19 June, 2007

शायद...

तुमने भी तो कितनी नज़्में
अधूरी सी...पन्नो पर छोड़ रखी हैं

तुम भी उस पन्ने की तरह तरसती रहो
कि वो वापस आएगा

तुम्हें पूरा करने के लिए
एक दिन
शायद एक दिन वो लौट ही आये

3 comments:

  1. isi tarah likhte raho...
    hato mat apne raah se...
    you write brilliant...
    amazing...
    this one is my stle of poetry...
    totally adore it...

    ReplyDelete
  2. अच्छी कवितायें हैं।

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...