दीदी बडबडा रही है...'रे टुनकी पगला गयी है क्या रे(हलकी हंसी)...आँखें बंद करके जाने किसके साथ तो नाच रही है, रे लड़की'...नाचने से दिक्कत नहीं है, दिक्कत है की वो आँख बंद किये हुए है और हाथों में किसी को तो पकड़े है. इसका पूरा मतलब है लड़की को कोई पसंद आया है और उसके बारे में ही सोच रही होगी...और नहीं बिना गाना बजाये ऐसे पूरे घर में नाचते देखा है.
घर के अहाता में अच्छा हुआ अभी कोई है नहीं...और वो पड़ोसी का लड़का भी ट्यूशन पर गया है तो फिर भी थोड़ा राहत का सांस है इसलिए दीदी परेशान तो हो रही है लेकिन टुनकी को ऐसे नाचते हुए देख कर उसको अच्छा लग रहा है. चिंता यही है की आखिर हुआ क्या है ऐसा...आजकल तो कॉलेज में पढ़ाई से ज्यादा बाकि खटकरम होता है, दीदी को टुनकी का चिंता होता है, उसके हिसाब से टुनकी एकदम भोली है. हालाँकि कई बार लगता है दीदी को की टुनकी को दीन दुनिया का समझ उससे ज्यादा है. उमर में भले छोटी है लेकिन दुनिया तो दीदी से बहुत ज्यादा देखी है...उसका क्या इंटर पास करने के अन्दर शादी हो गया और कितना तो अच्छा हुआ. लड़की सब का शादी बियाह जल्दी हो जाए तो अच्छे रहता है नहीं तो ई लड़की के तरह कभी पूरा अहाता नाचे तो नहीं.
उ पड़ोसी का लड़का हमेशा इधरे घुरियाते रहता है, एकदम बेसरम है लुच्चा...घर में लड़की रहती है तो क्या दिन भर दीवाले पे लटके रहोगे चमगादड़ जैसन...घर में जवान लड़की बहुत बड़ा जिम्मेदारी होता है, इसका पूरा अहसास होता है दीदी को..लेकिन ये टुनकी तो पता नहीं कौन मिटटी की बनी हुयी है...वैसे तो किसी लड़के के साथ नहीं देखा...इतना भरोसा है दीदी को की टुनकी कोई लड़के उड़के के साथ नहीं घुमती होगी, लेकिन मन में थोड़ा शंका बने रहता है...जमाना ख़राब है न. उसपर टुनकी है भी तो कितनी सुन्दर, दीदी का रंग तो फिर भी थोड़ा गेंहुआ है लेकिन टुनकी तो एकदम जैसे दूध वाले आइसक्रीम रंग की है...दूरे से भकभकाती है...पता नहीं कैसे भगवान इसको इतना रंग दे दिए हैं...कोईयो रंग पहनती है फब जाता है. दीदी परेशान है की कॉलेज में कोई लड़का पीछे न पड़ा हो टुनकी के. वैसे टुनकी बहुत मानती है दीदी को, सब राज भी बतलाती है...लेकिन इधर कुछ दिन से थोड़ा चुप है...दीदी समझी की शायद एक्जाम आ रहा हो कौनो या फिर कोई प्रोग्राम होगा गीत संगीत का...पर आज का ड्रामेबाजी से थोड़ा परेशान हो गयी है दीदी.
एक तो टुनकी का अंग्रेजी गाना...दीदी को कभी एक्को अक्षर नहीं बुझाता है लेकिन ये तो जनरल नोलेज है की अंग्रेजी गाना बिगड़ने का पहला लच्छन है, लेकिन दीदी का कलेजा नहीं होता है की टुनकी को मना करे...कित्ती तो खुश दिखती है न टुनकी...आँख बोलती है एकदम...गीत भी गाती है शादी बियाह में तो कैसे हुमक के उठाती है कि उसके गले का लोच पर सब्बे ताज्जुब करता है...कैसा गूंजता है. दीदी बहुत सोच रही है आज...ऐसे ही हुलस कर वो भी तो गाती थी, पिंकी फुआ के शादी में तब्बे तो ई देखे थे उसको...कैसे हाथ पकड़ लिया था अकेले में...की पायल तो बड़ी सुन्दर है तुमरा, कहाँ से खरीदी...कैसे भागी थी दीदी वहां से, कोइयो देख लेता तो बड़का बवाल हो जाता. उसके बाद तो ऐसे फटाफट मंगनी हुआ और फिर शादी की किसी को सोचने का भी टाइम नहीं मिला...सब्बे कहता था की उसका लगन बड़ी तेज है...बाउजी ऐसा लड़का कैसे जाने देते.
दीदी जानती है ये उमर में टुनकी को खुद से प्यार हो रहा है...अपना आवाज, रंग, रूप...सब आँख में बस रहा है...दीदी उसे छुपा के रखना चाहती है, सात परदे में की एक दिन टुनकी को बाहर जा के दुनिया देखनी है, खूब सारा पढ़ना है...वो सब करना है जो दीदी नहीं कर पायी.
वो हँसते हुए टुनकी का हाथ पकड़ लेती है और दोनों बहनें उस लिपे हुए अहाते में किसी अनहद नाद को सुनते हुए एक ताल में नाचने लगती हैं. इस समय दोनों में कौन ज्यादा सुन्दर है बताना बहुत मुश्किल है.
अंग्रेजी गाना को वहाँ की उन्मुक्त संस्कृति का प्रतीक समझ लिया जाता है।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
रोचक कहानी...
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत...अपने आस पास की ही कहानी...
ReplyDeleteउल्लासित कर गया ये नृत्य.... :)
बहुत ही खूबसूरत.
ReplyDeleteइसका मतलब ये हुआ कि ....ये गाने का जादू है दीदी :)
ReplyDeleteसुन्दर कहानी |
बेहद रोचक. "ये तो जनरल नोलेज है की अंग्रेजी गाना बिगड़ने का पहला लच्छन है" वाकई एक समय आता है जब बालिकाओं को खुद से प्यार हो रहा होता है.
ReplyDeleteganga ki yaad aa gayi...
ReplyDeleteअनूठा सौन्दर्य सृजन.
ReplyDeleteये आइना अच्छा है. धूल जमने पर साफ़ करने में याद आने का रेशियो बढ़ जाता है और जब अपना ही आँख देखो तो......
ReplyDeletenice one post
ReplyDeleteohhh...aagin again agin...ek aur khubsurat kahani..... tan ko nahin man ko chune vali.... hamesha intezar rahata hai aapki rachnaon ka.....thoda jaldi jaldi add kiya kijiye na..... plzz
ReplyDeleteRefreshing :) :)
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कहानी...
ReplyDeleteएक सहजता और भावुकता से भरी रचना जो मन को छू लेती है.
ReplyDeleteयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
इतना खूबसूरत कैसे लिख लेती हो पूजा! वैसे बिगड़ने के लक्षणों के विषय पर तुम्हारा ज्ञान विचारणीय है...और दिलचस्प भी ...:)
ReplyDeleteबहुत-बहुत-बहुत अच्छी पोस्ट है.
'Renu' ke lahze ki gandh se rachi-basi...!!!
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