21 March, 2023

तिलिस्म में उसे बनाने वाले के साथ घूमते हैं

वत्सलामेरी कॉलेज की दोस्तउसने कहानी के बाद सवाल पूछा। ‘तुम जो कहानियाँ लिखती होऐसी तिलिस्मी कहानियाँऐसी कहानी और जिंदगी के बीच में बैलेन्स कैसे बिठाती हो? How do you stay sane?’
'I don't. I can't. I am insane'. बहुत मुश्किल है ज़िंदगी जीना। कि हम सिलेक्टिव्ली वल्नरेबल नहीं हो सकते। कि कहानी लिखते हुए दिल को छोड़ दियासब कुछ महसूस लेने को। और कहानी ख़त्म होते ही दिल के दरवाज़े बंद कर किसी खोल में घुस गएकोई जिरहबख़्तर बाँध लिया कि ज़िंदगी का कोई दुःख मुझे छू  सके।
इस शनिवारबैंगलोर में स्टोरीटेलिंग का प्रोग्राम था। इश्क़ तिलिस्म जिस समय प्रिंट हो कर आयी थीउस वक्त अति-उत्साह में इतने वक्त आगे, मार्च का दिन और जगह बुक कर दिए थे। भूल गए थे कि ये बैंगलोर हैयहाँ किसके पास ऐसे कहानियों की फ़ुरसत होगीसुबह हुयी तो कुणाल ने कहाबीस मिनट से आधे घंटे मैक्स किसी का अटेन्शन स्पैन होगा। उस समय तक मैंने जो एक बार खुद की तसल्ली के लिए कहानी रेकर्ड करने की कोशिश की थीवो एक घंटा हो चुकी थीकम से कम आधा घंटा और होती। हम घबराए हुए थे। एक घंटे से कम में तो किसी भी तरह से कहानी सुना ही नहीं सकते। इम्पॉसिबल। इस इम्पॉसिबल के साथ घर से चले तो अपने ही इवेंट पर आधा घंटा लेट पहुँचे। Atta Galatta का न्यूज़लेटर पढ़ कर एक व्यक्ति आया थाइवेंट पर। अमित चतुर्वेदीउन्हें लिखने-पढ़ने का ख़ूब शौक़ हैऔर वे शहर में नए हैं। बाक़ी सब अपने दोस्त थे। बैंगलोर को बहुत ज़्यादा स्टीरियोटाइप कर दिया है लोगों नेकि सबके लिए आसान होता है। जब हम हर व्यक्ति को अलग अलग जानने के बजाए एक ही खाँचे में डाल देते हैं तो आसान होता है। शायद बाज़ार के लिए। धीरे धीरे सब लोग खुद भी मानने लगते हैं कि वे उसी स्टीरियोटाइप को बिलोंग करते हैं। बैंगलोर में कौन कहानी सुनने आएगाएक ऐसा ही सवाल है। मेरी कहानी सुनने जो लोग आएअधिकतर सॉफ़्ट्वेर में काम करते हैं। इश्क़ तिलिस्म में जो आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स का हिस्सा हैमैंने उसकी कहानियाँ इन लोगों से सुनी हैं। 
छोटा सा ऑडिटॉरीयम। कुर्सियाँ लगी हुयीं। अच्छी साउंड-प्रूफ़िंग। मैंने माइक नहीं लिया। स्टेज पर रखी कुर्सी पर नहींनीचे स्टेज पर बैठी। जैसे पुराने जमाने में अपने घर में लोगों को चारपाई पर बैठ कर कहानी सुनाते देखा था। मैंने अजरख की लाल-कत्थई मिट्टी रंग की साड़ी पहनी थी। दिल्ली से लौटे ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ थामैं भूली नहीं थीकि मैंने एक तिलिस्म रचा है। कि मैं एक तिलिस्म हूँ। कहानियाँ कहते हुए मैं कोई और होती हूँइस बार मैंने उस और को थोड़ा सा जीने से खुद को रोका नहीं। 
एक एक करके तिलिस्म के दरवाज़े खोलती गयी। लोग मेरे साथ कहानी में गहरे उतरते गए। इतराँउसका गाँव तिलिसमपूरउसका रूद्रउसकी नब्ज में सुनाई देती चिट्ठियाँकई सारी कहानियाँउसकी दादी सरकारहवा में जादू घुल रहा था। सब कहानी में खो गए थे। 
किसी ने मोबाइल निकाल कर विडीओ नहीं बनायाफ़ोटो तक नहीं खींचे। किसी ने नोटिफ़िकेशन नहीं देखे। एक घंटा हो गया था। कहानी में मोक्ष की एंट्री हो गयी थी। कुलधरा में। मेघ रंग आँखों वाला मोक्ष। बारिश के दिन इतरां से सिगरेट माँगता। काँधे पर के टैटू, ‘तत् त्वम असि’ से लिखता सवालतुम वही होजिसकी मुझे तलाश हैमैंने सुनने वालों से पूछा। ‘ब्रेक चाहिएचायकॉफ़ीखाने को कुछ?’ किसी को कुछ नहीं चाहिए था। सिर्फ़ कहानी सुनने आए थे लोग। 

