मैंने अभी भागी हुयी लड़की के बारे में लिखा...जो अपनी आजादी चुनती है....
फिर ये क्या है -- अभागी लड़की...अ+भागी यानी जो भागी हुयी ना हो वो लड़की
ये हज़ारों लडकियां हैं जो अपने पैदा होने के कर्ज चुकाते चुकाते मर जाती हैं। ये वो लड़कियाँ हैं जो शायद कल्पना चावला की तरह उँची उड़ान भर सकती थी...ये वो लड़कियाँ हैं जो सानिया मिर्ज़ा की तरह अपना नाम रोशन कर सकती थी...ये वो चिनगारियां हैं जो समाज को रौशनी दे सकती थी मगर इन्हें कमरों में बंद कर दिया गया...
मेरी जिंदगी मेरी नहीं है...कर्ज़ है जो मेरे जन्मदाता वसूल किये बिना नहीं मानेंगे, अगर पैदा होने का कर्ज मर कर अदा किया जा सकता तो कर देती पर इस पैदा करने का कर्ज़ तो जिंदगी भर की घुटन है। मैं उस अभागी लड़की की तरह नहीं रह सकती हूँ। मेरी जिंदगी पर मेरा हक भी है भले तुम देना चाहो ना चाहो। बहुत बार कुछ चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। मैं लडूँगी, जब तक मुझमें सांस बाकी है मैं लडूँगी.
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