11 July, 2011

खोये हुए मौसम

तुमने जो दिन गुमा दिए
उनमें कई खोये हुए मौसम थे
जिनका कसूर सिर्फ इतना था कि
उन्हें लौट आने के रास्ते मालूम नहीं थे

हवा टाँके हुए है...
किसी और शहर की बारिश का गीलापन
और शाम...टूटे वादों की तरह दिलफरेब
ऐसे किसी खोये हुए मौसम में
तुमसे मिलने का दिवास्वप्न. उफ़...

यादों की सारी फाइलें...
रिसाइकिल बिन में हैं बहुत दिनों से
परमानेंटली डिलीट करने में डरती हूँ
तुम कभी जो सर्च करने लगो किसी किस्से को
और नया कंप्यूटर भी इसलिए नहीं लेती...

तुमसे मिलने के लिए...
मंदिर का बहाना पहली गलती थी
भगवान को कमसेकम अपनी साइड रखते हम
उसका गुस्सा...इत्तिफकों का स्टॉक भी
इतने दिनों में कभी हमारे फेवर में नहीं होने देता..

सिर्फ इसलिए कि कुछ टूट गया...
सब कुछ खत्म तो नहीं हो जाता ना
ये कितना बड़ा हक है कि किसी वक्त तुमसे कह सकूँ
'बस तुम्हारी आवाज़ सुनने का मन कर रहा था'
और तुम कहो 'I love you too'.



9 comments:

  1. तुमने जो दिन गुमा दिए
    उनमें कई खोये हुए मौसम थे
    जिनका कसूर सिर्फ इतना था कि
    उन्हें लौट आने के रास्ते मालूम नहीं थे
    Sach aisee baaton ka ta-umr afsos rahta hai!

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  2. बहुत प्‍यारा लगा आपका ये अंदाज।

    आई लाईक योर ब्‍लॉग।

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  3. चार पल मिले तो आज, प्यार में गुजार दे,
    खिलते हैं गुल यहाँ...

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  4. Pooja mujhe roz aapki post ka wait rahata hai..... aapka kuch bhi likha mujhe bahaut pasand hai... roz sabse pahale apke kiye updation ko dekhti hun... I m ur fen Pooja..... really awsummmm likhte ho aap.... itna to haq hai mujhko...ki jab man ho tab tumse kah sakun ki tumhari awaaz sunne ka man kar raha tha... aur tum kaho "I love U" ... awsummm

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  5. हवा टाँके हुए है...
    किसी और शहर की बारिश का गीलापन
    और शाम...टूटे वादों की तरह दिलफरेब
    ऐसे किसी खोये हुए मौसम में
    तुमसे मिलने का दिवास्वप्न. उफ़...
    bahut achchhi rachna

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  6. गोया'.इन्फेकशियस" हो रही हो... आहिस्ता आहिस्ता

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  7. सुबह सुबह ऐसी कविता..
    और शायद बारिश फिर होगी आज..

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  8. "यादों की सारी फाइलें...
    रिसाइकिल बिन में हैं बहुत दिनों से
    परमानेंटली डिलीट करने में डरती हूँ
    तुम कभी जो सर्च करने लगो किसी किस्से को"

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