05 July, 2007

एक उड़ता सा ख्याल

दो दिन और
मेरी धड़कनों ठहर जाओ

वो फिर नहीं आएगा…कभी

तुम्हारी रिदम को तोड़ने के लिए

दो दिन और ऐ मेरी आंखों

भीड़ में उसे देखने के लिए भटको

फिर वो खो जाएगा

और तुम उसे नहीं ढूँढ़ोगी

दो दिन और मेरे होंठों पर

एक मुस्कराहट दौड़ेगी

एक आंसू का स्वाद आएगा

और तुम सिगरेट में उसे फूंकोगी

जिंदगी…तू भी बर्दाश्त कर ले

चांद लम्हों की ये जानलेवा छटपटाहट

बिखरे लम्हों के नेज़ों की हरारत

दर्द की इस गाँठ को शायद खोल दे

दो दिन और मेरी सांसें ठहर जाओ

अभी दो दिन और उससे मिलना है

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