तो पढ़ने का इंतजार रहेगा...
तक रहे हैं...कब फुरसत मिले..
तस्वीर बहुत सुन्दर आई है :) शीर्षक गीत परसों फ़ोन पर कुश को गा कर सुनाया था :)
कुश की तबियत तो ठीक है अब...ऐसे थोड़े डराते हैं लोगों को...किसी कि भलमनसाहत का गलत फायदा मत उठाइये सागर साहब.
बस वो आखिरी फोन था.. उसके बाद किसी को फोन ही नहीं किया है.. अभी तक सदमे में हूँ..दो चार बाल आ गए है चेहरे के आगे.. हटा लेना..
veri nice pic...........post ka intejar rahe ga.......
बस जल्दी से फुर्सत को पकड लीजिए और लिख डालिए। इंतजार रहेगा।
kya baat hai......nice photo hai..
वाकई लहरें है और दिल भी हिलोरे मार रहा है,इंतज़ार रहेगा आपकी पोस्ट का।
वैसे तस्वीर चुराकर ले जाने जैसी है .खीचने वाले को मेरा सलाम देना ......
तस्वीर और इस संक्षिप्त वाक्य को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपका सफ़र कितना रोमांचक रहा होगा....प्रतीक्षा रहेगी विवरण की..यूँ pichhle बारह दिन की यात्रा में मैं भी इस तरह डूबी हुई हूँ कि मन वहां से निकल ही नहीं पा रहा...
खूबसूरत तस्वीर .
वाह..कहा हो? गोआ? वैसे ये लाईन बडी पसन्द आयी-समंदर क्यूँ कभी थकता नहीं, लहरों को यूँ पटकते हुए
कुछ करना या नहीं....जब तक मौका मिले झूला मत छोड़ना समंदर किनारे....कोई और आ जाएगा बैठने
bot khoob likha hai.... pasand ayi apki abhilasha..
तो पढ़ने का इंतजार रहेगा...
ReplyDeleteतक रहे हैं...कब फुरसत मिले..
ReplyDeleteतस्वीर बहुत सुन्दर आई है :) शीर्षक गीत परसों फ़ोन पर कुश को गा कर सुनाया था :)
ReplyDeleteकुश की तबियत तो ठीक है अब...ऐसे थोड़े डराते हैं लोगों को...किसी कि भलमनसाहत का गलत फायदा मत उठाइये सागर साहब.
ReplyDeleteबस वो आखिरी फोन था.. उसके बाद किसी को फोन ही नहीं किया है.. अभी तक सदमे में हूँ..
ReplyDeleteदो चार बाल आ गए है चेहरे के आगे.. हटा लेना..
veri nice pic...........post ka intejar rahe ga.......
ReplyDeleteबस जल्दी से फुर्सत को पकड लीजिए और लिख डालिए। इंतजार रहेगा।
ReplyDeletekya baat hai......
ReplyDeletenice photo hai..
वाकई लहरें है और दिल भी हिलोरे मार रहा है,इंतज़ार रहेगा आपकी पोस्ट का।
ReplyDeleteवैसे तस्वीर चुराकर ले जाने जैसी है .खीचने वाले को मेरा सलाम देना ......
ReplyDeleteतस्वीर और इस संक्षिप्त वाक्य को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपका सफ़र कितना रोमांचक रहा होगा....प्रतीक्षा रहेगी विवरण की..
ReplyDeleteयूँ pichhle बारह दिन की यात्रा में मैं भी इस तरह डूबी हुई हूँ कि मन वहां से निकल ही नहीं पा रहा...
खूबसूरत तस्वीर .
ReplyDeleteवाह..कहा हो? गोआ?
ReplyDeleteवैसे ये लाईन बडी पसन्द आयी-
समंदर क्यूँ कभी थकता नहीं, लहरों को यूँ पटकते हुए
कुछ करना या नहीं....जब तक मौका मिले झूला मत छोड़ना समंदर किनारे....कोई और आ जाएगा बैठने
ReplyDeletebot khoob likha hai.... pasand ayi apki abhilasha..
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