08 March, 2010

कि दिल अभी भरा नहीं...


३६ घंटे, १००० किलोमीटर और याद करने को कुछ बेहतरीन लम्हे...फुर्सत मिली तो लिखेंगे...

15 comments:

  1. तो पढ़ने का इंतजार रहेगा...

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  2. तक रहे हैं...कब फुरसत मिले..

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  3. तस्वीर बहुत सुन्दर आई है :) शीर्षक गीत परसों फ़ोन पर कुश को गा कर सुनाया था :)

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  4. कुश की तबियत तो ठीक है अब...ऐसे थोड़े डराते हैं लोगों को...किसी कि भलमनसाहत का गलत फायदा मत उठाइये सागर साहब.

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  5. बस वो आखिरी फोन था.. उसके बाद किसी को फोन ही नहीं किया है.. अभी तक सदमे में हूँ..


    दो चार बाल आ गए है चेहरे के आगे.. हटा लेना..

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  6. veri nice pic...........post ka intejar rahe ga.......

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  7. बस जल्दी से फुर्सत को पकड लीजिए और लिख डालिए। इंतजार रहेगा।

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  8. वाकई लहरें है और दिल भी हिलोरे मार रहा है,इंतज़ार रहेगा आपकी पोस्ट का।

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  9. वैसे तस्वीर चुराकर ले जाने जैसी है .खीचने वाले को मेरा सलाम देना ......

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  10. तस्वीर और इस संक्षिप्त वाक्य को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपका सफ़र कितना रोमांचक रहा होगा....प्रतीक्षा रहेगी विवरण की..

    यूँ pichhle बारह दिन की यात्रा में मैं भी इस तरह डूबी हुई हूँ कि मन वहां से निकल ही नहीं पा रहा...

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  11. वाह..कहा हो? गोआ?
    वैसे ये लाईन बडी पसन्द आयी-
    समंदर क्यूँ कभी थकता नहीं, लहरों को यूँ पटकते हुए

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  12. कुछ करना या नहीं....जब तक मौका मिले झूला मत छोड़ना समंदर किनारे....कोई और आ जाएगा बैठने

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  13. bot khoob likha hai.... pasand ayi apki abhilasha..

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