08 April, 2019

तिलिस्म सिर्फ़ तोड़े जाते हैं, उनसे मुहब्बत नहीं की जाती...

लड़की कोहरे की बनी होती तो फिर भी ठीक होता। वो सिगरेट के धुएँ की बनी थी। उँगलियों में रह जाती। बालों में उलझ जाती। बिस्तर, तकिए, कम्बल…जब जगह बसी रहती। तलब वैसी ही लगती थी उसकी। रोज़। रोज़। रोज़। सुबह, शाम, रात…नींद के पहले, जागने के बाद।
कैसे चूमता कोई उसे? क्यूँ चूमता कोई उसे?

लड़की - शब्दों की बनी, उदास, ख़ुशनुमा, गहरे शब्दों की। वो चाहती कि वो फूलों की बनी हो। आँसुओं की या किसी और टैंजिबल चीज़ की - हवा, पानी, मिट्टी, आग जैसी चीज़ों की… लड़की चाहती कि उसे छुआ जा सके। 
ताकि उसे तोड़ा जा सके। 

कितना लड़ सकती थी वो…ज़िंदगी के इस मोड़ पर थकान इतनी ज़्यादा थी कि उसने हथियार रख दिए। वो रोयी भी नहीं। बस उसकी आवाज़ ज़रा सी काँपी। ‘मैं नहीं करती तुमसे प्यार’। वो एक छोटा सा सवाल पूछना चाहती थी इस आत्मसमर्पण के बाद। 
‘ख़ुश?’


उसके पास सच की दुनिया नहीं थी। कहानियाँ थी सिर्फ़। और दोस्त। इस दुनिया में कहानी के मोल कुछ भी नहीं ख़रीदा जा सकता। 


माँगने को भी कुछ नहीं था उसके पास। किसी के हिस्से ज़रा सा सुख माँगना भी अधिकार में आता है। प्राचीन मंदिर और मक़बरे उसके भीतर उगते। वसंत की बेमौसम बारिश का कोई राग भी। टीन की छत पर बेतहाशा बरसती बारिश…चुप्पी महबूब का नाम चीख़ती। दूर किसी छत पर बारिश में भीगता लड़का गुनगुनाता, इस बात से बेख़बर कि लड़की तिलिस्म होती जा रही है। और मेरी जान, तिलिस्म सिर्फ़ तोड़े जाते हैं, उनसे मुहब्बत नहीं की जाती...

लड़की कभी कभी सीखना चाहती बाक़ी चीज़ें। झूठ बोलना, जिरहबख़्तर बाँधना। ख़ुदकुशी के तरीक़े। लौट सकना। करना थोड़ा कम प्यार किसी से। सीमारेखा बनाना। और अपनी उदासी में ज़रा कम ख़ूबसूरत दिखना।
कि हर कोई उसे उदास देखना न चाहे। 

मुहब्बत मैथ भी नहीं, फ़िज़िक्स का कोई unsolvable equation हुए जाती। एकदम अबूझ। इक रोज़ उसे क़ुबूल करना ही पड़ता कि इतनी उलझी हुयी चीज़ उसे ज़रा भी समझ नहीं आती। कि step-by-step marking के बावजूद उसके नम्बर बहुत कम आएँगे।
जाने कितने साल वो ज़िंदगी के इसी क्लास में गुज़ारेगी कि जिसे कहते हैं, moving on. 


Suicide letter उसका मास्टरपीस था। दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत प्रेम पत्र।


वो नहीं जानती थी प्यार के बारे में कुछ ज़्यादा। उसने ऐसा कोई दावा भी कभी नहीं किया। उसके इर्द गिर्द लेकिन बहुत समझदार लोग थे। सबने उससे कहा, किसी के लिए फूल ख़रीद लेने की ख़्वाहिश को प्यार नहीं कहते। 


1 comment:

  1. पता नहीं पर प्यार करने वाले तिलिस्म में फंसते हुऐ समझे जाते हैं तोड़ते हुऐ अभी तक तो नजर नहीं आये। अब नजर भी लड़की की कोई कहाँ से लाये वैसे तो। गहराई है।

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