'तुम्हें जिरहबख्तर उतारना आता है?' लड़की ने पूछा था.
लड़का हँसा था, 'सिल्क, सैटिन और लेस के ज़माने में जिरहबख्तर कौन पहनता है?'.उसकी हँसी पर तीखा घाव लगा था...लड़की के ऑफ शोल्डर ड्रेस की महीन किनारी में तलवार की धार सा तेज स्टील का धागा बुना हुआ था. उसका जिस्म महीन, धारदार जालियों में बंधा हुआ था. उसकी कमर पर हाथ रखते हुए हथेलियों में बारीक धारियां बनती गयीं थीं...उसकी उम्र की रेखा को कई जगह से काटती हुयीं.
शायद अँधेरा था. लड़के ने गौर से नहीं देखा होगा. लड़की की आँखों में कंटीले तारों की सीमारेखा बंधी हुयी थी. जिसके पार नो-मैन्स-लैंड था. उसने सिर्फ उस ज़मीन पर खिलते हुए गुलाबी फूल देखे थे...घास के कालीन की हरी मुलायमत देखी थी. बारूद के बिखरे रूपहले कणों पर उसका ध्यान नहीं गया था. ये विवादित क्षेत्र था. मौत अपने शिकार की तलाश में तितलियों की शक्ल में भटका करती थी. किसी की गंध तलाशती हुयी.
उसकी आँखों की पगडंडियाँ दिल में नहीं जहन्नुम में खुलती थीं...
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अँधेरा एक खूबसूरत चित्रकार है. रात घिरते कई तसवीरें बनाया करता. लड़की जिसकी आँखों में देख लेती, उसकी रूह कैद कर लेती. शाम घिरते वो बालकनी में बुलबुले उड़ाया करती. उसकी पलकें झपकतीं तो रूहें उन काले रंग के बुलबुलों में कैद हो जाया करतीं. लम्हा लम्हा बुलबुले फूट जाते और रात की काली नदी में शहर डूब जाता. रूहें कई बार रास्ता भटक जातीं और सियाही की बोतल में रहने लगतीं. लड़का ऐसी ही किसी सियाही से लिख रहा था...लिखते लिखते उसके हाथों से उस लड़की की तस्वीर बन गयी. वो देर रात तक पियानो बजाती रही थी. जब तक कि सारे काले कीय्स उसकी उँगलियों में न चुभ गए. तस्वीर में गिरने लगे पियानो के काले बटन...ग्लास में रखी काली ऐब्सिंथ...और लड़के के गहरे राज़.
लड़के ने अपनी कलाई काट कर जान देने की कोशिश की. उसकी कलाई से इतना कोलतार बहा कि उसके घर से महबूबा के घर तक की कच्ची पगडंडी रात भर में पक्की सड़क में तब्दील हो गयी. सुबह उसे कब्रगाह ले जाने वालों का काफ़िला अचानक लड़की के घर की तरफ मुड़ गया वर्ना उसे बहुत दिनों तक मालूम नहीं चलता कि उसकी खिड़की पर काले गुलाब रखने किसने बंद कर दिए हैं.
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लड़की को दर्द की आदत लग चुकी थी. इश्क़ से भी बुरी आदत.
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जाते हुए उसने मेरी खारी आँखें चूमीं.
'तुम्हें ब्लैक कॉफ़ी पीने की आदत छोड़नी नहीं चाहिए थी, तुम में मुझे सिर्फ वही एक चीज़ अच्छी लगती थी'.
'मेरा ब्लैक कॉफ़ी पीना?'
'नहीं. आफ्टरटेस्ट'
'तुम्हें ब्लैक कॉफ़ी पीने की आदत छोड़नी नहीं चाहिए थी, तुम में मुझे सिर्फ वही एक चीज़ अच्छी लगती थी'.
'मेरा ब्लैक कॉफ़ी पीना?'
'नहीं. आफ्टरटेस्ट'
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घर में न सिगरेट है, न विस्की है, न तुम हो. हम तलब से मर क्यूं नहीं जाते?
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 21 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteजाते हुए उसने मेरी खारी आँखें चूमीं.
ReplyDelete'तुम्हें ब्लैक कॉफ़ी पीने की आदत छोड़नी नहीं चाहिए थी, तुम में मुझे सिर्फ वही एक चीज़ अच्छी लगती थी'.
'मेरा ब्लैक कॉफ़ी पीना?'
'नहीं. आफ्टरटेस्ट'
Bahuuut Umda
जाते हुए उसने मेरी खारी आँखें चूमीं.
Delete'तुम्हें ब्लैक कॉफ़ी पीने की आदत छोड़नी नहीं चाहिए थी, तुम में मुझे सिर्फ वही एक चीज़ अच्छी लगती थी'.
'मेरा ब्लैक कॉफ़ी पीना?'
'नहीं. आफ्टरटेस्ट'
Bahot hi sahi.