लिखना,
कागजों के ख़त्म हो जाने तक
आत्मा के उजालों को
जिस्म की सियाही में डुबो कर
चुप आँखों को ज़बान देना
मौन को कलम के चलने का शोर
लड़ना शब्दों से
लिखना अतीत के लिए
ताकि वो याद रख सके
कलम से घायल होने का स्वाद
.
वो सारे शब्द तुम्हारे हैं
जो युद्ध में शहीद नहीं हुए
तुम्हें उगानी हैं मुस्कानें
तुम्हें जिन्दा रखना है प्रेम
मौत की वादियों तक
मुट्ठी में भिंचे प्रेमपत्र की तरह
लिखना,
रद्दी कागजों पर
उलटे लिफाफों पर
नर्म ख्वाबों पर
लिखना...क्यूंकि
लिखना और जीना
अलग नहीं हैं.
कागजों के ख़त्म हो जाने तक
आत्मा के उजालों को
जिस्म की सियाही में डुबो कर
चुप आँखों को ज़बान देना
मौन को कलम के चलने का शोर
लड़ना शब्दों से
लिखना अतीत के लिए
ताकि वो याद रख सके
कलम से घायल होने का स्वाद
.
वो सारे शब्द तुम्हारे हैं
जो युद्ध में शहीद नहीं हुए
तुम्हें उगानी हैं मुस्कानें
तुम्हें जिन्दा रखना है प्रेम
मौत की वादियों तक
मुट्ठी में भिंचे प्रेमपत्र की तरह
लिखना,
रद्दी कागजों पर
उलटे लिफाफों पर
नर्म ख्वाबों पर
लिखना...क्यूंकि
लिखना और जीना
अलग नहीं हैं.
awesomm :):) likhna or jeena sachmuch alag nhi hai :)
ReplyDeleteजब जीवन ही स्याही बन कागज में फैल गया हो..
ReplyDeleteहां..लेखक के लिए लिखना और जीना अलग नहीं है।
ReplyDeleteसही है ..
ReplyDelete..लेखक के लिए लिखना और जीना अलग नहीं है।
बहुत सुन्दर. एकदम कुर्रम कुर्रम, कुर्कुरों की तरह.
ReplyDeleteतुम्हें जिन्दा रखना है प्रेम
ReplyDeleteमौत की वादियों तक
मुट्ठी में भिंचे प्रेमपत्र की तरह
Rachana nihayat sundar hai!
मुझे अपने लिखने के लिए जो चीज़ चाहिए- वह है एकान्त।किन्तु एक संन्यासी का एकान्त नहीं, वह काफी नहीं होगा; मुझे चाहिए- एक मृतक का एकान्त। इस अर्थ में लेखक मेरे लिए एक ऎसी नींद है, जो मृत्यु से भी ज़्यादा गहरी है और जिस तरह हम मृतक को उसकी क़ब्र से खींचकर बाहर नहीं ला सकते, उसी तरह रात की घड़ी में मुझे अपनी डेस्क से खींचकर कोई नहीं ले जा सकता।' ---Kaffka
ReplyDeleteलिखना...क्यूंकि
ReplyDeleteलिखना और जीना
अलग नहीं हैं.
क्या खूब कहा पूजा जी!
http://bharatmelange.blogspot.com
वो सारे शब्द तुम्हारे हैं...
ReplyDeleteलेकिन उन्हें तुम्हारी ही आवाज़ में सुनना चाहती हूँ...
कलम के शोर में नहीं..
awesome...
बहुत सुन्दर
ReplyDeletebohot khoob ..
ReplyDeleteलिखना...क्यूंकि
ReplyDeleteलिखना और जीना
अलग नहीं हैं.
सच है!
लिखना...क्यूंकि
ReplyDeleteलिखना और जीना
अलग नहीं हैं.
सच है!
ADBHUT LIKHA HAI POOJA....SACH....
लिखना...क्यूंकि
ReplyDeleteलिखना और जीना
अलग नहीं हैं.
यकीनन .. और वह लेखन जो मुस्कान उगाये.