तुम्हें सौंदर्य इतना आक्रांत क्यूँ करता है? उसकी सुंदरता निष्पाप है। उसने कभी उसका कोई घातक इस्तेमाल नहीं किया। कभी किसी की जान लेना तो दूर की बात है, किसी का दिल भी नहीं तोड़ा। उसने हमेशा अपने सौंदर्य को एक बेपरवाही की म्यान में ढक कर रखा। तुम्हें ख़ुद से बचा कर रखा। तुम उसकी ख़ूबसूरती से इतना डरते क्यूँ हो कि जैसे वो कोई बनैला जानवर हो...भूखा...तुम्हारे समय और तुम्हारे प्रेम का भूखा?
उसकी ख़ूबसूरती को लेकर पैसिव नहीं हो सकते तुम? थोड़े सहनशील। ऐसा तो नहीं है कि दुखता है उसका ख़ूबसूरत होना। उसकी काली, चमकती आँखें तुम्हें देखती हैं तो तकलीफ़ होती है तुम्हें? सच बताओ? तुम्हारा डर एक भविष्य का डर है। प्रेम का डर है। आदत हो जाने का डर है। ऐसे कई लोगों के भीषण डर के कारण वो उम्र भर अपराधबोध से ग्रस्त रही। एक ऐसे अपराध की सज़ा पाती रही जो उसने किया ही नहीं था। ख़ुद को हर सम्भव साधारण दिखाने की पुरज़ोर कोशिश की। शृंगार से दूर रही, सुंदर रंगों से दूर रही...यहाँ तक कि आँखों में काजल भी नहीं लगाया कभी। अब उम्र के साथ उसके रूप की धार शायद थोड़ी कम गयी है, इसलिए उसने फिर से तुम्हें तलाशा।
तुम रखो ना अपने बदन पर अपना जिरहबख़्तर। तुम रखो अपनी आत्मा को उससे बहुत बहुत ही दूर। मत जुड़ने दो उससे अपना मन। लेकिन इतना तो कर सकते हो कि जैसे गंगा किनारे बैठ कर बात कर सकते हैं दो बहुत पुराने मित्र। एक दूसरे को नहीं देखते हुए, बल्कि सामने की धार को देखते हुए। ना जाओ तुम उसके साथ Bern, लेकिन बनारस तो चल सकते हो?
उसे तुम्हारी वाक़ई ज़रूरत है। ज़िंदगी के इस मोड़ पर। देखो, तुम नहीं रहोगे तो भी ज़िंदगी चलती रहेगी। उसे यूँ भी अपनी तन्हाई में रहने की आदत है। लेकिन वो सोचती है कभी कभी, तुम्हारा होना कैसा होगा। तुम्हारे होने से सफ़र के रंग सहेजना चाहेगी वो कि तुम्हारे लिए भेज सके काग़ज़ में गहरा लाल गुलाल...टेसू के फूलों से बना हुआ। तुम किसी सफ़र में जाओ तो सड़कों पर देख लो मील के पत्थर और उसे भेज दो whatsapp पर किसी एकदम ही अनजान गाँव का कोई gps लोकेशन। ज़िंदगी बाँटी जा सकती है कितने तरह से। थोड़ी सी जगह बनाओ ना उसके लिए अपनी इस ज़िंदगी में। बस थोड़ी सी ही। अनाधिकार तो कुछ भी माँगेगी नहीं वो। लेकिन कई बरस की दोस्ती पर इतना सा तो माँग ही सकती है तुमसे।
किसी नीले चाँद रात एक बाईक ट्रिप हो। सुनसान सड़कों पर रेसिंग हो। क़िस्से हों। कविताएँ। एक आध डूएट गीत। ग़ालिब और फ़ैज़ हों। मंटो और रेणु हों।
हम प्रेम की ज़रूरत को अति में देखते हैं। प्रेम की जीवन में अपनी जगह है। लेकिन उसके बाद जो बहुत सा विस्तार है। बहुत सा ख़ालीपन। उसमें दोस्त होते हैं। हाँ, डरते हुए दोस्त भी...कि तुमसे प्यार हो जाएगा, तुम्हारी लत लग जाएगी। ये सब ज़िंदगी का हिस्सा है। वो जानती है कि वो कभी भी love-proof नहीं होगी। उससे प्यार हो जाने का डर हमेशा रहेगा। लेकिन इस डर से कितने लोगों को खोती रहेगी वो ज़िंदगी में। और कब तक।
सुनो ना ज़िद ही मानो उसकी। समझो थोड़ा ना उस ज़िद्दी लड़की को जिसे तुम पंद्रह की उमर से जानते हो। She needs you. Really. कुछ वक़्त अपना लिख दो ना उसके नाम। थोड़ा दुःख तुम भी उठा लो। क्या ही होगा। कितना ही दुखेगा। पिलीज। देखो, हम सिफ़ारिश कर रहे हैं उसकी। अच्छी लड़की है। ख़तरनाक है थोड़ी। सूयसाइडल है। डिप्रेस्ड हो जाती है कई बार। लेकिन अधिकतर नोर्मल रहेगी तुम्हारे सामने। दोस्ती रखोगे ना उससे? प्रॉमिस?
