तीस की उम्र में बहुत सी चीज़ों में समझदारी आ जाती है. ये दुनिया वैसी नहीं है जैसी सोचा करती थी...चीज़ें उतनी सिंपल नहीं हैं और रिश्तों में बहुत सी पेचीदगी है...इश्क अभी भी समझ से बाहर है. हम जैसा अपना आने वाला कल सोचते हैं...कल वाकई वैसा नहीं होता कुछ अलग ही होता है. बहुत कुछ ऐसा खोया जिसके बिना जिंदगी अधूरी है तो बहुत कुछ पाया भी जिसके पाने की कल्पना नहीं की थी.
बहुत सालों के बाद बर्थडे में पटना में हूँ, पापा और जिमी के साथ...उतने ही साल बाद कुणाल के बगैर हूँ... इस बार पहली बार मायके में हूँ तो महसूस किया कि कितना बड़ा परिवार है उधर और कितने सारे लोग कितना सारा प्यार करते हैं मुझे. कभी कभी चीज़ों को महसूस करने के लिए उनसे दूर जाना पड़ता है. रात को देर तक फोन बजता रहा...सुबह भी अनगिन फोन आये.
थर्टी इज द बेस्ट टाइम इन लाइफ.
जिंदगी में बहुत सारी चीज़ों के प्रति निश्चिन्तता आ जाती है. इसी बात से कई बार डर भी लगता है हालाँकि, लेकिन फिर लगता है कि नहीं...प्यास अभी बाकी है...बंजारामिजाजी ने रिजाइन नहीं किया है पोस्ट पर से.
पापा से घूमने के बारे में बात कर रही थी, इस साल पापा को घूमने जाना है...तो मैं घुमक्कड़ी के अपने किस्से सुना रही थी...कि अब कुणाल और जिमी को तो काम है पापा...ऑफिस है, एक काम करते हैं हम और आप निकल जाते हैं घूमने. मेरे ख्याल से मेरा घुमक्कड़ी का 'जीन' पापा की तरफ से आया है. पता नहीं क्या प्रोग्राम बनेगा पर पापा के साथ योरोप का टूर...अल्टीमेट होगा.
इस बर्थडे पर बहुत दिन से बहुत सारा कुछ लिखने का मन था...लेकिन दिल भरा भरा सा है...कुछ खास लिखने का मन नहीं है. कल शाम को गंगा आरती देखने गयी थी...गंगा किनारे नाव पर बैठ कर बहुत दूर का चक्कर लगाया...लकड़ी की उस नाव पर बैठे अनगिन तसवीरें उतारीं. गंगा का पानी हमेशा की तरह था...निर्विकार... मन में कहीं हिमालय पर भाग जाने की ख्वाहिश को बोता हुआ. आरती करते हुए पंडितों के चेहरे पर अजीब तेज था...जैसे वो किसी और दुनिया के लोग हों...तप्त...आभा में दमकते हुए. धूप, अगरबत्ती, शंख...बहुत सारा मंत्रोच्चार.
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नाव का किराया ३० रुपये था. नाव में अधिकतर लड़के थे...हर उम्र के लड़के...मैं उनके बारे में कितना कुछ सोचती रही. जाने किसी गरीब लड़के का भी कैसे तो ख्याल आया या कि छुट्टियों में घर आये किसी लड़के का जिसने आने के पहले सोचा न हो कि ऐसी कोई चीज़ देखने को मिल जायेगी. हर रोज़ ३० रुपये जुगाड़ने की मशक्कत करनी पड़े. मुझे मालूम नहीं मुझे ऐसा ख्याल क्यूँ आया मगर उन अनजाने चेहरों में कोई अजीब किस्म का अपनापन था. जैसे मेरे घर, मोहल्ले, गाँव के लड़के हों. कि जैसे गंगा आरती देखने वाले लड़के कोई अपराध नहीं कर सकते. कि उनके मन में कोई गंगा ऐसी ही बहती होगी...गंगाजल कभी भी ख़राब नहीं होता, सालों साल बाद भी. एक कहानी भी उभरी मन में...कि गंगा किनारे किसी से मिलने आना कैसा होता होगा. कुछ नहीं बस बरसात के मौसम में मिलने आना कि जब गंगा पटना के घाट तक आ जाती हो. किसी नाव पर पाँव लटकाये बैठे रहे...क्या क्या किस्से सुनाते रहे. कि लगा कि कितनी सारी कहानियां सुनाना चाहती है गंगा. हिलोरे मारती लहरें...कि डूब कर किया जाता है प्यार. कि शाम को आरती के बाद बहा देना चाहिए कोई नाम पत्ते के दोने पर रख कर दिए की लौ में...कि गंगा किनारे आ कर मन का कितना सारा रीता कोना भरने लगता है. कि किसी के जाने के बाद भी उन जगहों पर रह जाता है सोच का कतरा...कि किसी समय गंगा में मेरे नाम की मन्नतें किसी ने बहायीं होंगी.
