14 July, 2011

गुज़र जायें करार आते आते

मेरा एक काम करोगे? बस आईने के सामने खड़े हो जाओ और अपनी आँखों में आँखें डाल कर कह दो कि मुझे दुःख पहुँचाने पर तुम्हारी आत्मा तुम्हें नहीं कचोटती है...क्यूंकि मुझे अब भी यकीन है कि दुनिया में अगर कुछ लोगों के अंदर आत्मा बची हुयी है तो तुम हो उनमें से एक...मेरे इस विश्वास को बार बार झुठला कर तुम्हीं क्या मिलता है?

पता है...अच्छा बनना बहुत मुश्किल है, दुनिया के हिसाब से तो बाद में चला जाए सबसे पहले हमें अपने खुद के हिसाब से चलना होता है. क्यूंकि अभी भी वो वक्त नहीं आया है कि हम अपने अंदर के इंसान को गला घोंट कर मार सकें...बहुत दुःख उठाने पड़ते हैं. लोग आते हैं चोट देकर चले जाते हैं और हम कुछ कर नहीं पाते...इसलिए नहीं कि हम चोट पहुँचाने के काबिल नहीं है...लेकिन इसलिए क्यूंकि हम चाह कर भी किसी को उस तरह से तोड़ नहीं सकते. अपनी अपनी फितरत होती है.

कितना अच्छा लगता है न कि तुम इस काबिल हो कि किसी को चोट पहुंचा सको...बहुत पॉवरफुल महसूस होता है...कि किसी को कुछ बोल दिया और लड़की रो पड़ी...तोड़ना सबसे आसान काम है...मुश्किल तो बनाना होता है. किसी रिश्ते को खून के आंसू सींच कर भी जिलाए रखना...सहना होता है...धरती की तरह तपना, जलना और फिर भी जीवन देना. सिर्फ इसलिए कि तुम जानते हो कि किसी को तुम्हारी जरुरत है...भले छोटी सी ही सही तुम उसकी जिंदगी का हिस्सा हो...उसे इस बात का और भी शिद्दत से अहसास दिलाना. अरे जी तो लोग भगवान से भी नाराज़ होकर लेते हैं...क्या फर्क पड़ता है किसी के होने न होने से.

बुरा बनना आसान है...कोई कुछ भी कहे तो कह दो कि हम ऐसे ही हैं...तुम्हें पता होना चाहिए था  कि हम बुरे हैं. बुरा होना कुछ नहीं होता...बस अपनी गलतियों के लिए बहाना होता है. कुछ लोग राशि को ब्लेम करते हैं और कुछ फितरत को. वाकई अच्छा बुरा कुछ नहीं होता...होती है बस जिद- दिखने की कि तुम मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं हो. अंग्रेजी में कुछ शब्द वाकई बड़े सटीक हैं जैसे Status-Quo यानि पलड़ा बराबर का रखना. कुछ देना तो बदले में कुछ लेना भी. पता नहीं हमारे संस्कार ही कुछ ऐसे हो जाते हैं कि रिश्तों में इतना मोलतोल नहीं कर पाते.

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पता नहीं क्यूँ आज शाम बारिश ने कई पुराने ज़ख्म धुला कर नए कर दिए. कितने शिकवे गीले हुए तार पर पड़े हैं...आज दुपहर ही सुखाने डाला था...बस ऐसे ही.
होता है न जब आप सबसे खुश होते हो...तभी आप सबसे ज्यादा उदास होने का स्कोप रखते हो.

19 comments:

  1. खुशी, यूं ही कैसे सहज बीत जाए, उसका तो क्‍लाइमेक्‍स ही उदासी है.

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  2. खुशी के पलों में ही इतनी भारी उदासी का जिक्र किया जा सकता है।

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  3. जब आप सबसे खुश होते हो...तभी आप सबसे ज्यादा उदास होने का स्कोप रखते हो.

    शायद!!