उसकी ख़ूबसूरती को लेकर पैसिव नहीं हो सकते तुम? थोड़े सहनशील। ऐसा तो नहीं है कि दुखता है उसका ख़ूबसूरत होना। उसकी काली, चमकती आँखें तुम्हें देखती हैं तो तकलीफ़ होती है तुम्हें? सच बताओ? तुम्हारा डर एक भविष्य का डर है। प्रेम का डर है। आदत हो जाने का डर है। ऐसे कई लोगों के भीषण डर के कारण वो उम्र भर अपराधबोध से ग्रस्त रही। एक ऐसे अपराध की सज़ा पाती रही जो उसने किया ही नहीं था। ख़ुद को हर सम्भव साधारण दिखाने की पुरज़ोर कोशिश की। शृंगार से दूर रही, सुंदर रंगों से दूर रही...यहाँ तक कि आँखों में काजल भी नहीं लगाया कभी। अब उम्र के साथ उसके रूप की धार शायद थोड़ी कम गयी है, इसलिए उसने फिर से तुम्हें तलाशा।
तुम रखो ना अपने बदन पर अपना जिरहबख़्तर। तुम रखो अपनी आत्मा को उससे बहुत बहुत ही दूर। मत जुड़ने दो उससे अपना मन। लेकिन इतना तो कर सकते हो कि जैसे गंगा किनारे बैठ कर बात कर सकते हैं दो बहुत पुराने मित्र। एक दूसरे को नहीं देखते हुए, बल्कि सामने की धार को देखते हुए। ना जाओ तुम उसके साथ Bern, लेकिन बनारस तो चल सकते हो?
उसे तुम्हारी वाक़ई ज़रूरत है। ज़िंदगी के इस मोड़ पर। देखो, तुम नहीं रहोगे तो भी ज़िंदगी चलती रहेगी। उसे यूँ भी अपनी तन्हाई में रहने की आदत है। लेकिन वो सोचती है कभी कभी, तुम्हारा होना कैसा होगा। तुम्हारे होने से सफ़र के रंग सहेजना चाहेगी वो कि तुम्हारे लिए भेज सके काग़ज़ में गहरा लाल गुलाल...टेसू के फूलों से बना हुआ। तुम किसी सफ़र में जाओ तो सड़कों पर देख लो मील के पत्थर और उसे भेज दो whatsapp पर किसी एकदम ही अनजान गाँव का कोई gps लोकेशन। ज़िंदगी बाँटी जा सकती है कितने तरह से। थोड़ी सी जगह बनाओ ना उसके लिए अपनी इस ज़िंदगी में। बस थोड़ी सी ही। अनाधिकार तो कुछ भी माँगेगी नहीं वो। लेकिन कई बरस की दोस्ती पर इतना सा तो माँग ही सकती है तुमसे।
किसी नीले चाँद रात एक बाईक ट्रिप हो। सुनसान सड़कों पर रेसिंग हो। क़िस्से हों। कविताएँ। एक आध डूएट गीत। ग़ालिब और फ़ैज़ हों। मंटो और रेणु हों।
हम प्रेम की ज़रूरत को अति में देखते हैं। प्रेम की जीवन में अपनी जगह है। लेकिन उसके बाद जो बहुत सा विस्तार है। बहुत सा ख़ालीपन। उसमें दोस्त होते हैं। हाँ, डरते हुए दोस्त भी...कि तुमसे प्यार हो जाएगा, तुम्हारी लत लग जाएगी। ये सब ज़िंदगी का हिस्सा है। वो जानती है कि वो कभी भी love-proof नहीं होगी। उससे प्यार हो जाने का डर हमेशा रहेगा। लेकिन इस डर से कितने लोगों को खोती रहेगी वो ज़िंदगी में। और कब तक।
सुनो ना ज़िद ही मानो उसकी। समझो थोड़ा ना उस ज़िद्दी लड़की को जिसे तुम पंद्रह की उमर से जानते हो। She needs you. Really. कुछ वक़्त अपना लिख दो ना उसके नाम। थोड़ा दुःख तुम भी उठा लो। क्या ही होगा। कितना ही दुखेगा। पिलीज। देखो, हम सिफ़ारिश कर रहे हैं उसकी। अच्छी लड़की है। ख़तरनाक है थोड़ी। सूयसाइडल है। डिप्रेस्ड हो जाती है कई बार। लेकिन अधिकतर नोर्मल रहेगी तुम्हारे सामने। दोस्ती रखोगे ना उससे? प्रॉमिस?
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