22 July, 2022

You can forget me. It’s okay.

 उसकी सुबह की फ़्लाइट थी, सात बजे उसे निकलना था। हमारे पास बात करने के लिए ज़रा सी सुबह थी। बहुत सा समंदर था। हल्की बारिश थी। एक समय में हमारी ख़ूब बात होती थी, पर हम मिले नहीं थे कभी। फिर कहीं कनेक्ट टूट गया और बातें बंद हो गयीं। लेकिन शायद हमने जिनसे बहुत बात की होती है, उनसे बात करना आसान होता है। समंदर किनारे टहलते हुए भी शायद। मुंबई रात भर जागने वाला शहर है, शायद इसलिए यहाँ सुबह कम लोग दिखते हैं। कितना सारा शायद न। उसने कहा, ‘एक समय में हम बहुत बात करते थे, शायद तुम्हें याद नहीं हो।मुझे याद था। लेकिन अक्सर ऐसी याद सिर्फ़ मेरे हिस्से आती है, इसलिए मैं किसी से पूछने से डरती हूँ। हमारे बीच करार हुआ है कि मैं उसके शहर जाऊँगी तो वो मुझे अपने पसंद के पेंटर्स की पेंटिंग दिखाएगा। मुझे नहीं मालूम, उस तेज़ हवा वाले साँय-साँय शहर में मैं कब जाऊँगी, लेकिन ये सोचना अच्छा है कि कुछ रंग मेरा इंतज़ार करेंगे। 


***

मेरा दोस्त कहता है मुझे भुला दिया जाने का मेनिया है। मैं हँसती हूँ। जबकि मेरा फूट फूट कर रोने का जी चाहता है। भूलना मेरे लिए सर्वाइवल मेकनिज़म है। कई साल पहले माँ गुजर गयी। उसे याद करते, रोते बिलखते, ख़ुद को गुनहगार समझते, सर्वाइवर गिल्ट से जूझते रहे। अकेलेअपने देश में किसी भी मानसिक रोग का इलाज करना करवाने की बात सोचना भी भयावह है। हमें सिर्फ़ पागलखाना मालूम होता है। मैं उस वक़्त पागलखाने में भर्ती होने से डरती थी। तो मैंने उसकी सारी यादें कहीं दिल के तहख़ाने में रख दीं। उसे कभी कभार कहानियों में तलाश लेती थी। छू लेती थी। उसकी साड़ियों वाली अलमारी का पल्ला खोल कर फूट-फूट रोयी हूँ। वहाँ वे साड़ियाँ काग़ज़ में लपेट कर रखी हुयी हैं अब भी, जो मुझे शादी में मिलनी थीं। मैं उसे भूलती नहीं तो मर जाती। मैं उसे भूल गयी, तो मैं जानती हूँ भुलाया जा सकता है किसी को भी। फिर मैं तो किसी की ज़िंदगी में उस गहराई से शामिल ही नहीं होती। आसान ही होता होगा मुझे भूलना। 

***

लिखने के लिए थोड़ा सा ख़ुद से प्यार करना ज़रूरी है। मैं इसलिए जब लिखने जाती हूँ तो अच्छे से साड़ी पहन कर स्टारबक्स जाती हूँ। मुंबई में साड़ी पहनी थी, काले रंग की। मुझे समंदर किनारे साड़ी पहन के टहलना था। बारिश के मौसम में। रिमझिम गिरे सवाल वाली मौसमी चैटरजी की तरह। बहुत देर तक समंदर किनारे खड़ी रही, सिर्फ़ समंदर देखते हुए। सोचते, कि बॉम्बे से प्यार होना कितना आसान है। कि जहाँ समंदर हो, सुकून रहता है सीने में। मैं कुछ साल बाद बॉम्बे में बसना चाहूँगी। समंदर किनारे फोटोग्राफर थे, उन्होंने फ़ोटो खींचने के लिए पूछा तो मैंने तस्वीर खिंचा ली। सेल्फ़ी में मज़ा नहीं रहा था। फिर उनकी रोज़ी रोटी भी तो चलनी चाहिए। वो तस्वीर भेजी तो उनका मेसेज आया। तुम बहुत सुंदर हो। मैंने बिना इफ़-बट किए इस बात को मान लिया कि जैसे बहुत साल पहले उस बात को मान लिया था कि किसी के सिर्फ़ शब्द पढ़ कर उससे बहुत गहरा प्यार होना मुमकिन है। और कि इस तिलिस्म का दरवाजा दो तरफ़ खुलता है। 


