07 September, 2011

धत, प्यार क्या होता है जी? हम नहीं जानते

अजीब लड़की थी, खिलखिलाती थी तो आँखें छलक आती थीं...मुस्कुराती थी तो हरसिंगार गमक उठते थे...गुनगुनाती थी तो सारे गृह अपने कक्षा में घूमने के बजाये रुक कर उसके हिलते होठ निहारा करते थे...कितनी बार तो उसे टोका की यूँ दुआओं की मुस्कुराहटें अजनबियों को मत दिया करो...तुम क्या जानो तुम्हारी एक दुआ से जिंदगी भर प्यार किया जा सकता है. पर लड़की एकदम ही अल्हड़ हुआ करती थी. सलीके से बस उसे चोटियाँ गूंथनी आती थीं जो उसने बचपन में नानी से सीखी थी...वरना तो उसे कुछ भी काम काज नहीं आता...सलीके का. 

लड़का भी थोड़ा दीवाना सा था...बाबूजी से दिन भर खेत खलिहान के तौर तरीके सीखता...जब बड़े भैय्या शहर जाते आगे की पढ़ाई करने के लिए उन्हें पाँच किलोमीटर दूर पैदल चलकर बस स्टैंड छोड़ने जाता...और फिर हर हफ्ते एक दिन जा के उस नीली बस को देख आता...उसके मन में बस के लिए भी वैसा ही आदर था जैसा भैय्या के लिए. मुंह अंधरे उठता, गुहाल में झाडू लगाता, कटिया चला के नरुआ(पुआल) काटता...कुएं से बाल्टी भरता और गाय को सानी पानी देता. इस समय लड़की भी उठती और गुहाल की कच्ची मिटटी वाली दीवाल पर दोनों बैठ कर सूरज उगना देखते...देवता को प्रणाम करते और दिन के काम में लगते. 

लड़की कोई गीत गाती रहती जिसका भावार्थ रहता की हे सूर्य देवता मेरे घर पर कृपा करो, गाँव पर कृपा करो, दूर परदेस में बैठे घर वालों को सुखी रखो...और कभी कभी कनखी से झाँक लेती की लड़का आसपास तो नहीं है...ऐसे में अपने मन से गीत में एक पंक्ति और जोड़ देती की लड़के पर भी किरपा करो...लड़का दूर कहीं धान के खेत में आम गाछ के नीचे बैठा हवा पर तैरता अपना नाम सुनता...इतने लाड़ से कोई भी तो नहीं बुलाता था उसे. 

लड़की ने नया नया दुपट्टा ओढ़ना सीखा था, कभी पुआल के टाल पर भूल आती, कभी कुएं की मुंडेर पर...लड़का ऐसे में उसकी ओढ़नी को छू कर देखता...ऐसा करने में उसे बड़ा अच्छा लगता...जैसे नए बछड़े के सर पर हाथ फेरने में लगता था, बिलकुल वैसा ही...कभी ऐसे में लड़की उधर पहुँच जाती तो दोनों सकपका जाते...घबरा के नज़रें  मिलाते और लड़की...धत...या ऐसा ही कुछ कहते हुए भाग जाती. शर्माना भी सीख रही थी आजकल...लड़का राहत की सांस लेता था. 

उसे भी आजकल लड़की के लिए कुछ छोटा मोटा करना अच्छा लगता...कुएं पर रहता तो पानी भर देता...कभी खेत से कच्ची छीमी ला देता कभी मूलियाँ...और अबकी उसने सोच रखा था की सावन में उसके लिए झूले लगाएगा...इस हफ्ते जब बस स्टैंड गया था तो सन ले आया था, बटाई करके रस्सी भी बुन रहा था रोज थोड़ी थोड़ी...और इधर सावन जो आने वाला था, गाँव की मिटटी में प्यार जैसा कुछ पनप रहा था...बारिश के आने पर सोंधी मिटटी की गंध आती है...पता चल जाता है की बारिश हुयी है.

उन्हें कब पता चला की उनमें जो हरी दूब जैसा नाज़ुक उग रहा है उसे प्यार कहते हैं...न लड़की को झूला झूलते वक़्त...न लड़के को झूला को धक्का देते वक़्त...हाँ जब उसकी मांग में सिन्दूर भर रहा था तो कुछ सात कसमें खिलायीं थी पंडित जी ने...पर उसमें ये कहाँ था की उस लड़की से प्यार करना है. 

आप आज भी उनसे पूछेंगे तो लड़की कहेगी...धत, प्यार क्या होता है जी? हम नहीं जानते...और लड़का भी ऐसा ही कुछ कहेगा...आप ही कहिये...और कैसे होता है प्यार?

23 comments:

  1. सभ्यता संस्कृति के रस में डूबी ...सुंदर कोमल अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  2. यह फिल्म कब बनेगी? बस ऐसी ही फिल्में देखने का मन करता है, भोला सा प्यार, न कसम, न अधिकार।

    ReplyDelete
  3. kaash bana paati Praveen ji..handycam kharida tha par chori ho gaya :( ab to fir kuch time lagega...tab tak patkatha hi padhiye :D

    ReplyDelete
  4. puja ji kai dinon se aapki lahron ko ginti rahi hu.aapke janmdin wali ,fir ek aur janmdin ki,aur uske baad aur bhi kai post padhi,apni si lagti hai har post na na laag na lapet,bas cute si pyari si.aur ye pyaaar ye to dil ko chu gaya bas...itna pyara itna komal...dhatt wala pyar teri kudmaai ho gai kya?yaad aa gaya :)
    ishwar kare jaldi hi aapke sapne poore ho film bane aur hum jese komal bhavnaon me vishwas karne walon ko dekhne mile....

