देर रात तक तनहा चाँद से गुफ्तगू की मैंने
फ्लाईट पर खिड़की से कोहनी टिका के
कमबख्त चाँद भी तुम्हारी तरह पास होने का धोखा देता है
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हवाईजहाज से आसमान भी space जैसा दिखता है रात को
चांदनी में लिपटे बादल शनि के छल्लों जैसे
और अचानक जैसे हवाईजहाज टाईम मशीन हो जाता है
लगता है स्वर्ग यहाँ से कुछ ज्यादा नज़दीक होगा
सोचती हूँ भगवान के हाथ एक मेसेज भिजवा दूं
"तुम बहुत याद आती हो मम्मी, इतने दिनों बाद भी उतनी ही"
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मेरे बचपन के भी किस्से रहे होंगे
कुछ खूबसूरती के, कुछ शैतानियों वाले
कुछ कपड़े लत्तों के, पसंदीदा मिठाइयों के
घूमने फिरने के, रोने धोने के
माँ के जाने के साथ बचपन के सारे किस्से चले जाते हैं।
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आज मैंने भी डायरी के कुछ पुराने पन्ने पढ़े, और जी भर के उन सारे लोगों को एक सिरे से कोसा जो कहीं खो गए हैं, गुमशुदा से कुछ लम्हे मिले आँखें नाम करने वाले। dairy मिल्क के कुछ rappers, कुछ स्टिकर्स, एक सूखा हुआ फूल...कुछ मरे कॉकरोच।
और मिली माँ की ढेर सी चिट्ठियां, हिम्मत नहीं हुयी उन्हें खोल कर पढने की...बस लिखावट को देखा और टीसते दर्द को डायरी के साथ बंद कर दिया।
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किसी ज़माने में एक सीरियल आता था, तनहा...उसका टाइटल गाना बहुत ढूँढा और आज मिल ही गया...मुझे बेहद पसंद है, शायद आपको भी हो...
देखिये तो लगता है, जिंदगी की राहों में,
एक भीड़ चलती है...
सोचिये तो लगता है, भीड़ में है सब तनहा...
पूजा जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आई । आपकी चोटी छोटी क्षणिकाएं बहुत पसंद आईं । गाना बडा टूटा टूटा सा सुनाई दिया पर जितना सुन पाई पसंद आया ।
ReplyDeleteएक से संभला नहीं दूसरा पोस्ट... दिल के सारे मरीज़ ब्लॉग पर ही जमा हैं भावुक करने को .) .)
ReplyDeleteवैसे साड़ी बात तो तुमने लिख ही दी... बचा क्या कहने को बस पढ़े जाओ
गुमशुदा से कुछ लम्हे मिले आँखें नाम करने वाले। dhune use jo kho gaya.kuch ik dino se yaado ko yaad karne wali post mili hai.apoorv ji ki,kush ji ki apki.yaadein hi to hoti hai jo chali jati hai .
ReplyDeleteमाँ के जाने के साथ बचपन के सारे किस्से चले जाते हैं।....यह तो सच है ....तीनों बेहद पसंद आई ...डायरी के पन्ने भी संभल कर खोने चाहिए ...अक्सर यह अजब से नजर आते हैं
ReplyDeleteत्रिवेणी का शिल्प नहीं जानता पर शुरुआती तीन लाइनें
ReplyDeleteभाव-सम्पदा में त्रिवेणी से कम नहीं हैं ..
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जहाज पर कभी नहीं बैठा हूँ पर अगर ऐसा प्रतीत होता है
तब 'रोजी हो की ऐसा घटे ' .. इतनी टेक्नोलोजी के बीच रहते हुए
यह याद आना काबिलेतारीफ है --- ''... सोचती हूँ भगवान के हाथ एक मेसेज भिजवा दूं
"तुम बहुत याद आती हो मम्मी, इतने दिनों बाद भी उतनी ही"
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इतनी आत्मीयता भरा लेखन सहज ही प्रभावित करता है ..
''.... बड़ी होती दुनिया
छोटी होती दुनिया है .... ''
........... आभार ,,,
चिठी पढें न पढें मा की यादें तो हर पल दिल पर लिखी रहती हैं गीत अच्छी तरह सुन नहीं जा सका शुभकामनायें
ReplyDeleteमाँ बस माँ होती है
ReplyDelete"इतने दिनों बाद भी उतनी ही"
ReplyDeleteआज क्या लिख बैठी पूजा.. बस सायलेंट ही कर दिया है..
ऐसी पोस्ट्स बार बार नहीं लिखी जाती..वन ऑफ़ द बेस्ट !!
wakai sab tanha hai .... bheed hone ke baad bhi... bahut khoob ji
ReplyDeleteपता है पूजा, चौथी बार आया हूं इस पोस्ट पर.. मगर कुछ लिख नहीं पाया.. पढ़कर चुप रहने का ही मन करता है.. कभी दोस्तों के बीच ऐसी बात कोई कह देता/देती है तो हमारे चेहरे के भाव सभी कुछ कहते हैं.. जिसे ब्लौग पर लिखे चंद शब्दों के कमेंट नहीं कह सकते हैं.. शायद ब्लौग कि ये सबसे बड़ी कमी है..