डेढ़ घंटा। सिर्फ़ कहानी। एक छोटे से स्टेज पर बैठे हुए हम कहानी कहते रहे और लोगों ने पूरा डूब कर सुना। रील्स और वाइरल विडीओ के इंस्टंट दौर में इतने देर तक किसी का ध्यान भटका नहीं। ये जादू थाकुछ भी और नहीं। मैं भी इतने ही अचरज में थीजितना कि सुनने वाले। इतनी ही खुश थी। इस दुनिया में क्या कुछ नहीं हो सकतायक़ीन की बात है। 
आने वाले हर व्यक्ति के यहाँ होने की अपनी कहानी थी। उनका मेरे साथ एक क़िस्से का रिश्ता था। उन्होंने कभी किसी कहानी को सच होते देखा था। उनका मेरा यहाँ होनाइस शहर में कहानियों के बचे रहने की मेरी अपनीछोटी सी जगह थी। मैंने पिछले नौकरी लिखने के लिए छोड़ी थीवहाँ मुझे रहिल और बग्स मिले। इस क़िस्से को सुनने दोनों अपने पार्ट्नर्ज़ के साथ आए थे। मुझे हमेशा मालूम होता है कि वे आएँगेकितनी दूर से भीदेर-सवेर सहीपर आएँगे ज़रूर। निशांतमेरी कहानी का पहला श्रोताजिसने इस कहानी के कई और ऑल्टर्नट हिस्से सुने हैं। 
साक़िबजिसके साथ मैंने और कुणाल ने ढेर सी रोड ट्रिप्स की हैं। जो अपने बेटे अयान के साथ आया थापर इस कहानी में ड्रैगन तो था नहींतो अयान को तो मज़ा नहीं आया। अब उसके लिए एक ड्रैगन की कहानी लिखनी पड़ेगी।  

शिवांगीजिसे आज हम्पी में होना थालेकिन मौसम थोड़ा मेहरबान हो गया और वो बड़े प्यार से अपने नए नवेले दूल्हे को कम्बल ओढ़ के सोने का बेहतरीन मशवरा देकर मेरी कहानी सुनने आयी। 

सोनालीकिसी रोज़ स्टारबक्स में बहुत उदास कॉफ़ी पीते हुए उसे फ़ोन पर कहा, I want to go dancing, कहाँ जाएँबताओऔर ले चलो मुझे। उसकी एक ब्लैक ऐंड व्हाइट तस्वीर में उसकी सोना रंग आँखें चमकती हैं। दिखती नहीं अपने रंग मेंपर चमकती हैं। 
पूजा ललित को खुद भी थोड़ा लिखने और शायद ज़्यादा पढ़ने का शौक़ है। जिसके काम की मैंने हमेशा सिर्फ़ तारीफ़ सुनी है। 


रमनजिसकी रॉयल एनफ़ील्ड डेज़र्ट स्टॉर्म कहानी का किरदार है। कि अगर उसके मेरे बाइक वाले क़िस्से नहीं होते तो कहानी में सिर्फ़ बाइक होती। साथ में पुराना रूम पार्ट्नरवरुण। कभी कभार पेज पर उसका कमेंट आया तो मुझे समय ये जानने में लगा कि ये वही वरुण हैलेकिन उसको पढ़ने लिखने का शौक़ भी है। गाड़ी पंचर हो गयीतो दोनों इवेंट के बाद पहुँचे और कहानी के बाद की कहानी का क़िस्सा बने। 
हिमांशु और उसकी दुल्हनिया को, सबसे पहले पहुँचने के लिए और चाय-कॉफ़ी बनवा देने के लिए, शुक्रिया। कभी कहानी में साथ में म्यूज़िक की ज़रूरत लगेगी तो ड्रम्स तुम्हें ही बजाना है। ठीक से प्रैक्टिस करो।  



गौरवअपने घर का बच्चाजिसको रेणु पढ़ने को बोल सकते हैं। कहानी का तिलिसमपूर जैसा गाँव उसने पास से देखाजिया है। जिसको डान्स करने जाने के लिए भी बुला सकते हैं और कहानी सुनने के लिए भी। इस भरोसे के साथकि वो आएगा पक्के से।

छोटी - बहन, सौम्या उपाध्याय, कि जिसने किताब के प्रूफ़-वाले ड्राफ़्ट को पढ़ा था। इक छोटी सी फ़िल्म भी शूट की थी उसके साथ, जो बाद में अपलोड करेंगे। और जो इलेक्ट्रॉनिक सिटी से कहानी सुनने आयी। कहानी जैसी लड़की।  


कहानी को थोड़ा पानी के रंग में देखने की ख्वाहिश लिए वाटरकलर पेंटिंग बनवायी थीकवर के लिए। दो और हिस्से रंगने के लिए परिणीता कोणानुर को तलाशा था। चिकमगलूर में रहने वाली परिणीताइत्तिफ़ाक़ से आज बैंगलोर में थीं और इवेंट पर भी आयी।

हमसफ़र कुणाल। जो शायद घर में मुझे देखते भूल जाता है कि मेरा कोई और भी रंग है। ख़ास impressed हो कर लौटा। पंद्रह साल पुराने पति को इम्प्रेस करना शायद सबसे बड़ी बात है। 


जो आएउनके अलावा शुक्रिया उनकाजो नहीं  पाए ताकि मैं जा सकूँमेरी सास का और छोटे देवरशाश्वत काजिन्हें घर पर रहना पड़ा क्योंकि छोटे बच्चों को लेकर नहीं जा सकते थे और कुणाल भी कहानी सुनने आया था। 

शुक्रिया बहुत छोटा सा शब्द है। लेकिन दिल से कहा जाएतो कई दिनों तक कलाई में ख़ुशबू की तरह गमकता है। 


आप सब का ढेर सारा शुक्रिया। 


(इस पोस्ट की फ़ॉर्मैटिंग ठीक नहीं हो रही, बहुत कोशिश कर के देख लिए। )


1 comment:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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