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बहुत कुछ उलझा हुआ है जिंदगी में मगर कहीं एक यकीन है कि सुलझा लूंगी. घर पर इतने सारे लोग हैं...इतने अच्छे दोस्त...और मेरा कुणाल :) इतने में बहुत कुछ किया जा सकता है...बनाया जा सकता है...रचा जा सकता है.
अच्छा अच्छा सा लग रहा है. और ये वाला कोट...बहुत दिनों से रखा था देख कर...आज टांग देती हूँ...कि हमेशा याद रहे...
“You can be gorgeous at thirty, charming at forty, and irresistible for the rest of your life.”
-Coco Chanel
And on that note...happy birthday Gorgeous
And on that note...happy birthday Gorgeous
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.
ReplyDeleteSO NICE MEMORABLE
ReplyDeleteबढिया, बहुत बढिया
ReplyDeleteमीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें, जीवन पूरे विस्तार और आनन्द से जियें। उम्र बस एक संख्या है, उससे अधिक कुछ भी नहीं।
ReplyDeleteपूजा जी सच कहूं तो यही सच बयानी और कथ्य जिसमे किसी प्रकार का कोई बनावटीपन नहीं है, दिल तक उतरता है। साफगोई से आपके अनुभूत इन निर्विकार डायरी के पन्ने गंगा की तरह पवित्र और हिमालय की तरह तटस्थ हैं। डायरी लिखना अपने व्यक्तित्व के हर आयाम को ईमानदारी से साझा करना है, जो की बहुदुरी का काम है।
ReplyDeleteआपके सब्द चयन और अभिव्यक्ति की निर्मलता वाकई आकर्षित कर रही है। बधाई।
अपनी डायरी के कुछ पन्ने अगर आप मुनासिब समझें तो 'आखर कलश' के लिए भी प्रेषित कीजियेगा, ये आपसे गुजारिश भी करता हूँ।
आभार
नमन
HAPPY BIRTHDAY. MANY-MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY
अक्सर कुछ लम्हों के तलाश में सदियाँ बीत जाते हैं.
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ReplyDeletehme to aaj tak akal nahi aaye..nahi to pyar me dusri baar dhokha na khate..aapke pass jyada ho to thoda hme loan me de dijiye
ReplyDeleteबहुत ख़ुश हूँ यह जानकर कि तुम इस समय देवघर में हो। अक्टूबर में मुझे भी जाना है ....तब तक तुम बंगलोर चली जाओगी लेकिन मैं वहाँ की फ़िज़ां में बसी पूजा को खोज लूँगा। उससे बहुत सी बातें करनी हैं ......इतने दिन बाद जो आयी है देवघर ......।
ReplyDelete'गंगाजल कभी भी ख़राब नहीं होता, सालों साल बाद भी.'
ReplyDelete...और यादें भी वैसी ही रहती हैं सालों साल बाद भी, अस्सी घाट और दशास्वमेध घाट गंगा किनारे घूम आया मन... आरती वाली कोई शाम जीवंत हो उठी... कि अपना भी कुछ वक़्त बीता है गंगा किनारे!