01 August, 2019

My happy place

नसों में कोई कहानी उमगती है। मैं बारिश में गंगा किनारे बैठी हूँ। तुम्हारी आवाज़ में एक ठंडापन है जो मुझे समझ नहीं आता। बाढ़ में खोयी चप्पल की बात हो कि महबूब के दिल तोड़ने का क़िस्सा। तुम तो इतनी दूर कभी नहीं थे? 

फिर? कोई तो बात हुयी होगी। हम वाक़ई एक दूसरे से एकदम कट गए हैं ना? पता है, तुम्हें सुनाए बिना मेरी कोई कहानी पूरी ही नहीं महसूस होती। जब से तुमने मुझे पढ़ना छोड़ा है, मैंने ठीक ठीक लिखना छोड़ दिया है।

एक अमेरिकन टीवी सीरीज़ है, सूट्स। वकीलों की कहानी है। इसमें लीड में एक बहुत ख़ूबसूरत सा बंदा है... उसका नाम है हार्वी स्पेक्टर। वैसे लोग जिन्हें लोग इमोशनली अनवेलबल कहते हैं। इसके पीछे की कहानी ये है कि वो जब ग्यारह साल का था, तब उसने एक बार अपनी माँ को किसी और के साथ अपने घर में देख लिया था और उसकी माँ ने उसे ये बात उसके पिता को बताने से मना की थी। उसने माँ की बात तो रख ली लेकिन उस बात का ज़ख़्म उसे कितना गहरा लगा था ये सीरीज़ में उसके सभी रिश्तों में दिखती थी। उसके ऑफ़िस में एक बेहद बदसूरत सी बत्तख़ की पेंटिंग लगी थी। इक एपिसोड में कुछ ऐसी घटना घटी कि एक विरोधी ने उसे हर्ट करने के लिए उसका कुछ छीनना चाहा... वो जानता था कि पैसों से उसे कोई दुःख नहीं पहुँचेगा, तो इसलिए वो उस पेंटिंग को उतार ले गया।


आगे पता चलता है कि हार्वी की माँ एक पेंटर थी... उस हादसे के पहले की एक दोपहर वो पेंट कर रही थी और हार्वी उन्हें देख रहा था... उसकी माँ के साथ ये उसकी आख़िरी ख़ुशहाल याद थी। इसलिए ये पेंटिंग उसे इतनी अज़ीज़ थी।

सीरीज़ में सबसे ज़्यादा मुझे एक यही चीज़ ध्यान आती रही जबकि उसमें कई अच्छे केस और कई अच्छे किरदार थे। हम हमेशा लौट के किसी ख़ुश जगह पर जाना चाहते हैं। जहाँ कोई दुःख न था। कुछ लोग ख़ुशक़िस्मत होते हैं कि उनके लिए ऐसी तमाम जगहें होती हैं। उनके जीवन में कोई all encompassing दुःख नहीं होता जो कि हर ख़ुशी को फीका कर दे।

कुछ लोग हमारे लिए ऐसे ही ख़ुश वाली जगह होते हैं। मैं इक बार ऐसे ही किसी लड़के से मिली थी। he was my happy place। मैं याद करना चाहती हूँ कि ज़िंदगी में आख़िरी बार सबसे ज़्यादा ख़ुश कब थी तो उससे वो मुलाक़ात याद आती है। ये बात मुझे बेतरह उदास करती है कि मेरे पास लौट के जाने के लिए बहुत कम जगहें हैं। दिल्ली मेरे लिए यही शहर है। मैं अपनी माँ के साथ पहली बार पिज़्ज़ा खाने गयी थी, अपने ख़ुद के पैसों से। मैंने अपने दोस्तों के साथ अपनी पसंद की किताबों की ख़रीददारी की। अपने सबसे फ़ेवरिट लेखक के हाथ चूमे। मुझे बेतरह एक स्टेशन और उसे अलविदा कहना याद आता रहता है। एक ग्लास विस्की और एक ग्लास वोदका...और एक सिगरेट। मैं ज़िंदगी में एक ही बार किसी की जैकेट की गर्माहट और ख़ुशबू में घिरी बैठी थी और ख़याल सिर्फ़ इतना था कि वो चला जाएगा। इतनी गहरी उदासी भी बहुत कम आती है ज़िंदगी में।

पता नहीं तुम कभी लिखना शुरू करोगे या नहीं। अब अधिकार नहीं जताती लोगों पर, तुम पर भी नहीं।

इन दिनों बारिश का धोखा होता है। नए पुराने लोग याद आते हैं। मैं कहना चाहती हूँ कि मेरे मरने के बाद अगर किसी बात को न कह पाने का अफ़सोस होगा तुम्हें, तो वो बात मेरे जीते जी कह देना।

1 comment:

  1. जब से तुमने मुझे पढ़ना छोड़ा है, मैंने ठीक ठीक लिखना छोड़ दिया है। वाह! पढ़कर मजा आ गया।

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...