अजी नहीं नहीं...शीर्षक पर मत जाइए...ये शीर्षक तो लिखा ही गया है ग़लतफ़हमी के कारण।
तो ऐसा हुआ की कल हमारे अपने फुरसतिया जी ने पाँच साल पूरे कर लिए...हम भी गए ताली वाली बजाने, सुबह.
पोस्ट भी पूरे फुरसतिया स्टाइल थी...और टिप्पणियां भी थोक से भाव में लोगों ने फुर्सत से लिखी थी...तो एक साँस में पढ़ते आ रहे थे ऊपर से नीचे कि एक टिप्पणी पर नज़र अटकी...आख़िर क्यों न अटकती, डॉक्टर अनुराग जो कह रहे थे...
ब्लॉग जगत के कबाब में अगर कुछ हड्डियाँ हैं तो यकीनन आप उनमें से एक हैं।
हम घबराए, दाएं बायें देखे...और मन ही मन बोले...चलो आज फाईनली अनुराग जी ने अपने दिल की बात बोली है और जैसा की हमेशा होता है...उनके दिल की बात कईयों के दिल की बात होती है...मेरी भी थी जो हम न कह सके, किसी ने तो कहा ;)
नीचे ए तो देखा कुश को बुखार चढ़ गया अनूप जी पोस्ट पढ़ के...अनूप जी ने इतना हड़काया की बिचारा बुखार में टिप्पणी देने चला आया...इससे पता चलता है, अनूप जी से कित्ता डरता है भला मानुस। उसपर भारत रत्न दिलवाने की बात हमको तो लगता है किसी ने उसे धमकी वम्कि भी दी है...कौन जाने। अब तो बुखार ठीक होने के बाद ही कुछ पता चलेगा। वैसे चुपके से कुश ने भी सच्चाई बयां करने की कोशिश की है...बधाई आपको दूँ या आपको झेलने वालों को दूँ...हम तो इस बात के लिए कुश को बधाई देते हैं...मेरे भाई, सच्चाई में बहुत ताकत होती है, चिंता मत करो...और बधाई का टोकरा इधर भेज दो...हम भी काफ़ी दिन से झेल रहे हैं जी.
एतना पढ़ उढ़ के हम भी टिप्पणी चिपकाये दिए...मगर जवाब कहाँ से आता, अनूप जी तो जैसे ही सुने की ज्ञान जी उनके पंखे हैं, बस पंखे की हवा में उड़ लिए...जमीन पार आयें तब तो हम बेचारे गरीब लोगों को प्रति टिप्पणी मिले...फ़िर दिन भर जा जा के देखत रहे, अब जवाब आया , न अब जवाब आया.
ई चक्कर में पीडी भी आया...जरूर ऑफिस से बीच में कल्टी मार के पढ़ रहा होगा हल्ला कर रहा था की एतना लंबा पोस्ट काहे लिख मारे हैं...तो अनूप जी उसको हड़का दिए...की बेटा सुस्ता के पढ़ा करो, एक साँस में bottoms up करने की कौनो जरूरत आन पड़ी है।
समीर लाल जी तो वीआईपी हैं, फ़िर भी स्माइली चिपकाना भूल गए, इसलिए दू ठो टिप्पणी किए, अनूप जी भी बड़े आदमी हैं, पाँच साल की साल गिरह पर दू दू ठो टिप्पणी मिली समीर जी की...हमको लगता है ऐसा इसीलिए की समीर जी जबसे अनूप जी को मिले थे तो अनूप जी दू साल के हुए रहे बस्स।
ढेर सारे लोग आए...एतना बधाई मिला है की टोकरा दर टोकरा अनूप जी का घर भर गया है...कोई कानपूर जाए तो उनके घर में कैसे ठहरे भला, इसलिए हम एक गिलास बधाई देने का सोच रहे थे, की कोई बधाई देने घर पहुच जाए तो अनूप जी बाहर से एक गिलास पानी पिला के विदा कर दें।
बहुत बड़ा तीर मारे हैं...उ भी पाँच पाँच ठो...एक साल का एक...सबने अनूप जी को बधाई दी...हम बाकी लोगों को देते हैं...धन्य भाग हमारे की ऐसे ऐसे ब्लॉगर हैं ब्लॉग जगत में...
