हमारी जिंदगी बड़े प्यार मुहब्बत से प्ले, रिवाईंड, पौस, स्टाप मोड में चल रही थी...जब तमन्ना हुयी पहुँच गए कॉलेज के दिनों में, तो कभी दिल्ली की गलियों में भटकने चले गए...हाँ कभी कभी लगता जरूर था कि बहुत दिन हुए ठहर गए हैं इस मोड़ पर। ऊपर वाले ने लगता है सुन ली...बस ऐसे ही तफरीह के लिए गए थे, और हाथ में नौकरी का ऑफर लेकर लौटे।
पिछले छः दिनों से मेरी जिंदगी एकदम फास्ट फॉरवर्ड हो रखी है। सुबहें ताजगी भरी और जोशीली होती हैं, जैसे मुझको किसी कारवां की तलाश थी अपनी मंजिल तक जाने के लिए। ऑफिस बड़ा रास आया है मुझे...यहाँ लोग बहुत अच्छे हैं, मिलनसार और खाना खिलाने को तत्पर :) मैं एक advertising एजेन्सी में काम करती हूँ, हमारा काम होता है ब्रांडिंग करना। जैसे हमें एक प्रोडक्ट को लॉन्च करना है मार्केट में, ये दक्षिण भारतीय व्यंजन विशेषज्ञ के रूप में अपने मसालों को पेश करना चाहते हैं।
मैं ठहरी ताज़ा ताज़ा दिल्ली से आई हुयी, अभी तक उन पेचदार गलियों के पराठों में खोयी हुयी हूँ...और यहाँ काम करना था बिसिबेल्ले भात को ब्रांड बनाने के लिए...अब किसी पर काम करने के लिए उसके बारे में तो कुछ जानना तो होगा...तो बस हमने हाथ खड़े कर दिए, जब तक खिलाओगे नहीं ad नहीं बनायेंगे। अगले दिन वो सज्जन व्यक्ति पूरे ऑफिस के लिए घर से बिसेबेल्ले भात बनवा कर लाया। ऐसे भले लोग जहाँ हो, काम करने में अच्छा क्यों न लगे।
इस ऑफिस का architecture मुझे सबसे अच्छा लगता है, हमारे यहाँ लिफ्ट नहीं है, पाँच मंजिला ईमारत है और ऊपर नीचे जाने के लिए घुमावदार सीढियां हैं। हमारे cubicles बाकी जगहों की तरह वर्गाकार नहीं है बल्कि पूरा ऑफिस obtuse और acute angles पर ही बना है। जैसे पहले घरों में आँगन होता था और चारो तरफ़ कमरे, उसी तरह हमारे ऑफिस के बीचोबीच खाली जगह है जिसके तीनो तरफ़ बिल्डिंग खड़ी है। बहुत सारे पौधे लगे हुए हैं, बेलें लटकी हुयी हैं...छत पर एक बेहद खूबसूरत बगीचा है...गमलों वाला नहीं, मिट्टी बिछा कर लगायी हुए पौध है। एक छोटा सा उथला पानी का टैंक भी है जिसमें मछलियाँ है। यह सब इतना अच्छा लगता है कि दिमाग अपनेआप दौड़ने लगता है :) आप ख़ुद ही देख लीजिये मेरी सीट से लिया हुआ फोटो, हाँ...मेरा ऑफिस एयर कंडीशंड नहीं है, जरूरत ही नहीं।
घर से ऑफिस जाने में मुझे साढ़े तीन मिनट लगते हैं अगर रेड लाइट नहीं मिली तो...और मैं कभी ४५-५० से ऊपर नहीं चलाती। घर के बिल्कुल पास में है तो थकान भी नहीं होती आने जाने में। ऑफिस में देर रात काम करने का कल्चर नहीं है, जो एक और अच्छी बात है क्योंकि अक्सर सब जगह देखा है कि लोग १२ बजे तक ऑफिस में ही रहते हैं। हम खुशी खुशी सात बजे तक घर आ जाते हैं :)
बस इस हफ्ते थोड़ा वक्त लगा चीज़ें एडजस्ट करने में, कल से सब कुछ आराम से कर लूंगी...और तो और ब्लॉग्गिंग का टाइम भी मैंने सोच लिया है :) तो अभी के लिए...जिंदगी खूबसूरत है।
आजकल पाँव जमीं पर नहीं पड़ते मेरे...बोलो देखा है कभी तुमने मुझे, उड़ते हुए...बोलो?
ऑफिस तो बहुत खूबसूरत है आपका. और आप किस्मत वाली हैं जो सात बजे घर आ जाती हैं. वरना हम तो.........
ReplyDeleteनई जिम्मेदारियां के लिए शुभकामनाएं स्वीकार करें.
.... और उड़ते हुए...... देख भी लेंगे....
badhaayee.....
