31 March, 2013

ऑफिस डायरीज- हाई ऑन लाइफ

कल ऑफिस की ऑफसाईट थी. पिछले कुछ दिनों से इसमें बहुत सारा काम था और चूँकि ये सबसे सीक्रेट रखना था तो हमारी टीम का काम और भी मुश्किल हो गया था. देर रात तक काम करना, सन्डे को काम करना...परेशान रहना...प्रेशर में रहना. झगड़ा करना. घर पर कुछ भी ध्यान नहीं दे पाना. जाने कितनी रातों से डिनर किया ही नहीं था. 
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सुबह साढ़े सात बजे रिजोर्ट के लिए निकलना था. घर से तीस किलोमीटर दूर था. मुझे लॉन्ग ड्राइव्स अच्छी लगती हैं. नेहा को भी बुला लिए थे...यूँ तो अकेले जाना भी अच्छा लगता है...लेकिन ऐसे ही...लगा थोड़ी कंपनी अच्छी रहेगी. ऑफिस से लोगों को ले जाने के लिए बस का इन्तेजाम था लेकिन मुझे अपनी गाड़ी से जाना आना अच्छा लगता है. वापसी के लिए किसी का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है. 

सुबह सुबह उठ जाऊं तो सुबह सुबह भूख लग जाती है मुझे. वहां पहुँच के सैंडविच खाए...तब जा के चैन आया. लोगों को इस साल का सब इन्तेजाम बहुत पसंद आया था और हमारी टीम को सब लोगों से खूब तारीफ़ मिल रही थी. मूड मस्त था. परसों की रात भी काम के चक्कर में वापस आते हुए बारह बज गए थे और फिर भोरे भोर निकल गए थे. कुणाल से मिले दो दिन हो गए...एक घर में रहते हुए...उसपर ये दोनों उसकी छुट्टी का दिन था. बहुत गिल्टी फील हो रहा था. इतना अच्छा लॉन्ग वीकेंड बर्बाद हो रहा था. प्रेसेंटेशन चल रही थी कि उसका मेसेज आया 'रोमिंग अराउंड बैंगलोर इन योर बाईक'. पढ़ के बहुत बहुत बहुत अच्छा लगा. मेसेज से उसका उत्साह दिख रहा था...उसे बाईक चलाना पसंद नहीं है तो कभी नहीं चलाता है, आसपास भी जाना होता है तो पैदल चला जायगा, साइकिल ले लेगा लेकिन बाईक नहीं. टी ब्रेक में फोन किया तो सुना रहा था कि एमजी रोड में घूम रहा था. 

कुछ नया करने में हमेशा मज़ा आता है. हम तो खैर हमेशा ही कोई न कोई खुराफात करते रहते हैं इसलिए जिम्मेदार बनने का जिम्मेदारी कुणाल ले लिया. सब सीरियस सीरियस चीज़ करना इत्यादि...कल लेकिन वो भी खुराफात कर रहा था तो हमको बहुत अच्छा लगा. लैंडमार्क गया, किताब खरीदा...हमको मेसेज किया कि किताब ख़रीदे हैं. दिन बहुत अच्छा बीत रहा था. 

मैं जिस कंपनी में काम करती हूँ, वहां की एक चीज़ मुझे बेहद पसंद है...यहाँ लोग अपने काम को लेकर खुश हैं. हर हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट जब बात करता है तो उनका उत्साह जैसे इन्फेक्शस लगता है. अच्छा लगता है. कुछ बड़ा करने का दिल करने लगता है. हमारी बोरिंग पकाऊ सी नौकरी नहीं है, हम ऑफिस जाते हैं तो इसलिए कि अच्छा लगता है. 

शाम को गेम्स वगैरह का इंतज़ाम था और ट्रैम्पोलीन का भी इन्तेजाम था. लड़के सारे क्रिकेट खेलने में व्यस्त हो गए. कुछ और भी गेम्स थे. सब तरफ बहुत सा हल्ला हो रहा था, कोई फोटोग्राफर को बुला रहा था. सब बहुत सारी चीज़ों में बिजी थे. ऐसा कभी कभी लम्हा आता है कि सब कुछ ठहर जाता है, धीमा हो जाता है और आप अचानक से एकदम अकेले हो जाते हैं. वैसा ही लगा. कुणाल की बड़ी याद आई. यूँ तो ऑफिस में अपनी टीम है, सबसे बहुत अच्छे रिलेशंस हैं. बहुत मस्ती भी करते हैं हम लोग. पर होता है, कभी कभी, अचानक से लगता है कि एक उसके बिना हम अधूरे हैं. कि वो मेरा सबसे जरूरी हिस्सा है. उसे फोन करते हुए लगभग रोना आ गया. बहुत मिस कर रही थी उसे. 

