22 April, 2015

सांस की जादुई चिड़िया कलम में रहती थी

मेरा एक गहरा, डार्क किरदार रचने का मन कर रहा है. मेरे अंदर उसकी करवटों से खरोंच पड़ती है. उसके इश्क़ से मेरी कलम को डर लगता है.


वो जादूगर है. उसकी सुन्दर कलाकार उँगलियों में न दिखने वाली ब्लेड्स छुपी रहती हैं. वो जब थामता है मेरा हाथ तो तीखी धार से कट जाती है मेरी हथेली. गिरते खून से वो लिखता है कवितायें. वो बांहों में भरता है तो पीठ पर उगती जाती हैं ज़ख्मों की क्यारियाँ...उनमें बिरवे उगते हैं तो मुहब्बत के नहीं इक अजीब जिस्मानी प्यास के उगते हैं. वो करना चाहता है मेरा क़त्ल. मगर क़त्ल के पहले उसे उघेड़ देना है मेरी आँखों से मुहब्बत के हर मासूम ख्वाब को. उसकी तकलीफों में मैं चीखती हूँ तुम्हारा नाम...इक तुम्हारा नाम...तुम्हें हिचकियाँ आती हैं मगर इतनी दूर देश तुम नहीं भेज सकते हो सैनिकों की पलटन कि मुझे निकाल लाये किसी तहखाने से. मैं दर्द की सलाखों के पार देखती हूँ तो सुनाई नहीं पड़ती तुम्हारी हँसी.

वो जानता है कि मेरी साँसों की जादुई चिड़िया मेरी कलम की सियाही में रहती है...वो डुबा डालता है मेरे शब्दों को मेरे ही रक्त में...मुझमें नहीं रहती इतनी शक्ति कि मैं लिख सकूँ इक तुम्हारा नाम भी. धीमी होती हैं सांसें. वो मुझे लाना चाहता है सात समंदर पार अपने देश भारत किसी ताबूत में बंद कर के...मेरी धड़कनों को लगाता है कोई इंजेक्शन कि जिससे हज़ार सालों में एक बार धड़कता है मेरा दिल और साल के बारह महीनों के नाम लिखी जाती है एक सांस...उस इक धड़कन के वक़्त कोई लेता है तुम्हारा नाम और मेरा जिस्म रगों में दौड़ते ज़हर से बेखबर दौड़ता चला जाता है फोन बूथ तक...तुमसे बात कर रही होती है तुम्हारी प्रेमिका...उसने ही भेजा है इस हत्यारे को. आह. जीवन इतना प्रेडिक्टेबल हो सकता है. मुझे लगता था यहाँ कहानियों से ज्यादा उलझे हुए मोड़ होंगे.

वो जानता है मैं तुम्हारी आवाज़ सुन भी लूंगी तो हो जाउंगी अगले कई हज़ार जन्मों के लिए अमर. कि मेरे जिस्म के टुकड़े कर के धरती के जितने छोरों पर फ़ेंक आये वो, हर टुकड़े से खुशबु उड़ेगी तुम्हारी और तुम तक खबर पहुँच जायेगी कि मैंने तुमसे इश्क किया था. वो तुमसे इतनी नफरत करता है जितनी तुम मुझसे मुहब्बत करते हो. उसकी आँखों में एक उन्माद है. मैंने जाने क्यूँ उसका दिल तोड़ा...अनजाने में किया होगा.

कलम के पहले उसे छीननी होती है मेरी आवाज़...उस कानफाडू शोर में मैं सुन नहीं सकती अपनी आवाज़ भी...मैं जब पुकारती हूँ तुम्हें तो मेरे कलेजे का पोर पोर दुखता है...मेरी चीख से सिर्फ मेरी अंतरात्मा को तकलीफ होती है. बताओ. इश्क कितना यूजलेस है अगर उसके पार जीपीएस ट्रेकिंग का कोई जुगाड़ न हो. हिचकियाँ वन वे लेटर होती हैं. तुम्हें तो सबने दिल में बसा रखा है...हिचकियों का कोई मोर्स कोड तो होता नहीं कि मालूम चल जाए कि मैं तुम्हें याद कर रही हूँ.

मैं भूल गयी हूँ कैसा है मेरा नाम...ट्रांस म्यूजिक के अंतराल पर पड़ने वाले ड्रम बीट्स और आर्टिफिसियल वाद्ययंत्रों ने भुला दिया है मेरे दिल और साँसों का रिदम. मैं वो लम्हा भूलने लगी हूँ जब पहली बार तुम्हें देखा था...स्लो मोशन में...वक्त की सारी इकाइयां झूठी होने लगी हैं. वो मुझे खाने के साथ रोज़ पांच लोहे की जंग लगी कीलें देता है. मैं उन्हें निगलने की जितनी कोशिश करती हूँ उतना ही मेरा गला छिलता जाता है. जाने कितने दिन हुए हैं. शायद आँतों में इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हो गयी हो. चलती हूँ तो भारी भारी सा लगता है. मैं कहीं भाग नहीं सकती हूँ. उसने राइटिंग पैड जैसे बना रखे हैं लकड़ी के फट्टे, छोटे छोटे. हर रोज़ मेरी एक ऊँगली में एक छोटा सा स्केल्नुमा फट्टा ड्रिल कर देता है. मैं अब तुम्हारा नाम कभी लिख नहीं पाऊँगी. कलम पकड़ने के लिए कोई उँगलियाँ नहीं हैं.

जैसे जैसे मरने के दिन पास आते जा रहे हैं...चीज़ें और मुश्किल होती जा रही हैं. कमरे में पानी का एक कतरा भी नहीं है. मैं सांस भी सम्हल के लेती हूँ...कि हर सांस के साथ पानी बाहर जाता है. गला यूँ सूखता है जैसे कीलें अभी भी गले में अटकी हुयी हों. मैं सोचती हूँ...तुम हुए हो इतने प्यासे कभी? कि लगे रेत में चमकती मृगतृष्णा को उठा कर पी जाऊं?

बहुत दिन हो गए इस शहर आये हुए...अफ़सोस कितने सारे हैं...सोचो...कभी एक और बार तुम्हें देखना था...तुम्हारे गले लगना था. तुम्हें फोन करके कहना था 'सरकार' और सुननी थी तुम्हारी हँसी. अभी खींचनी थी तुम्हारी तसवीरें कि तुम्हें मेरा कैमरा जब देखता है तो महबूब की नज़र से देखता है. मगर जल्दी ही आखिरी सांस ख़त्म और एक नया रास्ता शुरू. तुम्हें रूहों के बंधन पर यकीन है? पुनर्जन्म पर?

मुझे मर जाने का अफ़सोस नहीं है. अफ़सोस बस इतना कि जाते हुए तुम्हें विदा नहीं कह पायी. के तुम चूम नहीं पाये मेरा माथा. के मैं लौट कर नहीं आयी इक बार और तुम्हें गले लगाने को.

सुनो. आई लव यू.
मुझे याद रखोगे न. मेरे मर जाने पर भी?

3 comments:

  1. वो जानता है मैं तुम्हारी आवाज़ सुन भी लूंगी तो हो जाउंगी अगले कई हज़ार जन्मों के लिए अमर.

    अमरत्व का कोई वरदान निश्चित तुम्हारी कलम को भी मिला है...
    सुनो. आई लव यू... ... ...

    ढ़ेरों स्नेह तुम्हें... तुम्हारे किरदारों को... और तुम्हारी कलम को...!

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  2. एक डार्क किरदार का ....रौशनी में एक्सरे ??? पढ़े -लिखे टिप्पणी करें ....
    स्वस्थ रहें ....

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