जाड़ों की अच्छी प्यारी धूप में कुर्सी टेबल लगा के बैठे हुए पढ़ा करते थे. हाँ...पहले प्यार से हमेशा केमिस्ट्री भी याद आती है, एक वही ऐसा सब्जेक्ट था जो गुनगुनी धूप में किसी के बारे में सोचते हुए भी पढ़ा जा सकता था. कलम उधर इक्वेशन लिखती और दिलो दिमाग इधर अपने समीकरण दौड़ाता रहता. कार्बोन, हाइड्रोजेन और ओक्सीजेन उनके बीच के बोंड्स सब चलते रहते...सब कुछ याद भी होता रहता. मैं अपने दिमाग को मल्टी-टास्किंग कहती थी. किसी को पूरी शिद्दत से याद करते हुए पढ़ाई करना कोई साधारण इंसानों का काम था, इसके लिए बेहद concentration की आवश्यकता होती थी.
मेरे पाटलिपुत्रा वाले घर में बहुत सारे कनेल के पेड़ थे जो जाड़ों में पीले फूलों से लदे रहते थे तो हवा में हलकी सी कनेल की तीखी गंध भी तिरती रहती थी. उसके अलावा बहुत से गुलाब जो हमारे पड़ोसी ने लगाए थे और मेरे घर के आगे के जंगली गुलाबों की खुशबू bhi रहती थी. वो गुलाब खूबसूरत नहीं होते थे पर बेहद खुशबूदार होते थे धूप की गर्मी में ये सारी खुशबुयें एक मोहक समां बना देती थीं. मोहल्ले में गुलमोहर और अमलतास के पेड़ थे और बोगनविलिया...तो जब पढ़ना बहुत हो जाता था तो आराम से धूप की ओर पीठ कर के चेहरे को अपने पसंदीदा सिल्क के स्कार्फ से आधा ढक लेते थे और किसी गीत को गुनगुनाते हुए झपकी मार लिया करते थे.
याद इस वाकये की यों आई कि मेरा एक करीबी दोस्त अभी लन्दन से वापस आ रहा था...सो हमने कह दिया, मेरे लिए एक सेंट लेते आना. लोग अक्सर विदेश से परफ्यूम लेके आते हैं पर हमको चूँकि पता था कि अगर हम बोलेंगे नहीं तो अठन्नी नहीं लाएगा सो हमने कह दिया. उसने मेरे लिए जो परफ्यूम लिया उसका नाम है 'Trésor in Love' by Lancôme. अब जैसा कि होता है...हमने इन्टरनेट पर रिसर्च मारा कि ये कैसा परफ्यूम है...क्योंकि नील ने तो बस काउंटर पर पूछा होगा और लिया होगा मेरी जिम्मेदारी बनती है कि देख लूं कि कौन लोग लगाते हैं ऐसा परफ्यूम. हमको बहुत ज्यादा आइडिया तो है नहीं इन चीज़ों का, ऐसा ना हो कोई पूछ ले या कुछ बोल दे तो हमको कुछ बोलने को ना मिले.
परफ्यूम को पहली बार लगाया था तो पटना की दोपहरें ही याद आयीं थी...गुनगुनी, खुशमिजाज़ और खुशबूदार, एक दौर की जब चिंता नहीं होती थी, जब सब अच्छा होता था. बाद में पढ़ा तो जाना कि ये एक स्प्रिंग यानि कि बहार या वसंत की खुशबू है. अच्छी सी, खुशनुमा सी...इसके description में लिखा है कि ये प्यार के पहले लम्हे को शीशी में बंद करने की कोशिश है. अधिकतर इन चीज़ों पर मेरा विश्वास नहीं होता. चूँकि खुद भी इसी फील्ड से हूँ...जानती हूँ कि advertising में ये सब बस कोरे शब्द हैं...पर आश्चर्यजनक रूप से इस परफ्यूम के विषय में सच में ऐसा लगता है कि पहले प्यार की ही खुशबू है.
तो ये आज की पोस्ट...To my women readers...indulge yourselves...it makes you feel happy, young, liberated. और बाकी लड़के जो पढ़ रहे हैं...अगर वाइफ, प्रेमिका या किसी अजीज दोस्त को कोई परफ्यूम गिफ्ट करना है तो कर सकते हैं. उसे अच्छा लगेगा.
डिस्कलेमर: इस पोस्ट को लिखने के लिए हमको कोई पैसे नहीं मिल रहे हैं...ना कोई फ्री की परफ्यूम मिल रही है :) ये पोस्ट पूरी पूरी लोगों की मदद करने के लिहाज से लिखी गयी है :)
फिर वही कुञ्ज-ए-कफस, फिर वही सैयाद का घर...!
ReplyDeleteरोचक पोस्ट।आभार।
ReplyDeletethankyou Pooja....perfume se bhee pyar jo hota hai vo fir jindagee bhar chootata nahee...........
ReplyDeletekabhee Beautiful use karna fir aur koi perfume bhaegee nahee........
post share karne ke liye dhanyvad
बहुत खूब! प्यारी पोस्ट!
ReplyDeleteदिसंबर इश्क करने का वक़्त होता है!!
ReplyDeleteयहाँ मैं अटक गया था...कुछ एक बात याद आ गयी युहीं, काफी देर तक सोचते रहा फिर आगे पढ़ा :)
वैसे परफ्यूम का दाम कितना होगा?खरीद पायेंगे तब तो गिफ्ट देने की सोचे...
वैसे तो मेरे भी कुछ नालायक दोस्त रहते हैं विदेश में, लेकिन उनको कहूँगा तो कभी नहीं लायेंगे...
@ abhi दाम पूछ के मार खाने की कोई तमन्ना नहीं थी मेरी...एक बार इशारे में पुछा भी तो ऐसी धमकी मिली की क्या कहें. किसी दिन mall जाउंगी तो देख कर बता पाउंगी. थोड़ा तो महंगा होगा ही :)
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeleteमदद के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteवैसे दिसम्बर महीना हमारे लिए यूँ भी अच्छा है कि आपकी काफी पोस्ट्स पढ़ने को मिल रही है :)
मानोज