डॉक्टर अनुराग ठीक कह रहे थे:
हिंदी ब्लॉग जगत की रीड में अगर कुछ हड्डियाँ है…तो यकीनन आप उनमे से एक है…
डिस्क्लेमर: इस पोस्ट को लिखने की लिखित परमिशन हमको अनूप जी ने दी है...और जो बाकी लोग लपेटे गए हैं इसलिए लपेटे गए हैं की हमको उनसे डर नहीं लगता...मतलब कि भले लोग हैं, थोड़ी बहुत जान पहचान है तो बस ग़लत फायदा उठाय लिए हैं :)
जय हो डाक्साब जय हो आपकी। सारी दिशाओं में आपकी यशकीर्ति फ़ैले। आपने जो कहा सच कहा! यह सच आप ही कह सकती हैं मईडम! लेकिन आपने एक सच पूरा क्यों नहीं कहा:
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग जगत की रीड में अगर कुछ हड्डिया है….तो यकीनन आप उनमे से एक है….ब्लाग जगत के कबाब में अगर कुछ हड्डियां हैं …. तो यकीनन आप उनमें से एक हैं….!
अनूप जी, ये सच तो आपने अपने ब्लॉग पर लिख ही दिया था...हमने सोचा सच को बार बार दोहराने की जरूरत थोड़े पड़ती है :)
ReplyDeleteपूजा जी ने सही कहा. हिंदी-ब्लॉग जगत में आप 'रीड की हड्डी' हैं. लोग रीड करके खुश हो लेते हैं. आप रीड की हड्डी ही रहें. रीढ़ की हड्डी तो नए लोग हो लेंगे. ....:-)
ReplyDeleteऔर कुश ने आपके लिए जो भारत-रत्न देने की बात कही है, क्या वो आपने उसे धमकाकर कहलवाई है?
मी लोर्ड "भले" शब्द का बेजा इस्तेमाल कर हमारे बयान को तोड़ मरोड़ के पेश किया गया है....मी लोर्ड .. मेरी यही इल्तिजा है की मुलजिमा को कड़ी से कड़ी सजा के एवज में एकता कपूर के सीरियल तीन दिन नॉन स्टाप दिखाए जाये.ओर फिल्म शेडो के चारो शो उन्हें बाकायदा बिठा कर दिखाए जाये ......मी लोर्ड.....एक बार ओर "रीड " को "रीढ़"पढ़ा जाये ...स्लिप ऑफ़ गूगल टूल मी लोर्ड....
ReplyDeleteये रीढ और उसकी हड्डी और उसपर भारत रत्न..जरुर कुछ खिचडी पक रही है. कुश को बुखार..? सरासर अफ़वाह है..इस समय वो हमारे साथ फ़ोन लाईन पर है. लगता है जांच आयोग बैठाना पडेगा?:)
ReplyDeleteरामराम.
खबरदार जो कोई हमार "फुरसत चचा" पर झूठा इल्जाम लगाये.. उन्होंने हमें कोई धमकी वमकी नहीं दी.. खुद पांच रूपये का मुडा नोट देकर भेजा था कि बगल वाले कबाडी बाज़ार से कोई मैडल वैडल ले आओ.. यहाँ कौन साला इत्ता समझता है.. तुम बोल देना भारत रत्न है.. तो हमने बोल दिया.. हमारी जेब से कौन पैसे लग रहे है..?
ReplyDeleteबाकी ई पूजा बिटिया कबाब वबाब की जो बात करती है उस से अपना नाता नहीं अपन ठहरे शुद्ध शाकाहारी, ऑमलेट में भी प्याज लहसन नहीं खाते जी हम तो, सच्ची.. और मुच्ची भी :)
क्या खूब पोस्ट लिखी है आपने...अनूप जी के लेखन का असर आगया है शायद...वाह.
ReplyDeleteनीरज
डॉक्टर अनुराग, आपकी PIL पर काम चल रहा है...पर इत्ती कड़ी सजा...एकता कपूर के सीरियल तीन दिन...भाई हम तो एक ही शो में टें बोल जायेंगे...रहम सरकार रहम!