या कि दो तिलिस्मों के बीचकि जैसे दो जिस्मों के बीचशब्दों का एक दरवाज़ा है। इक उसका ही जादू नहीं है, मेरा भी है। 


कि ये जादू कुछ देर का खेल नहीं है, तमाशा नहीं है। ये जादू वैसा है कि जैसे चाँद घटता बढ़ता है हर रात। कि जैसे गंध खींचती है कोई वक़्त में बहुत पीछे, कि जैसे आस खींचती है कोई वक़्त में बहुत आगे। कि जैसे जुलाई का महीना कि जब बिछड़े हुए छह महीने से ऊपर हो जाते हैं और दुबारा मिलने में पाँच महीने से कम का वक़्त होता है। कि मिलने का वक़्त करीब होता हुआ लगता है। 


लोग जो मुझे जानते कम हैं, पर चाहते कितना सारा हैं। 


***

मुझे एक समय में भुला दिया जाने का बहुत डर था। अब नहीं है। एक किताब छपी है। एक ऐप पर नोवेला है। और पिछले कई सालों का लिखा जाने क्या कच्चा पक्का उपन्यास पब्लिशर के पास पड़ा है। आज कल छप ही जाएगा। ब्लॉग पर जाने कितने सालों का लिखा हुआ है। फ़ेस्बुक पर तो इतना है कि डॉक्युमेंट नहीं कर पा रहे। कोई इफ़ बट नहीं है ज़िंदगी में। मैं चीज़ों को आसान करते गयी हूँ। 

***


You can forget me. It’s okay. 

29 January, 2022

खाली गोड़ बुताओ सुट्टा, छाला कैसे नै पड़ेगा रे

 उसको सिगरेट पीते हुए देखे हो?’

काहे?’

अबे काहे के बच्चे, देखे हो कि नहीं?’

नै, हम तो नै देखे कौनची हो गया जो पीबो करती है तो! दुनिया केन्ने से केन्ने बिला गयी आपको ओकरे सिगरेट पीने से दिक्कत है।

अबे गधे की  दुम साले, हम बोले कि दिक्कत है! सुने बिना सब अपने सोच लो। तुम्हीं माथा खा रहे थे कि कहानी कैसे लिखते हैं हम। किरदार सब केन्ने से आता है।’    

हाँतब?’

तो देखो बबुआ, किरदार ऐसे उगता हैउसे देखा होता तो जानते तुम। सिगरेट पीती है तनिक लजाते हुए। होठों पर एक सिगरेट ही नहीं, आधा मुसकी लुक-छिप रहता है। ढेर बदमाश लगती है सिगरेट पीते हुए। जैसे कोई छोटा सा पाप कर रही हो। चप्पल पहन के मंदिर में घुस जाने जैसा। कोई छोटा सा प्यार, कोई छोटा सा क़त्ल। हायऽ उसे देख कर लगता है कि साला, ऐसन ख़तरनाक लड़की, कैसे तोड़ती होगी दिल।

बाप रे! एतना सारा कुछ उसको सिगरेट पीते देखने से दिख जाता है?’

ना, इससे थोड़ा ज़्यादा…’

धुर! इससे बेसी कौनची होता है?’

अरे बाबू, तुम देखे होते उसको सिगरेट पीते हुए तब बूझते। ना, तुम नहीं बूझते। महाबकलोल हो तुम। एक्के बार तो देखे थे हम भी।

अच्छा! कुछ हुआ फिर?’