ReplyDeleteमेरा सबसे क्लोज फ्रेंड्स में से एक फ्रेंड है.. जब वह दसवीं में था तब चाची जी(उसकी मां) का स्वर्गवास हुआ था.. मैं उसके साथ पिछले 6 साल से रह रहा हूं और वह सबसे अधिक बात मुझसे ही करता है, मगर कभी उसे मां के बारे में कुछ कहते नहीं सुना.. दोस्तों के बातों में जब भी किसी की मां के बारे में जिक्र आता है तब वह चुप रह जाता है.. मैं उसके भीतर की तड़प को बेइंतहा महसूस करता हूं.. और बातो का टॉपिक बदल देता हूं..
कालेज में छुट्टियों में घर से लौटने पर सभी घर से कुछ ना कुछ लाते थे, और मेरे गुप्त मिठाई के डब्बे भी सिर्फ और सिर्फ उसी के लिये खुले होते थे.. मगर घर से आये किसी खाने की चीज को वह ना तब हाथ लगाता था और ना अब लगाता है.. हां यहां चेन्नई से ली हुई सभी खाने की चीजों पर टूट पड़ता है.. इसका कारण भी उसने कभी किसी से नहीं कहा, मगर मैं समझ जाता हूं.. हमारे बीच अक्सर मूक संवाद चलता रहता है..
एक दिन वह मुझे अपना एक डायरी पढ़ने के लिये दिया(उससे पहले तक मैं यही जानता था कि वह डायरी नहीं लिखता है).. उसका सारांश कुछ ऐसा था "मेरे सभी दोस्त समझते हैं कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं क्योंकि मुझे वह हर चीज आसानी से मिली है जिसके लिये उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है.. और मैं भी एक हद तक उनसे सहमत हूं.. मगर मां को खोकर मैं भाग्यशाली नहीं होना चाहता प्रभु.." इसे पढ़ने से पहले तक मैं यही जानता था कि वह भगवान को नहीं मानता है, मगर यह पढ़ने के बाद मैं यह जान गया कि वह भगवान को मानता है मगर भगवान से बहुत नफ़रत करता है..
अगर इन बातों को पढ़कर सेंटी हो गई होगी तो आई एम रियली सॉरी.. मैं भी सेंटी हो गया हूं, नहीं तो भला रात के ढ़ाई बजे के लगभग ये सब कोई लिखेगा..
पहले मुझे लगा की कुछ नहीं लिखना चाहिए क्योंकि यह दो लोगों के बीच संवाद है . लेकिन PD के पोस्ट में कुछ बात ऐसी है जिसका निराकरण अगर हो सके तो अच्छा होगा. आपके मित्रा की भावनाओं का पूरा सम्मान करते हुए यह कहना चाहूँगा माँ की भुलाई जाने वाली चीज नहीं है लेकिन उसे जाना ही पड़ता है . ज्यादातर अपने बच्चों से पहले क्योंकि उसने अपना अहम कार्य कर दिया होता है आपको इस दुनिया में लाने और दिशा दिखाने का . माँ भी खुश होती है जब बच्चा अपने पैरों पर खड़ा होता है क्योंकि इसमे उसका गर्व भी शामिल है अपने काम को अंजाम देने का . भारी मन से अपने बेटी और अब बेटे को भी दूर होने देती है उसकी खुशी के लिए .
ReplyDeleteचलते चलते एक बात और आजकल लोग अपने या दूसरों की भावनाओं को दबाने की कोशिश करते हैं सेंटी कहा कर . लेकिन यही भावनाये हैं जो इंसान को अलग बनती हैं .
Nostalgia always bring pain.
ReplyDeleteEach one of human beings experience this, again and again, in one's lifetime.
I wish I could understand this human tendency?
Best Wishes
मेल को छोड़ रखा है इन-बाक्स में अभी कुछ दिनों के लिये...लेकिन यहां रोक न पाया कुछ कहने से....
ReplyDeleteनया साल आते ही सारे लिक्खाड़ सब डायरियों की ही बातें क्यों करने लगते हैं?
"नया साल आते ही सारे लिक्खाड़ सब डायरियों की ही बातें क्यों करने लगते हैं" वाह जी, आपने ही बीमारी लगायी और भर ब्लॉग वर्ल्ड को infection फैला कर मासूमियत से सवाल पूछ रहे हैं. :) इस मासूमियत पर कुर्बान :)
ReplyDeleteपूजा तुम्हे कभी भी आप कहना असहज लगता है मगर कोई अनौपचारिक रिश्ता ना होने के कारण आप ही लिखती हूँ, मगर आज नही कह पा रही
ReplyDeleteपिछली पोस्ट पर कमेंट के लिये तुमने विकल्प नही छोड़ा, तो यहाँ कह रही हूँ....! तुम सच कह रही हो कि माँ जिंदगी के लिये सबसे ज़रूरी चीज होती है। उसके जैसा प्यार कोई नही दे सकता कोई भी नही...!
माँ हैं मेरी, फिर भी ना जाने क्यों हमेशा सोचती हूँ कि माँ की उम्र मेरी उम्र से भी ज्यादा क्यों नहीन है।
आँखें नम करती हैं तुम्हारी बातें...!
Sochiye to lagta hai, bhid mein hai sab tanha...
ReplyDeletePuja, that's nice song, I would search later that singer.
Thank You.
Thanks for sharing kafi dino se man me ghumad raha tha yah gaana.
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