह खाली है. जैसे एक वृत्त है और उसकी परिधि से घुलता जा रहा है जिस्म...हौले हौले वृत्त का आकर बढ़ता जा रहा है. 

ख़ामोशी में एक गीत बजता है और ज़ख्म में टाँके लगने लगते हैं...आवाज़ का एक दरिया है जो खालीपन में उतरने लगता है और समंदर भरने लगता है. वही सदियों पुराने पत्थर हैं और तुम्हारी गोद में सर रख कर लेटा हुआ हूँ, तुम माथे पर हाथ फिर रही हो, बीच बीच में मद्धम थपकियाँ भी दे देती हो...चांदनी आँखों में चुभ रही है, तुम्हारा चेहरा ठीक से नहीं दिख पाता है...तुमने जूड़े से पिन निकाला है और चाँद का पर्दा कर दिया है...तुम्हारे बालों में ये कौन सी खुशबू बसती है...तुम पास होती हो तो सब शांत होता जाता है. मन का गहरा समंदर भी हिलोर नहीं मारता, चुप किनारों पर आता है और वापस लौट जाता है. 

ऐसे शांति में मर जाना कितना सुकूनदेह होगा...तुम फरिश्तों के देश से आई हो क्या...तो फिर तुम्हारे आंसुओं में कौन सी दुआ होती है कि ज़ख्म भर जाते हैं...तुम वोही लड़की हो न कहानियों वाली की जिसके आंसू में अमृत होता है...मरने वाले लौट आते हैं. तुम मेरे माथे पर अपने होठ रखती हो तो सारी चिंता ख़त्म हो जाती है...मेरी आँखों को चूम लो तो शायद ये फिर कभी जिंदगी में न रोयें...जिंदगी आज भर की ही है...जिंदगी भर मेरे पास रुक जाओगी क्या...तुम हो...बस इतना काफी होगा. 

मेरी खुशियों की किताब खो गयी है. तुम्हारे जाने के बाद जितनी किताबें पढ़ी सबमें बहुत दर्द था...मिलते मिलते लोग बिछड़ जाते थे...कभी नहीं मिलते थे. तुम्हारे जाने के बाद दुनिया में गरीबी थी, फाके थे, भुखमरी थी, दीवारों में ख़त्म होती सड़कें थी...चुप रोती आँखें थीं. तुम थी तो मेरी उंचाई आसमान थी...तुम्हारी आँखों में पनाह मांगता हूँ...मेरी जान, ये दुनिया तुम बिन मेरी जान ले लेगी. 




16 comments:

  1. Bahut sundar,pravahmayee lekhan!Samvednaa kaa ek samandar-sa hichkole khata raha...

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  2. सुन्दर शामों से आने वाली सुबह की पीड़ा जोड़ दी जायेगी तो हर स्वप्न भयावह हो जायेगा।

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  3. पूजा, बहुत दिन बाद आई और निराश नहीं हुई.
    घुघूतीबासूती

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  4. sabdon ka bejod prayog ...bhavnaon ka pravah ...aur sachhai mai bhigi hui dastan ......

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  5. ये advertisment की पहली salary की पार्टी कब मिल रही हैं..

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  6. khushiyon ki kitaab!
    kavyaatmak tewar behad sundar ban padaa hai

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  7. बहुत सुन्दर भाव समन्वय्।

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  8. :-)

    मैंने आपके बज्ज वाले पोस्ट को देख कर ही इस फिल्म के गाने डाउनलोड किये थे, और बेहद अच्छे भी लगे मुझे..

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  9. बहुत अच्छे....!! सुन्दर भाव

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  10. ख़ामोशी में एक गीत बजता है और ज़ख्म में टाँके लगने लगते हैं...

    सच्ची में!

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  11. या तो पोस्ट में लिखे भाव बहुत गहरे हैं या मेरी लैपटॉप स्क्रीन थ्री डी है :)

    on serious note...बातें बहुत सहेज के लिखी गयी लगती हैं...एक बार फिर से पढूंगा..पूरा गाना सुनने के बाद..

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  12. @देवांशु, तुम्हारे लैपटॉप की थ्री डी स्क्रीन के 'showoff' के लिए और कोई जगह नहीं मिली ;) :)

    on a serious note बहुत दिन बाद दिल चाहता है का ये डायलोग ऐसी परिस्थिति में सुना...मज़ा आ गया. वैसे अब तक गाना तो सुन ही लिए होगे...पोस्ट पढ़ भी लिए या थ्री डी चश्मा भिजवाऊँ :D :D

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