20 August, 2009

कैमरा...शौक़ और कोशिश

IIMC में पढ़ते हुए मैं कुछ बेहतरीन लोगों से मिली...कुछ से रिश्ते अभी भी कायम हैं, कुछ से टूट गए...कुछ लोग खो गए और कुछ की मंजिलें बिल्कुल अलग थीं तो फ़िर किसी मोड़ पर टकरा नहीं पाये।

IIMC में जर्नालिस्म के तीन डिपार्टमेन्ट हैं, हिन्दी, इंग्लिश और रेडियो & टीवी...शुरुआत के एक महीने सबकी क्लास एक साथ ऑडिटोरियम में होती है। मेरे अधिकतर दोस्त इसी ऑडिटोरियम में बने...आते जाते मिलते हुए।

कुछ लोग बाद में मिले...अनजाने जिनसे शायद ही कभी बात की हो एक साल के दौरान...सनी इन लोगों में से एक था...गाहे बगाहे टकरा जाते थे, पर कभी बैठ कर बहुत सी बातें नहीं की...उसके ऑरकुट पर एक से एक बेहतरीन फोटोग्राफ अपलोड होते रहते थे...इसी से मेरा ध्यान गया...फ़िर बात शुरू हुयी। मुझे भी फोटोग्राफी का बहुत शौक़ था, आज भी है...सनी ने उस वक्त एक ग्रुप ज्वाइन किया था और ये लोग मिल कर पुरानी दिल्ली की
गलियों में भटकते रहते थे, गले में कैमरा लटकाए...मैंने कितनी बार सोचा की मैं भी चलूँ...पर सोचा भर...गई कभी नहीं।

हम सबके अपने अपने शौक़ होते हैं...जिन्हें करने में एक अजीब तरह की मानसिक शान्ति मिलती है...एक सुकून, की ये मैंने ख़ुद के लिए किया है। अपने शौक़ के साथ वक्त बिताने का मतलब होता है हम अपने आप से कितना प्यार करते हैं क्योंकि ये हमें ख़ुद से जोड़े रखता है।

सनी जर्नलिस्ट है...वक्त का रोना उससे बुरा कोई नहीं रो सकता...मगर आज देखती हूँ तो अच्छा लगता है...कोई अपने सपनों की राह पर चल पड़ा है...अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वक्त निकालना बेहद मुश्किल का काम है...पर उसने ऐसा किया...

ये पोस्ट आज मैं उसके इस जज्बे को सलाम करते हुए लिखती हूँ...इस हफ्ते से उसका exhibition लगा है...दिल्ली में इंडिया हैबिटैट सेंटर में...पहला फोटोग्राफी exhibition, काश मैं दिल्ली में होती तो जरूर जाती देखने...पीठ ठोकने...कि शाब्बाश...जिंदगी जीना इसे कहते हैं...

आपमें से किसी को फुर्सत हो तो एक शाम बिताएं...इंडिया हैबिटैट सेंटर वैसे भी मेरे दिल्ली कि पसंदीदा जगहों में से है...उसपर से फोटोग्राफी जैसे और क्या चाहिए एक शाम से...बस लिखने में देर हो गई मुझे...बस कल भर ही है...१७ से २१ अगस्त टाइम था...ऐसी फंसी रह गई कि लिख ही नहीं पायी।

बधाई हो दोस्त! जिंदगी के रंग तुम्हारे कैमरा से गुजर के एक नई सोच, एक नई दृष्टि दें...मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं.

13 comments:

  1. dhanyawaad puja ji... der aayin par durust aayin... ab bhi kal kaa dinn bachaa hai...aur hum zaroor jaayenge... :)

    aapke dost ke jazbe ko to salaam hai hi ki unhone apni vyast zindagi mein bhi apne shauk ko jeena nahin chodaa, saath hi aapke bhi iss jazbe ko salaam... we all come across something dat appreciate it too, but very often we donot acknowledge it, or miss on telling dat person wat we feel... but u bothered to do so... nd share it with us too.. I am sure ur frnd will feel even more motivated now to pursue his passions... my bst wishes for u as well as ur frnd...

    ReplyDelete
  2. o yes i've seen his worx . The guy holds great promise ! i often visit IHC .

    ReplyDelete
  3. अच्छी जान्कारी दी. पर हम तो खुद एक हजार किलोमीटर दूर बैठे हैं:)

    वैसे अपने शौक को पूरा करने वाले होते तो कुछ विशिष्ठ ही हैं. जैसे खब्ती ब्लागर्स को ही ले लिजिये.

    रामराम.

    ReplyDelete
  4. जीना इसी को कह्ते हैं।आभार।

    ReplyDelete
  5. खुशी हुई यह जानकर कि आप आईआईएमसी स‌े हैं। आपने अपना बैच नहीं बताया। प्रदर्शनी के बारे में पता चलने में देर हो गई। वर्ना हम भी कोशिश करते जाने की।

    ReplyDelete
  6. "हम सबके अपने अपने शौक़ होते हैं...जिन्हें करने में एक अजीब तरह की मानसिक शान्ति मिलती है...एक सुकून, की ये मैंने ख़ुद के लिए किया है। अपने शौक़ के साथ वक्त बिताने का मतलब होता है हम अपने आप से कितना प्यार करते हैं क्योंकि ये हमें ख़ुद से जोड़े रखता है।"

    बहुत अच्छी और सच्ची लगी ये बात

    प्रणाम

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. अच्छी बात यह है की फोटो जौर्नालिज्म का कोर्स IIMC ने इसी साल से शुरू किया है... अभी परसों ही उसका उत्घाटन हुआ है... एक महीने का कोर्स है... फीस शायद २०, ०००/- है... मेरे दफ्तर के २ फर्लांग की दूरी पर है इंडिया हबितात सेंटर लेकिन कभी जा नहीं पाया... वोही मजबूरी की मसरूफियत वाहियात सी.... सन्नी के ज़ज्बे को दाद देता हूँ....

    ReplyDelete
  9. क्या कहूं पूजा, मेरे कई ऐसे शौक शहीद हो चुके हैं.. स्टूडेंट लाईफ में कभी पैसे की कमी तो साधनों की कमी.. फोटोग्राफी का बहुत शौक था, जो पैसे की कमी की भेंट चढ़ चुका है और अब जब उसकी कमी नहीं है तो वो शौक ही दम तोड़ चुका है.. दूसरा शौक था स्केटिंग करने का, जो साधनों की कमी और समय की कमी का मारा हुआ है.. दो शौक अभी भी बचा हुआ है जिसे मरने नहीं दूंगा.. पहला गानों का और दूसरा बाईक्स का..

    तुम्हारे दोस्त को बहुत बहुत बधाई.. :)

    ReplyDelete
  10. mujhe bhi photography ka shukh hai use mai junun ke shath jita hu exhibition ka pata chala to vo bhi sham ko mai bi us shaks se milana chahata par ab to der ho gayi

    aap mere photography blog par najare inayat kare
    http://photographyimage.blogspot.com/

    ReplyDelete
  11. बधाई, जज़्बे को

    ReplyDelete
  12. इन विषयों के इस तरह की व्यवस्थित पढ़ाई न कर पाने का मलाल है हमें।

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...