ReplyDeleteवाकई बहुत अच्छा है आपका आफ़िस। आफ़िस तो नही हमारा प्रेस क्लब भी बहुत सुन्दर है। ऐतिहासिक मोती बाग या कंपनी गार्डन के बीच मे बना हुआ है।बगीचे मे होने के कारण हरियाली ही हरियाली।सामने एक फ़ौवारा है दशको पुराना,सीमेंट का।उसमे हम लोगो ने कुछ मछलियां पाल ली है।रोज़ उनको दाना डालते समय अच्छा लगता है।एक मछ्ली का नाम हम लोगो ने गब्बर रखा है।घर मे तो गोल्ड फ़ीश है मगर क्लब मे सब तालाबो मे पलने वाली मछलिया हैं।वैसे आपके आफ़ीस को देख कर जलन ज़रूर हूई मगर क्लब ने उससे राहत दिला दी।
ReplyDeleteये दक्षिण भारतीय व्यंजन विशेषज्ञ के रूप में अपने मसालों को पेश करना चाहते हैं।--------
ReplyDeleteग्रेट, यहां हमें पुलियागेरे (puliogere) नहीं मिलता! :)
बहुत खूब सात बजे ही घर पर ...क्या बात है ...ऐश है फिर तो
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
यार मुझे जलन हो रही है। क्योंकि आप सात बजे घर चले जाते हो
ReplyDeleteमेरे जानने वालों में एक ऐसा भी है जो सात बजे घर होता है।
हमें तो बस आने का पता है कि दोपहर 12 बजे आफिस में पहुंचना है बस फिर जाने का मत पूछो। लांचिंग के समय में तो 72-72 घंटे लगातार तक काम किया है।
मगर अच्छा लगा यह जानकर कि अब ख़ुद की ज़िंदगी जीने के लिए भी आपको समय मिलेगा।
वो इश्क याद आता है.
ReplyDeleteवाह भई वाह मौजा ही मौजा।
ReplyDeleteवाह !! बढिया ..शुभकामनाएं।
ReplyDeleteलगता है मेरी कल की टिपण्णी का कुछ असर जरूर हुआ. पोस्ट तो आई. पोस्ट के जरिय एक नई डिश का नाम सुना- बिसिबेल्ले भात.
ReplyDeleteb'ful pic, congrats, hav anice time in your new office :-)
ReplyDeleteजलने की बू तो नहीं आ रही तुम्हें मेरी टिप्पनी से...????
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ...पोस्ट ्को नही कह रहा अभी..मैं तो आफ़िस की बात कर रहा हूं. काश हमारा आफ़िस भी ऐसा ही ग्रीन ग्रीन होता.
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाएं, नये आफ़िस और जोब के लिये..आनन्द पुर्वक तरक्की करें खुश रहें. और खुशी इस बात की हुई कि आपने ब्लागिंग का जुगाड ढूंढ लिया है.:)
रामराम.
पूजा,
ReplyDeleteमुबारक हो भई ये खूबसूरत हरी भरी नौकरी।जिन्दगी में एक नियमितता हो जाये तो सारी चीजें आसान हो जाती हैं।आप ने मेरे ग़ज़ल के ब्लाग पर कदम रखा इसके लिए भी धन्यवाद,पर गीत और रोमान्टिक ग़ज़ल वाले ब्लाग पर भी इन्तजार है..........
और तो और ब्लॉग्गिंग का टाइम भी मैंने सोच लिया हैये हुई ना बात.. पक्की ब्लोगर हो..
ReplyDeleteनया ऑफिस ! नयी जॉब ! बढ़िया है ! :-)
ReplyDeleteऐसा ऑफिस मिले तो जमीन पर पैर किसके पड़ेगे।..बधाई आपको नए ऑफिस की।
ReplyDeleteनया आफिस मुबारक हो ....!!
ReplyDeletenaye office ki badhahyin wish u success , happinness and pollution free env.
ReplyDeleteबाहर से बेहद खूबसूरत लग रहा है आपका आफिस. यकीनन अंदर से और भी खूबसूरत होगा। बधाई नए आफिस की। सबसे बड़ी बात यह है कि आपको वहां काम करना अच्छा लग रहा है। यह बहुत अहम है। अगर माहौल खुशनुमा हो तो क्रिएटिविटी अपने आप बढ़ जाती है।
ReplyDeleteजब भी जी आयेगा तकदीर तो, ले जाना..
ReplyDeleteघर में सजते हैं जो तस्वीर तो, ले जाना..
पर कतर देंगे जो अब देखा तुम्हें, उड़ते हुये.. :)
वाह.. नया ऑफिस.. नई जिम्मेदारियां.. शुभकामनाएं..
ReplyDeletewow... who wudn't love to work at such a place....congratulations.... yun hi udte rahiye... apne kshitij tak...:)
ReplyDeleteaur apne office se humein milane ke liye dhanyawaad....:)