पिछले कुछ दिनों से मेरी दुनिया से अचरज नाम की ख़ूबसूरत चिड़िया गुम हो गयी थी। अचानक दिखी। और क़सम से, दिल बाग़ बाग़ हो गया।
जो लोग मुझे मुझे जानते हैं, उन्हें पता है, मुझे साड़ियों का शौक़ है। मैं कई साल से लगभग फ़ैबइंडिया से ख़ूब साड़ी ख़रीदती और पहनती हूँ। पिछले कुछ साल में मैंने ऑनलाइन कुछ जगहों पर भी अच्छी साड़ियाँ देखीं। बैंगलोर में दुकान पर वैसी हैंडलूम की साड़ियाँ मिली नहीं…फिर मुझे बहुत जगहें भी नहीं मालूम है। मैं chidiyaa.com से बहुत साड़ियाँ ख़रीदती हूँ। इसके अलावा एक आध बार सूता और हथकरघा से भी ख़रीदी हैं। चिड़िया की साड़ियाँ मेरी सबसे पसंदीदा होती हैं। मुझे हैंडलूम साड़ियाँ पसंद हैं, मौसम के हिसाब से सूती या सिल्क। अधिकतर यही दो फ़ैब्रिक अच्छा लगता है।
क़िस्सा एक गुलाबी साड़ी का है जो मुझे हथकरघा स्टोर पर बहुत पसंद आयी। वहाँ लिमिटेड एडिशन साड़ियाँ होती हैं जो तुरंत सोल्ड आउट हो जाती हैं। इन्स्टग्रैम पर मुझे बहुत से और बुटिक्स के मेसेज आते हैं कि मेरा कलेक्शन भी देखिए। कहीं कहीं अच्छी भी लगी हैं साड़ियाँ। तो इसी तरह एक गुलाबी साड़ी के बारे में मुझे मेसेज आया कि हमारे पास है, अगर आप चाहें तो हमसे ख़रीद सकती हैं। मैंने साड़ी देखी और पेमेंट कर दिया। फिर उनका मेसेज आया कि साड़ी मिली या नहीं…पर तब तक साड़ी आयी नहीं थी।
मैं थोड़ी ओल्ड स्कूल हूँ। मुझे साड़ी पहनना, इंक पेन से लिखना, मेसेज की जगह फ़ोन करना पसंद है।
आज दोपहर में साड़ी आयी। सेक्यूरिटी का फ़ोन आया था कि डाकिया इंडियापोस्ट का कुरियर दे गया है। मास्क लगा कर गेट पर गयी। पैकेट देख कर ही एकदम से पुराने दिन याद आ गए। मेरे पापा स्टेट बैंक औफ़ इंडिया में काम करते थे, अब रिटायर हो गए हैं…पापा की सरकारी डाक ऐसे ही आती थी। बिलकुल क़रीने से की गयी पैकिंग। जैसे सीमेंट के बोरे होते हैं, उसी मटीरीयल में। रस्सी से सिलाई की गयी थी। टाँके सारे एक साइज़ के और एक दूसरे से बराबर की दूरी पे। ये साड़ी का पैकेट जिसने बनाया था, उसे इसकी काफ़ी साल से आदत थी, देख कर पता चलता था। हर थोड़ी दूर पर लाल लाख वाली मोहर भी लगी हुयी थी। दिल पिघल के मक्खन हो गया। पहली बार ऐसी कोई डाक मेरे लिए आयी थी। बहुत ख़ास सा महसूस हुआ। स्पेशल। पार्सल insured था, ऊपर पहली लाईन वही लिखी हुयी थी। ये professionalism था, पुराने ज़माने का। कुछ कुछ मेरी तरह। पार्सल बहुत अहतियात से खोला। अंदर साड़ी के डिब्बे में साड़ी थी और एक छोटा सा डिब्बा था। पहले मुझे लगा ब्लाउज पीस होगा। लेकिन फिर देखा कि छोटे से पारदर्शी डिब्बे में एक मुड़ा हुआ काग़ज़ है। काग़ज़ पर क़लम से लिखा गया था क्यूँकि इस पर तक स्याही दिख रही थी। चिट्ठी। मन मुसकाया। डिब्बा खोला तो अंदर छोटी सी, सादी सी, हाथ से लिखी गयी चिट्ठी थी। लिखा गया था कि एक छोटा सा तोहफ़ा है… कि उनके लिए कस्टमर परिवार जैसा होता है… साथ में लकड़ी की बनी हुयीं मिनीयचर पुरी के जगन्नाथ, सुभद्रा और बालभद्र(बलराम) की मूर्तियाँ थीं। ईश्वर आपके परिवार की रक्षा करें। मूर्तियों को देखते हुए आँख डबडबा आयीं। दिल भर आया। कि amazon और फ्लिपकार्ट वाली इस ई-रीटेल की दुनिया में किसी शहर का कोई