तुझको पल भर मिलूं और खूबसूरत हो दुनिया
मेरी नज़र में बस इक यही प्यार है जानां
तुझसे झगडूं तो मेरा बचपन लौट लौट आये
इससे प्यारी कोई तकरार है जानां?
नीम बेहोश पलकों को तेरे ख्वाब चूमें
तेरे बोसे हमपे उधार हैं जानां
तुम्हारी बालकनी पे शाम कोई सूरज डूबे
मेरी रातों को भी कौन सा करार है जानां
इत्तिफकों की कोई लौटरी निकल आये
तू मिले तो लगे, परवरदिगार है जानां
अबकी बार मेरी बाँहों में पल भर रुकना
तुझे मालूम पड़े तुझको भी प्यार है जानां
बहुत ही सुन्दर प्रेम भरी रचना है।
ReplyDeleteइत्तिफकों की कोई लौटरी निकल आये
ReplyDeleteतू मिले तो लगे, परवरदिगार है जानां
superrrrbbb....!!!!!!!
bohot pyaari ghazal hai, vo takraar wala sher, udhaar wala sher, ek ek sher behtareen hai....lovely :)
नीम बेहोश पलकों को तेरे ख्वाब चूमें
ReplyDeleteतेरे बोसे हमपे उधार हैं जानां
इत्तिफकों की कोई लौटरी निकल आये
तू मिले तो लगे, परवरदिगार है जानां
एक से बढ़ कर एक खूबसूरत शेर ....बहुत अच्छी गज़ल ..
एक बार उतर, इस समन्दर के भीतर,
ReplyDeleteलहरों में जानो, कितनी धार है जानां।
ओह्ह.. मार ही डाला आपने...एक एक शेर उम्दा...
ReplyDeleteमाशाल्लाह ....
sundar bhaav..
ReplyDeletekhoobsurat se ehsaas,
kaafi accha laga padhkar!
dhanyawaad sahit..
#ROHIT
''नीम बेहोश पलकों को तेरे ख्वाब चूमें'' लाजवाब नजाकत.
ReplyDeletekatil najm hai ek dam :)
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