अवार्ड्स नाईट शुरू हुयी...खूब हल्ला, सीटियाँ वगैरह बजीं...मज़ा आया. फिर आया मजेदार अवार्ड्स का वक़्त. इसमें कुछ कुछ शैतान टाईप के टाइटिल दिए जाते हैं...जैसे कोई बहुत दुबला पतला है तो साइज जीरो अवार्ड. पब्लिक से नाम लेकर पूछा जाता था कि क्या अवार्ड दिया जा सकता है...इसमें जब मेरा नाम आया तो सब तरफ से एक ही हल्ला हो रहा था 'दबंग' :) तो हमको कल लेडी दबंग अवार्ड दिया गया. हमको थोड़ा आश्चर्य हुआ कि ऑफिस में सब हमसे इतना डरते हैं. हम तो काफी सीधे साधे भले हार्मलेस टाईप प्राणी हैं ;) जोर्ज भी हमको 'गुंडी' बोलता है. 

बार ओपन हो चुका था. हमने नीट पानी पीना शुरू किया. पानी नीट पीना बहुत खतरनाक होता है, ख़ास तौर से तब जब फुल में म्यूजिक बज रहा हो और डिस्को लाइट्स चालू हों. मैंने दो ग्लास ऑन द रोक्स पानी पिया. सारे लोग डांस करना शुरू कर चुके थे. कहीं तमिल का स्पेशल डांस हो रहा था तो कहीं नागिन डांस. कल हमको बहुत अच्छे दो कोम्प्लिमेंट्स(?!) भी मिले. अनुषा बोली कि वो मेरे जैसा टपोरी बनना चाहती है. मैंने सर पीट लिया. दुनिया भर की माएं ऐसे भी बोलती हैं कि मैं उनकी भोली भाली मासूम बेटियों को बिगाड़ देती हूँ. लाईन में एक और शामिल. मैंने उसे धमकाया, ख़बरदार जो मेरे जैसे बनी, बहुत पीटेंगे तुमको. फिर उसको मेरे जैसा डांस करना सीखना था. अब हमको तो मालूम नहीं था कि हमको डांस करना भी आता है. हम तो म्यूजिक सुनकर पगला जाते हैं बस. 

डीजे मस्त था. जैसे ही हम बैठने को सोचते थे कोई ऐसा गाना आ जाता था कि फिर सब भाग के डांस करना शुरू कर देते थे. केओस था. धूल उड़ रही थी. जूते गंदे हो रहे थे. मस्ती चढ़ रही थी. बूंदा बांदी शुरू हो गयी. म्यूजिक बंद हुआ और डिनर ब्रेक हुआ. हमारा सब काम आलरेडी फिनिश हो गया था. खाने में किसी को इंटरेस्ट था नहीं. मेरी कार में और तीन लोग आ सकते थे. जोर्ज ने पूछा कि हम कब निकल रहे हैं, हम बोले कि अभी. फिर अनीशा को भी उसके घर छोड़ना था. प्रकाश भी मेरे घर के बगल में ही रहता है. तो पूरी टीम कार में घर की ओर निकल लिए. सारे टाइम नौटंकी कमेंट्री होती रही. अनिषा को बैंगलोर में आये बहुत कम टाईम हुआ है. वो अपने घर के रस्ते हमें पांच किलोमीटर घुमा के ले गयी. 

भटकते अटकते घर पहुंचे. गैस ख़राब हो रखी है तो माइक्रोवेव में मैगी बनाये. इस तरह एक महान कार्य संपन्न हुआ. ये पूरा ड्रामा यहाँ चिपकाया जा रहा है कि हमको भी ध्यान रहे कि हम कितना एन्जॉय करते हैं लाइफ को. इन फैक्ट राहिल एक इंसिडेंट बता रहा था 'पूजा बोल रही है...फुल, एकदम मार के तोड़ के आयेंगे' क्लाइंट मीटिंग के पहले. 'God knows, she is high on what, tell me also...I also want to be on a high like that'.
वगैरह....वगैरह...वगैरह. 

3 comments:

  1. दबंगजी को प्रणाम, लोग हमें भी बेवजह यही बोल देते हैं।

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  2. बेहतरीन प्रस्तुतिकरन,आभार.

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  3. दबंग, मिस करना, रोना, वगैरह,वगैरह। खूब!

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