ReplyDeleteअरे हम तो ये शोर सुन कर सोये उठ आँखें मलते हुये आ गये वह क्या नीन्द खुली कि हाथ की बोर्ड पर भागने लगे हा हा हा
ReplyDeleteफुरसतिया से एतना डर और बाकी हम लोग जईसे कुछो हईयें नहीं?
ReplyDeleteवैसे इस पोस्ट में फुरसतिया जी की महक साफ नजर आ रही है.. :)
Majedar charchaa.
ReplyDeleteThink Scientific Act Scientific
शुक्रिया, आपकी यह पोस्ट पढ़कर ही फुरसतिया जी को बधाई टिका आए हैं, वरना हम तो उस राह पर पांच साल में मुश्किल से पांच बार गए हैं :)
ReplyDeleteमैंने भी आशीष की तरह तुम्हारी पोस्ट देखकर ही फुरसतिया जी को बधाई टपकाई ..बहुत धन्यवाद सूचना देने का :-)
ReplyDeleteमजेदार अंदाज:)
ReplyDeleteवाह भैया...हियाँ तो सब ही जमा है गए
ReplyDeleteक्या अंदाजे बयाँ हैं....वाकई फ़ुरसतिया जी के बारे में इतने सारे लोगन की बातें सही हैं
आपको अपनी पोस्ट में स्माइली का प्रयोग करना चाहिए था, मगर कोई बात नहीं अनूप जी का नाम बार बार प्रयोग किया गया इस लिए स्माइली की कमी नहीं आखरी :)
ReplyDeleteवीनस केसरी
चूंकि मैं तुमलोगों के 'गैंग' में शामिल नहीं हूँ इसलिए उतना मजा तो नहीं ले पाया
ReplyDeleteपरन्तु अंदाज अच्छा लगा . लेखनी में निखार आ रहा है . लगे रहो.
वरुण
Behad Rochak!!!
ReplyDeleteछा गये फुरसतिया !
ReplyDeleteआज पहली बार आपका ब्लॉग पढ़ा , और आपने हमारे सभी ब्लोगरों को एक ही पोस्ट मैं लपेट लिया वाह जी.. बहुत खूब . अच्छा लगा धन्यबाद!
ReplyDeleteपूजा जी आपके लेख मुझे बहुत अच्छे लगते हैं आप जिस सादगी से लिख कर रचना को बेहतरीन बना देती हैं वो सचमुच काबिले तारीफ है। आपसे एक गुजारिश है कि आप अपने ब्लॉग में reader subscriber लगाते तो अच्छा होता।
ReplyDeleteआभार - गजेन्द्र बिष्ट
पूजा जी आपके लेख मुझे बहुत अच्छे लगते हैं आप जिस सादगी से लिख कर रचना को बेहतरीन बना देती हैं वो सचमुच काबिले तारीफ है। आपसे एक गुजारिश है कि आप अपने ब्लॉग में reader subscriber लगाते तो अच्छा होता।
ReplyDeleteआभार - गजेन्द्र बिष्ट
कुछ अलग ही अंदाज़ है आज तो :-)
ReplyDeleteफुरसतिया की बात निराली..
ReplyDeleteऔर उस पर से आपका ये अंदाज..लग रहा है कि आज यहाँ पाँच टिप्पणियाँ कर दूँ. :)
बेहतर अन्दाज।आभार।
ReplyDeleteBahut khub..juda andaj men likhi apki post pasand aai..badhai !!
ReplyDeleteमजेदार पोस्ट
ReplyDeleteरोचक प्रतिक्रियाएं
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"डिस्क्लेमर: इस पोस्ट को लिखने की लिखित परमिशन हमको अनूप जी ने दी है...और जो बाकी लोग लपेटे गए हैं इसलिए लपेटे गए हैं की हमको उनसे डर नहीं लगता...मतलब कि भले लोग हैं,"
ReplyDeleteइसका मतलब हुआ की अनूप जी से आपको डर लगता है .....मतलब की भले नहीं हैं
शुक्र है पता चल गया :-)
सोंच रहा हूँ आपलोगों के दिल-खिंचाई में मैं भी पड़ जाऊं.
ReplyDeleteइजाजत है???
nice
ReplyDeleteha ha ha..kaafi dino ke baad aap bolin aur kya bolin..kaafi log chapet mein aa gaye ha ha ha :)
ReplyDeleteprastut karne ka andaz srahniye pad kar maza aya
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