जरा अपने सामान में चेक करो
मेरा क्या क्या चुप चाप ले गए हो
मुझे बिना बताये
३० दिन की हंसी...
हिसाब लगाओ तो, एक दिन का १० बार तो होता ही होगा
दिन में दो बार करीने से आइना देखना
अक्सर एक बार तुम्हें लिफ्ट देने के कारण
खर्च होता एक्स्ट्रा पेट्रोल
मोड़ पर तुम्हें ढूँढने वाले ५ मिनट
और तुम्हें देख कर १००० वाट से चमकने वाली आँखें
इन सबके बिना जी नहीं सकती मैं...सब भिजवा दो...
या खुद ही लेकर आ जाओ ना...
मेरा क्या क्या चुप चाप ले गए हो
मुझे बिना बताये
३० दिन की हंसी...
हिसाब लगाओ तो, एक दिन का १० बार तो होता ही होगा
दिन में दो बार करीने से आइना देखना
अक्सर एक बार तुम्हें लिफ्ट देने के कारण
खर्च होता एक्स्ट्रा पेट्रोल
मोड़ पर तुम्हें ढूँढने वाले ५ मिनट
और तुम्हें देख कर १००० वाट से चमकने वाली आँखें
इन सबके बिना जी नहीं सकती मैं...सब भिजवा दो...
या खुद ही लेकर आ जाओ ना...
आ जायेगा यार.. बस थोड़ा सब्र कर लो.. :)
ReplyDeleteसब साथ में होगा.. और साथ में होगी उसकी भी १००० वाट से चमकने वाली आँखें, ३० दिन की हंसी, तुम्हें मिस करने वाले 24 घंटे.. और ढ़ेर सारा प्यार.. :)
आया कि नहीं? आना ही होगा-इस पुकार को सुन!!
ReplyDeleteबेहतरीन आह्वान!
ReplyDeleteबिना बताए क्यो ले गया आपका ये सामान? क्यो नही संभाल कर रखा था?
बहुत खूबसूरत रचना
अच्छा हिसाब लगाया है आपने।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
शानदार। ई अंदाज में आपै लिख सकते हैं डाक्साब। गजनट! जय हो!
ReplyDeleteबहुत मार्मिक पुकार है. अब तो बस आता ही होगा.
ReplyDeleteरामराम.
आपकी सहज बातें बहुत छूती हैं....! मन का लिखा ऐसा है होता है..!
ReplyDeleteईश्वर करें हर अरमान पूरे हों। बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति।क्या खूब..।
ReplyDelete"sab bhijwaa do ...mera yeh saaman lauta do..."
ReplyDeleteare dost unhone to insab ka photocopy (yaadon ki form mein) hi chahi hongi, aur aapne sab kaa sab orignal hi uthaa de diyaa...
vaise yeh pukaar to seedhe vahan tak pahunch jaayegi...aur kheench hi laayegi unhein... :)
गुलज़ार के मेरा कुछ सामान की याद दिला दी आज तो.. बहुत अच्छे.. !
ReplyDeleteअति सुन्दर.
ReplyDelete{ Treasurer-T & S }
सच्चे मीठे से जज्बात।
ReplyDeleteइस हिसाब में अक्सर घाटा होता है.....गुलज़ार का मेरा कुछ सामान याद आया ...इस गाने को जब उन्होंने लिखा था तो पंचम बोले .थे .तुम्हारा कुछ भरोसा नहीं कल को अखबार उठा लायोगे ओर कहोगे की इसकी धुन बनायो ...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा जी... :)
ReplyDeleteक्या खूब लिखती हैं आप.
ReplyDeletelata ji ka gaya aur gulzar sahab ka likha "mera kuch saamaan, tumhare paas hai.." yaad aa gaya..
ReplyDeleteएक अकेली छतरी में जब आधे आधे भीग रहे थे,
ReplyDeleteआधे सूखे आधे गीले सुखा तुम्हें मैं ले आई थी..
गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो..
वो भिजवा दो मेरा वो सामान लौटा दो...
excellent
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