हुआ! हाँ हुआ न। हाथ में सिगरेट बाद में दिखी, पहले तो उसके होंठ दिखे, धुआँ-धुआँ एकदम। लगा कि जिसको चूम कर आयी है, उसमें तो आग लग गयी होगी।

बेचारा!’

हाँ। बेचारा। काश, हम भी हो पाते ऐसे बेचारे।

हौऽ आपसे बेचारा होना तो हो पाएगा भैय्या!’

वही तो आफ़त है। बेचारा को माचिस मार देने का जी किया।

राम-राम! सच्ची में लड़कवा को मार दिए माचिस क्या?’

यही सब काम बचा है हमको। हम अपना सब अरमान को माचिस मारे। जो लड़की किसी और के प्यार में ऐसन धू-धू जल रही हो, उसे छू कर कौन बेवक़ूफ़ हाथ जलाए।

सही किए भैय्या। भाभीजी बहुत्ते दुखी हो जाती। भगवान आपको सदबुद्धि दिया।

थोड़ा और सदबुद्धि दे देता तो अच्छा रहता।

क्या करते और बुद्धि का आप?’

तुम्हारे जैसे बुड़बक के फेर में नहीं पड़ते।

अरे, हम काहे बुड़बक हो गए?’

अभी पूछ रहे थे कि किरदार कहाँ से आया। अभी भाभीजी भाभी जी कर रहे। ढपोरशंख। कोई लड़की नहीं थी। कहानी सुना रहे थे तुमको।

ओफ़्फ़ो! कहानी सुनाने के पहले बतला तो दीजिए कहानी सुना रहे थे। हम फ़ालतू का बरतुहारी में खाए वाला थरिया सोच  रहे थे।

बऊआ, तोहरा से क़िस्सा-कहानी नै होगा। तुम जाओ जाके लालटेन बारो। सायरी लिखो। दु लाइन का तुमरा बुद्धि है।

भैय्या ठीक  बात नै है, दुनिया में बहुत बड़ा बड़ा सायर हुआ है।

हाँ बाबू, लेकिन तुमको तो सबसे बड़ा सायर बनना है न। जाओ कुआँ पे बैठो कछुआ बार के। अगली बार हमसे सवाल-जवाब नै करना

अच्छा भैय्या। बरात में डीजे करवा दीजिएगा।

तुमरे बरात में करवाते हैं डीजे। फूटो यहाँ से।


गाँव के अधिकतर घरों में ढिबरी, लालटेन जल गयी थी। बग़ल वाले घर से धुएँ की गंध उठी थी। कोयला, लकड़ी और गोयठा की गंध में सिगरेट की गंध अलगा के सूंघ लेने वाला भैरो उदास हो रहा था। भला लड़का होना कितना बुरा है। और चिरैया उससे ही काहे कहती है हमेशा सिगरेट ला देने को। शहर से आयी बरात में वो गोरा-चिट्टा लड़का आया था जिसपर यूँ तो पूरे गाँव की लड़कियाँ मर मिटी थीं लेकिन उसको बस चिरैय्या को बिगाड़ना था। बागड़-बिल्ला। अब भैरो क्या समझाए चिरैय्या को कि उसकी बरात ऐसे नहीं आएगी गाँव में। वो ऐसे सिगरेट पी पी कर अपना और उसका, दोनों का कलेजा जलाना बंद करे। लाट-साहब लौट गए हैं। वो कहाँ भटक रही है कच्चे सपने में ख़ाली पैर। ऐसे में फेंकी हुयी सिगरेट बुताएगी तो गोड़ ही जलेगा बस। उफ़। कितना आग है, कितना गर्मी। प्यार करे चिरैय्या, दिल जले उसका। दुनिया का सब हिसाब-किताब कितना गड़बड़ है।
सपने में सिगरेट बुझाने से चिरैय्या के पाँव में छाला पड़ा हुआ था। लेकिन उसकी मरहम-पट्टी करने के पहले भैरो की नींद खुल खुल जाती थी। आँखों में चाँद चुभ रहा था। 


उसने काँधे से चादर उतारी और चाँद पर डाल के सो गया। 

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