13 June, 2010

किस्सागो चाँद

एक अकेला चाँद बिचारा, इतने टूटे हारे दिल...सबकी तन्हाई का बोझ थोड़ा भारी नहीं हो जाता है उसके लिए. सदियों सदियों इश्क की बातें सुनता, लोग उसे सब कुछ बताते, दिल के गहरे सारे राज. चाँद एक बहुत बड़ा किस्सागो है, देर रात तारों के नन्हे नौनिहाल उसे कहानियां सुन के सोते हैं...वो बताता उन्हें इंसानों के किस्से. छत पर आते जाते ताका झांकी करते उसने बहुत कुछ देखा है...चाँद की कहानियां हमेशा शुरू होती 'बहुत दूर धरती पर एक लड़का रहता था...' और नन्हे तारे सपनों में उस लड़के को देखने लगते...जो लड़का चाँद से बातें करता था...तारों की आँखें मुंदने लगती और वो जल्दी सो जाते.

पर चाँद इत्ता भोला और मासूम नहीं था...लेकिन होशियार था, जानता था कि बच्चो को कहानियों में डराना अच्छी बात तो नहीं है. यही कहानियां चाँद जब जवान होते सितारों को सुनाता तो उन्हें सब बताता, कैसे एक लड़के का दिल टूटा, कैसे वो घंटों पहरों रोता था, कैसे उसे रात भर नींद नहीं आती, इसलिए वो चाँद से बात करता था...पर चाँद बेईमानी करता था कई बार, ये नहीं बताता कि लड़की भी रोती थी...उस लड़के से बिछड़ने के बाद...कि वो खिड़की से चाँद को देखती, उसे लगता चाँद एक आइना बन गया है, वो चाँद से मिन्नत करती एक बार उस लड़के का चेहरा दिखा दो...दुआएं देती चाँद को, कि वो सदियों चमकता रहे. पर चाँद उसकी बात नहीं मानता. वो तड़पती, बिलखती रहती पर चाँद नहीं मानता.

चाँद के माथे पर पड़ी झुर्रियां सदियों के अनुभव से आई हैं. इसलिए वो नहीं दिखाता उस रोते तड़पते लड़के का चेहरा...लड़की परेशान ही सही, जी रही थी ...उसका दर्द देखकर वो ना जीते में ना मरते में रहती..चाँद भले पत्थर का था...पत्थरदिल नहीं था. चाँद मुस्कुराता कि सब दर्द भूल जाएँ...रात को चांदनी के फाहे रखता दिलों के जख्मों पर. ईद आती, लोग चाँद को दुआएं देते...चाँद एक और कहानी अपनी झोली में समेट लेता.
किस्सों का कारोबार चलता रहता...साल दर साल.  

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बहुत पहले का लिखा कुछ...

कभी कभी तुम्हारे मुंह से अपना सुनने के लिए कुछ इस तरह से तरस जाती हूँ कि दिल करता है तुम्हारी आवाज के सिक्के ढलवा लूं, जब दिल चाहे मुट्ठी में भर के खनखना लूं. आँचल के छोर में बाँध के दिन भर घूमूं. कभी कभी तुम बहुत याद आते हो मेरे चाँद...

सुबह अखबार में खबर थी, साल का सबसे खूबसूरत चाँद उगा था...मुझे ऐसा कुछ नहीं लगा...मैं अकेली छत पर खड़ी थी और चाँद सिर्फ...अकेला लगा. 

6 comments:

  1. ye chand na jane kitno ke man ko kitni bhanti se bahlaya hai....

    umda prastuti...

    iisanuii.blogspot.com

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  2. शानदार पोस्ट है...

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  3. चाँद आधुनिक समाचार चैनलों के टीआरपी तत्व से ग्रसित लगते हैं । लड़कों के रोने में तो उन्हें न्यूज़ कन्टेन्ट दिख जाता है, लड़कियों का रोना स्वाभाविक लगता है ।

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  4. ये अंदाज़ भी निराला लगा..

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  5. ये कविता थी या कहानी??

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  6. चाँद पर तीन पन्ने मेरी डायरी में भी पड़े हैं... बात ६ साल पहले की है पर क्या यकीन करोगी की ऐसा ही कुछ वहां भी लिखा हुआ है... कई लाइन जस की तस, वैसी ही.... सिमिलर थोट्स

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