कार के डैशबोर्ड पर
जिद्दी जिद्दी टाइप के शब्द लटक जाते हैं
गियर, एक्सीलेटर, क्लच
पांवों के पास नज़र आते ही नहीं
बहुत तंग करते हैं मुझे
गिरगिटिया स्पीडब्रेकर
अचानक से सामने आ कर
डरा देते हैं...और इसी वक्त ब्रेक
चल देता हैं कहीं और
महसूस नहीं होता पांवों के नीचे
शायद पैरों तले जमीन
खिसकना ऐसा ही होता होगा
खटके से बंद हो जाती है गाड़ी
जीरो से एक गियर पर चढ़े बिना
भागने लगते हैं सड़क के सारे खम्भे
मेरी कार शुरू होने के पहले ही
बताओ भला, खम्भे में जान थोड़े होती है जो वो डरे!
हर चैनल पर बजते हैं सिर्फ़ कन्नड़ गाने
मेरी समझ से बाहर, जैसे कि गियर की डायरेक्शन
आगे पीछे, ऊपर नीचे....उफ्फ्फ्फ्फ्फ
जरा सा छूते ही एक साथ जलने लगती है बत्तियां
कभी वाइपर चलने लगता है अपने आप से
गाड़ी अपना दिमाग बहुत चलती है लगता है
घंटी बजाते गुजरता है एक साइकिल वाला
हँसते हुए ओवर टेक करता है
चौराहे पर एक बिल्ली मुझे घूरने लगती है
मैं उसके भी सड़क पार करने का इंतज़ार करती हूँ
और फ़िर बिल्ली के कटे हुए रास्ते में गाड़ी कैसे सीखूं...
घर आ जाती हूँ वापस
दिल ही दिल में बिल्ली को दुआएं देती हुयी
ड्राइविंग सीखने का एक और घंटा यूँ गुजर जाता है...
भगवान् उस बिल्ली को सलामत रखे!