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  4. ज्यादा नहीं बस इतना ही...कि मेरी भावनाओं को आपने उकेरा है अपने शब्दों में पूजा...... किसी ठहरे हुए को स्पंदित करना.... फिर स्वयं ही उसे हाथ से मरोर कर निह्श्वांस कर देना......वाकई बहुत आसान है उसके लिए

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  5. होता है न जब आप सबसे खुश होते हो...तभी आप सबसे ज्यादा उदास होने का स्कोप रखते हो.

    Ise hi aajmaya hai zindgi mein....

    simple hona bilkul bhi mushkil nahi pooja ....bas log aur kabhi kabhi ham khud apni hi simplcity mein complexity dhoondh lete hain

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  6. why do you do this??? khush rehna aur udaas hona ek hi sikke ke do pehlu hain... kisi agli post mein bataunga

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  7. "क्यूंकि हम चाह कर भी किसी को उस तरह से तोड़ नहीं सकते" - सच है. कई ऐसे काम चाह कर भी नहीं हो पाते और ऐसे लोगों को कई बार खुद के ऐसा होने पर गुस्सा भी आता है.
    "जब आप सबसे खुश होते हो.." ... तब का तो पता नहीं लेकिन कुछ ऐसे भी होते जो जब बहुत उदास होते हैं तो कुछ 'कर गुजरने के' अपने सबसे अधिक पोटेंशियल पर होते हैं.

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  8. "जब आप सबसे खुश होते हो...तभी आप सबसे ज्यादा उदास होने का स्कोप रखते हो"

    सही कहा है आपने.

    "क्या गम है जिसको छुपा रहे हो,
    तुम इतना जो ....."

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  9. "तोड़ना सबसे आसान काम है...मुश्किल तो बनाना होता है. किसी रिश्ते को खून के आंसू सींच कर भी जिलाए रखना...सहना होता है...धरती की तरह तपना, जलना और फिर भी जीवन देना. सिर्फ इसलिए कि तुम जानते हो कि किसी को तुम्हारी जरुरत है...भले छोटी सी ही सही तुम उसकी जिंदगी का हिस्सा हो"

    ---एकदम सही और सच्ची बात

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  10. सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, एक जाना दूसरे के आने का संदेश होता है ...जैसे हर रात की सुभा जरूर होती है ....उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए ....

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  11. "इसलिए नहीं कि हम चोट पहुँचाने के काबिल नहीं है...लेकिन इसलिए क्यूंकि हम चाह कर भी किसी को उस तरह से तोड़ नहीं सकते. अपनी अपनी फितरत होती है." ----
    और अपनी इसी फितरत पर कभी कभी गुस्सा आता है....

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  12. पूजा उपाध्याय जी ,
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

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  13. Break the rule but not the heart...मेरे एक दोस्त ने एक बार बोला था...आज अपने एक्सप्लेन कर दिया...वाह

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  14. बुरा बनना आसान है...कोई कुछ भी कहे तो कह दो कि हम ऐसे ही हैं...तुम्हें पता होना चाहिए था कि हम बुरे हैं. बुरा होना कुछ नहीं होता...बस अपनी गलतियों के लिए बहाना होता है..
    behatareen...

    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  15. कभी कभी कुछ शब्द जेहन से उतर कर दिल में बस जाते है . आपकी इस पोस्ट ने वही काम किया .. बहुत ही दिल को छूती हुई पोस्ट ..

    आभार
    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  16. Quite a thought provoking post this was... "बुरा बनना आसान है...कोई कुछ भी कहे तो कह दो कि हम ऐसे ही हैं..." never realised this side of the coin while saying "main aisa hi hun".. probably will now think a 100 times before saying this...

    "पता नहीं क्यूँ आज शाम बारिश ने कई पुराने ज़ख्म धुला कर नए कर दिए.... ...तभी आप सबसे ज्यादा उदास होने का स्कोप रखते हो." -amazing! :)

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  17. कभी कभी कुछ कहने के लिए ख़ामोशी सबसे मुफ़ीद लगती है...सो बस खामोश हूँ...।

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