व्यापारी अपने काम को इतना पर्सनल बना सकता है। ये भी लगा कि लिखने वाले के शब्द ईमानदार रहे हैं। सच्चे, सादे, ईमानदार। किसी तरह भी दुनिया इतनी सी बची रहनी चाहिए। बहुत ख़ुशी हुयी। बहुत। अगर पर्फ़ेक्ट होने की कोई चेक्लिस्ट होती तो इसमें सब कुछ टिक कर दिया जाता। बात साड़ी की भी नहीं है…बात है कि अगर कोई चाहे तो किसी छोटी से छोटी चीज़ को भी इतने अच्छे से कर सकता है कि उसे भुलाना नामुमकिन हो। हर चीज़ को बेहतर बनाया जा सकता है। और कुछ चीज़ों को पर्फ़ेक्ट भी।
उड़ीसा में पुरी की इस दुकान का नाम Bhimapatra है। तस्वीर और वेब्सायट से दिखता है कि 1911 से यह दुकान मौजूद है। मुझे इक्कत साड़ियाँ बहुत ज़्यादा पसंद हैं। आज जो साड़ी आयी वो खिली भी बहुत। इस कोरोना काल में अब साड़ियाँ ख़रीदना तो बंद ही है लगभग, लेकिन ये स्टोर मेरी पसंदीदा की लिस्ट में शामिल हो गया है। लिखते हुए सोच रही हूँ, वे ऐसी ही पैकिजिंग और ऐसी ही चिट्ठी अपने हर कस्टमर को भेजते होंगे...उनमें से क्या अधिकतर लोग, recieved थैंक्स ही कहते होंगे या उनमें से कईयों को ऐसा महसूस हुआ होगा...ख़ास, स्पेशल। ऐसे कितने कुरियर भेजने के बाद कोई सोचेगा, कि क्या फ़र्क़ पड़ता है...सिर्फ़ साड़ी ही भेज देते हैं। क्यूँ इतनी मेहनत करना। मुझे मालूम नहीं। ऑनलाइन बहुत कुछ सामान मँगवाया है...ऐसा अनुभव पहली बार हुआ है।
इतने दिन से घर में जंगली बने घूम रहे हैं। वही कपड़े, न बाल झाड़ना ना कुछ और। आज इस साड़ी को पहनने के लिए भर शैम्पू किए और ख़ुद से थोड़ी बहुत तस्वीर खींचे। बाद में फ़ोटोज़ देखती हूँ तो पाती हूँ, मैं कितने वक़्त बाद इतनी ख़ुश दिख रही हूँ। शुक्रिया आयुष पात्रा। ये कुरियर बहुत दिन तक याद रहेगा।
Dil se nikali baatein seethe dil tak pahunchati hain......khushiyaan bani rahe...khushiyon ke vishay bhi sabhi ke liye
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeleteइस बेहतरीन लिखावट के लिए हृदय से आभार Appsguruji(जाने हिंदी में ढेरो mobile apps और internet से जुडी जानकारी )
ReplyDeleteइस बेहतरीन लिखावट के लिए हृदय से आभार Appsguruji(सीखे हिंदी में)
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
ReplyDeleteकभी-कभी सामान विक्रेता की थोड़ी सी आत्मीयता एक बहुत सुंदर सा रिश्ता बना देती है।
ReplyDeleteThese are blog best to give ancient and Historical knowledge
ReplyDeleteI Present this one http://www.knowledgeandtips.com/
Thank you so much for sharing knowledgeable information, nice article.
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आत्मीय रिश्ता जब बनता है तो ख़ुशी दूनी हो जाना लाज़मी है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
बहुत ही सुंदर!
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ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर... आपने सही कहा कि अगर कोई चाहे तो छोटी से छोटी चीजों को इतने अच्छे से कर सकता है कि वह पाने वाले के लिए ख़ास हो जाए... पात्रा जी से काफी कुछ सीखा जा सकता है...
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