    ReplyDelete
  5. ओह.!!
    कितना भोला,कितना निश्चल..
    बहुत प्यारा.. .. :) :)

    ReplyDelete
  6. उन्हें कब पता चला की उनमें जो हरी दूब जैसा नाज़ुक उग रहा है उसे प्यार कहते हैं...न लड़की को झूला झूलते वक़्त...न लड़के को झूला को धक्का देते वक़्त...हाँ जब उसकी मांग में सिन्दूर भर रहा था तो कुछ सात कसमें खिलायीं थी पंडित जी ने...पर उसमें ये कहाँ था की उस लड़की से प्यार करना है.
    Kitnee masoomiyat hai isme!

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति ..और कैसा होता है प्यार?
    ऐसा ही प्‍यारा और निश्‍छल ..

    ReplyDelete
  8. अच्छा पता है क्या होता है. होगा ये कि हमलोग आखिरकार अपने घर को लौट जायेंगे. हमें वहां कि मिटटी नहीं नसीब होती तो हम जिंदा तो जिंदा मर के भी भटकते रहेंगे. ऐसे मत लिखा करो.. कुछ शब्द बेहद असरकारक और पिछली याद में ले जाने वाले हैं, यहाँ वो नहीं है जो भूलने का नाटक करते हैं. दरअसल यहाँ वो है तो सचमुच भूल चुके हैं, थे.

    ReplyDelete
  9. गाँव की मिटटी में प्यार जैसा कुछ पनप रहा था...बारिश के आने पर सोंधी मिटटी की गंध आती है...पता चल जाता है की बारिश हुयी है.

    वाह सुन्दर पोस्ट...

    नीरज

    ReplyDelete
  10. padhte waqt sab kisi movie reel k jaise aankho k se guzarta h.. loved it :)

    ReplyDelete
  11. ek din facebook pe kuch logo se bola tha....mai jaldi ji pyar ki koi solid defni.. search karuga.......jise sab agree karenge........kambaqt fir se nahi samjh aya ki ye pyar hota kya hai............
    sayd dusri zindagi.....oh

    ReplyDelete
  12. सीधी-सादी बतिया, प्यारी-प्यारी बतिया
    ऐसन पोस्ट जे पढ़ी, जागी सारी रतिया

    ReplyDelete
  13. मुस्कान और स्नेह में निश्चय ही एक रिश्ता होता है...प्यार शायद वही है.पता नहीं पर पोस्ट अच्छी है.

    ReplyDelete
  14. मुस्कान और स्नेह में निश्चय ही एक रिश्ता होता है...प्यार शायद वही है.पता नहीं पर पोस्ट अच्छी है.

    ReplyDelete
  15. हम्म...
    लेकिन देखने वाले तो कह उठेंगे कि वो लड़की प्यार में पीएचडी थी :)

    ReplyDelete
  16. @ Puja Upadhyay
    फिल्म में कोई कहार आदि का रोल हो तो रोक कर रखियेगा।

    ReplyDelete
  17. ठीक है, तब तक पटकथा से ही काम चला लेते हैं, फिल्म जब बनेगी तो वाकई शानदार बनेगी..इसमें कोई शक नहीं!!

    ReplyDelete
  18. निश्छल प्रेम की अनुकृति जैसे प्रेम बस होता है अन -अभिव्यक्त सिर्फ महसूस होता है .

    ReplyDelete
  19. कितना निर्मल. हमें तो एक बहुत पुराना गीत याद आ गया "लहरों से पूछ लो, या किनारों से पूछ लो, फिर भी यकीन न होतो सितारों से पूछ लो"

    ReplyDelete
  20. प्यार इतना निश्छल और इतना भोला होता है ...पता नहीं ...परन्तु रचना अत्यंत प्रभावकारी है ...

    ReplyDelete
  21. प्यार कैसा होता है
    क्या तुम ये भी नहीं जानते ....?
    आँख छलक जाये
    पर जुबान पर न आये
    कुछ 'ऐसा' होता है - ये प्यार
    किसी को सपनों में पहली बार
    'छूने' जैसा होता है - ये प्यार
    जो बात बात पर कहे - तुम पागल हो
    कुछ उस 'पागल' के जैसा होता है - ये प्यार
    सिंदूर - जो सूरज की लाली से
    चुरा कर रखा था उसने.... उसके लिए
    कुछ उस 'चोर' के जैसा होता है - ये प्यार

    जो एक अतीत के ख्वाब के सहारे
    अपना पूरा जीवन गुज़ार दे
    कुछ 'उसके' जैसा होता है - ये प्यार...

    गुंजन

    ReplyDelete
  22. well hamesha ki tarah....tham gayi tumko padhkr Pooja.....plzzz kuch aur bhi post karo.....bahaut intezar karate ho.....

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...